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बुरहानपुर में केले के रेशे से शानदार प्रॉडक्ट, देखें-कैसे हो रही महिलाओं की बंपर कमाई - BURHANPUR WOMEN SELF RELIANT

बुरहानपुर में महिलाओं का स्व सहायता समूह केले के अवेशेषों से शानदार प्रॉडक्ट बनाकर कमाई कर रही हैं.

Burhanpur Women self reliant
बुरहानपुर में केले के रेशे से विभिन्न उत्पाद बनाए (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

बुरहानपुर : बुरहानपुर जिला केले की खेती के लिए मशहूर है. जिले में करीब 25 हजार 239 हेक्टयर रकबे में केला फसल उगाई जाती है. लगभग 18 हजार 625 किसानों ने केला फसल की खेती को अपनाया है. केला फसल न केवल किसानों बल्कि अब स्व सहायता समूहों की महिलाओं के लिए भी वरदान साबित हो रही है. एक तरफ जहां केला बेचकर किसान संपन्न हो रहे हैं तो अब केले की फसल से निकलने वााले वेस्टेज से उत्पाद बनाकर महिलाओं को भी बंपर कमाई होने लगी है. ये महिलाएं केले के तने के रेशे से पालना, टोपियां, पर्स, टोकरियां, झूमर, तोरण की रिंग जैसे घऱेलू आयटम तैयार करती हैं.

बुरहानपुर जिले के दर्यापुर में स्व सहायता समूह

महिलाओं ने केले के रेशों से चटाई बनाने का काम शुरू कर दिया है. इस चटाई का उपयोग पूजा-पाठ के दौरान भी होता है और बिछाने के लिए भी. महिलाएं हैंडलूम के तरह ही वीविंग मशीन से चटाई बना रही हैं. एक से दो घंटे में सवा मीटर चटाई बनती हैं, इससे उन्हें 300 रुपये की आमदनी होती है. इससे महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं. बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर दर्यापुर स्थित सामुदायिक भवन में स्व सहायता समूह की महिलाएं हैंडलूम की तरह दिखने वाली इस विशेष मशीन की सहायता से चटाई बुन रही हैं.

बुरहानपुर में स्व सहायता समूह की महिलाएं (ETV BHARAT)

एक चटाई बनाने में लगते हैं दो घंटे, कमाई 300 रुपये

इस काम में लगी स्व सहायता समूह की पूनम महाजन ने बताया 'सवा मीटर चटाई बुनने में करीब दो घंटे का समय लगता है. इससे उन्हें 300 रुपये की आमदनी होती है." स्व सहायता समूह की अध्यक्ष रीना पाटिल का कहना है "इससे समय की बचत होती है. साथ ही बेहतरीन गुणवत्ता वाली चटाई तैयार होती है. इस चटाई का उपयोग मेहमाननवाजी सहित पूजा-पाठ में बैठने के लिए किया जा रहा है." महिलाओं ने बताया कि ये मशीन तमिलनाडु से मंगाई गई है. स्व सहायता समूह की महिलाओं को फायबर एक्सट्रेक्टर मशीन भी उपलब्ध कराई गई है. इससे केले के तने से रेशा निकालना आसान हो गया है.

Burhanpur Women self reliant
केले के रेशे से चटाई बनाती महिलाएं (ETV BHARAT)

हस्तनिर्मित उत्पादों की बढ़ती मांग से महिलाएं उत्साहित

जिला प्रशासन और आजीविका मिशन के सहयोग से यह पहल महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही है, जिले में इन हस्तनिर्मित उत्पादों की बढ़ती मांग से महिलाओं की आजीविका के नए रास्ते खुल रहे हैं. यह नवाचार उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर एक नया मार्ग दिखा रहा है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रम 'एक जिला एक उत्पाद' के तहत बुरहानपुर जिले का भी चयन हुआ है. फरवरी 2024 में जिले में वृहद स्तर पर केला फेस्टिवल का भी आयोजन किया गया, जिसमें केला और केले के पौधों के रेशों से तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी आयोजित की गई थी.

बुरहानपुर : बुरहानपुर जिला केले की खेती के लिए मशहूर है. जिले में करीब 25 हजार 239 हेक्टयर रकबे में केला फसल उगाई जाती है. लगभग 18 हजार 625 किसानों ने केला फसल की खेती को अपनाया है. केला फसल न केवल किसानों बल्कि अब स्व सहायता समूहों की महिलाओं के लिए भी वरदान साबित हो रही है. एक तरफ जहां केला बेचकर किसान संपन्न हो रहे हैं तो अब केले की फसल से निकलने वााले वेस्टेज से उत्पाद बनाकर महिलाओं को भी बंपर कमाई होने लगी है. ये महिलाएं केले के तने के रेशे से पालना, टोपियां, पर्स, टोकरियां, झूमर, तोरण की रिंग जैसे घऱेलू आयटम तैयार करती हैं.

बुरहानपुर जिले के दर्यापुर में स्व सहायता समूह

महिलाओं ने केले के रेशों से चटाई बनाने का काम शुरू कर दिया है. इस चटाई का उपयोग पूजा-पाठ के दौरान भी होता है और बिछाने के लिए भी. महिलाएं हैंडलूम के तरह ही वीविंग मशीन से चटाई बना रही हैं. एक से दो घंटे में सवा मीटर चटाई बनती हैं, इससे उन्हें 300 रुपये की आमदनी होती है. इससे महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं. बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर दर्यापुर स्थित सामुदायिक भवन में स्व सहायता समूह की महिलाएं हैंडलूम की तरह दिखने वाली इस विशेष मशीन की सहायता से चटाई बुन रही हैं.

बुरहानपुर में स्व सहायता समूह की महिलाएं (ETV BHARAT)

एक चटाई बनाने में लगते हैं दो घंटे, कमाई 300 रुपये

इस काम में लगी स्व सहायता समूह की पूनम महाजन ने बताया 'सवा मीटर चटाई बुनने में करीब दो घंटे का समय लगता है. इससे उन्हें 300 रुपये की आमदनी होती है." स्व सहायता समूह की अध्यक्ष रीना पाटिल का कहना है "इससे समय की बचत होती है. साथ ही बेहतरीन गुणवत्ता वाली चटाई तैयार होती है. इस चटाई का उपयोग मेहमाननवाजी सहित पूजा-पाठ में बैठने के लिए किया जा रहा है." महिलाओं ने बताया कि ये मशीन तमिलनाडु से मंगाई गई है. स्व सहायता समूह की महिलाओं को फायबर एक्सट्रेक्टर मशीन भी उपलब्ध कराई गई है. इससे केले के तने से रेशा निकालना आसान हो गया है.

Burhanpur Women self reliant
केले के रेशे से चटाई बनाती महिलाएं (ETV BHARAT)

हस्तनिर्मित उत्पादों की बढ़ती मांग से महिलाएं उत्साहित

जिला प्रशासन और आजीविका मिशन के सहयोग से यह पहल महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही है, जिले में इन हस्तनिर्मित उत्पादों की बढ़ती मांग से महिलाओं की आजीविका के नए रास्ते खुल रहे हैं. यह नवाचार उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर एक नया मार्ग दिखा रहा है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रम 'एक जिला एक उत्पाद' के तहत बुरहानपुर जिले का भी चयन हुआ है. फरवरी 2024 में जिले में वृहद स्तर पर केला फेस्टिवल का भी आयोजन किया गया, जिसमें केला और केले के पौधों के रेशों से तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी आयोजित की गई थी.

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