बक्सर: गंगा के बढ़ते जलस्तर की वजह से नदियां किनारों को तोड़ते हुए रिहायशी इलाके में पहुंचा गई है. इसके चलते बक्सर के चरित्रवन स्थित श्मशान घाट भी डूब गया है. ऐसे में लोगों को अंतिम संस्कार करने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इस श्मशान घाट पर शहर के कई इलाकों से लोग शव लेकर पहुंचते हैं. ऐसे में यहां लोगों को लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है.
बक्सर श्मशान घाट पानी में डूबा: दूरदराज के ग्रामीण इलाकों से श्मशान घाट पहुंच रहे लोगों ने बताया कि इस मुक्तिधाम की स्थिति नरक से भी बदतर है. यहां ना शव जलाने की जगह है और न शौच करने से लेकर पानी पीने तक कि कोई सुविधा है. जिसके कारण अफरा-तफरी की स्थिति बनी हुई है. लाइट भी नहीं है. ऐसे में रात के अंधेरे में चिताओं से उठ रहे आग की लपटों में दाह संस्कार करना पड़ता है. मतलब मरने के बाद भी मोक्ष के लिए शवों को घण्टो इंतजार करना पड़ रहा है.
काशी से आंकी जाती है घाट का महत्ता: श्मशान घाट पर लगभग 40 से 45 शव अंत्येष्टि के लिए आ रहे हैं. उत्तरायणी गंगा होने के चलते बक्सर मोक्षधाम की महत्ता बनारस के काशी से आंकी जाती है. मान्यता है कि यहगां पर शवों की अन्त्येष्टि करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि यहां यूपी के लोग भी शवों का दाह संस्कार करने के लिए आते हैं. अभी पानी बढ़ने से लोगों को शवों की अंत्यष्टि करने लिए घंटों वेटिंग करना पड़ रहा है.
"बुडको के द्वारा जल्द ही विद्युत शवदाहगृह बनाया जाएगा. फिलहाल गंगा की बढ़ाते जलस्तर के कारण इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है." - अमित कुमार, नप कार्यपालक पदाधिकारी
बक्सर गंगा का कहर बरपा रही है: गंगा का जलस्तर बढ़ने से गंगा नदी कहर बरपा रही है. जिले के चौसा, बक्सर, सिमरी, ब्रह्मपुर, चक्की प्रखण्ड के दर्जनों गांव के साथ ही बक्सर नगर परिषद क्षेत्र के श्मशान घाट को गंगा नदी की पानी ने जलमग्न कर दिया. जहां मरने के बाद मोक्ष के लिए भी शवों को इंतजार करना पड़ रहा है. यहीं नहीं गंगा के रौद्र रूप से लोग सहमे हुए हैं. गंगा का पानी किनारों को तोड़कर रिहायशी इलाकों में घुस गया है.
बाढ़ में बह गया रोजी-रोटी: श्मशान घाट पर लकड़ी बेचकर परिवार का रोजी रोटी चलाने वाले बाउल चौधरी ने बताया कि गंगा की प्रलयकारी धारा में सब कुछ बह गया है. जिस लकड़ी को बचकर परिवार की रोजी रोटी चलती थी. तमाम लकड़ियां बह गई, टोल प्लाजा से लकड़ी लाकर किसी तरह से लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा है.
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