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HC के फैसले के खिलाफ डबल बैंच जाएगा वक्फ बोर्ड, शाहजहां की बहू के मकबरे का है मुद्दा - Burhanpur Waqf Board Case On Tomb

बुरहानपुर में स्थित तीन ऐतिहासिक संपत्तियों पर जबलपुर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है. जिसमें इस संपत्ति पर वक्फ बोर्ड का अधिकार नहीं बताया है. कोर्ट के फैसले के बाद वक्फ बोर्ड ने इसे डबल बैंच में ले जाने की बात कही है.

BURHANPUR WAQF BOARD CASE ON TOMB
HC के फैसले के खिलाफ डबल बैंच जाएगा वक्फ बोर्ड (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 2, 2024, 8:11 PM IST

बुरहानपुर। मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड को जबलपुर हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. दरअसल हाई कोर्ट ने मुगल सम्राट शाहजहां की बहू की संपत्ति को वक्फ बोर्ड का हिस्सा मनाने से इनकार कर दिया है. बुरहानपुर स्थित तीन पुरातात्विक महत्व की धरोहर बेगम शाह शुजा का मकबरा, आदिल शाह नादिर शाह फारूकी का मकबरा और बीबी की मस्जिद के गजट नोटिफिकेशन में वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज होने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई ने इसको लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

हाईकोर्ट ने एएसआई के पक्ष में फैसला देते हुए इन तीन संपत्तियों को एएसआई के अधीन मानते हुए वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज गजट नोटिफिकेशन से हटाने का आदेश दिया है. वहीं वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने इस फैसले को डबल बैंच में ले जाने की बात कही है.

वक्फ बोर्ड के खिलाफ एएसआई ने दाखिल की थी याचिका

बता दें कि शहर की तीनों ऐतिहासिक धरोहरें शाह सुजा और बिलकिस बेगम का मकबरा, आदिल शाह नादिर शाह का मकबरा और बीवी की मस्जिद गजट में वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज है, इसलिए बोर्ड ने इसे अपनी संपत्ति घोषित किया था, उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड ने एक आदेश जारी कर तीनों ऐतिहासिक धरोहरों को अपनी संपत्ति घोषित कर दिया था. इसके खिलाफ एएसआई ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने न्यायालय को बताया था कि प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत प्राचीन संरक्षित स्मारक की श्रेणी में इन इमारत को रखा गया है.

डबल बैंच में याचिका ले जाएगी वक्फ बोर्ड

भारतीय सर्वे पुरातत्व विभाग ने इन पर से दावा भी नहीं छोड़ा है, ऐसे में वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों को स्वयं की कैसे घोषित कर सकता है. इस फैसले की सुनवाई पूरी होने के बाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया की अदालत ने एएसआई के पक्ष में फैसला सुनाया है. उधर जिला वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शेख फारूर ने इस फैसले पर कहा है कि 'फैसले का पूरा अध्ययन कर कानून सलाहकारों की मदद से इस फैसले को लेकर डबल बैंच में अपील की जाएगी.'

यहां पढ़ें...

वक्फ बोर्ड को हाई कोर्ट से बड़ा झटका, कहा-शाहजहां की बहू का मकबरा बोर्ड की संपत्ति नहीं

स्वामित्व लेने के साथ संरक्षण करना भी जरूरी

जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद के सदस्य इतिहासकार और पुरातत्व विद कमरुद्दीन फलक ने कहा है कि 'एएसआई को सिर्फ ऐतिहासिक धरोहरों को अपने स्वामित्व में लेने भर से काम नहीं चलेगा, उनका संरक्षण और विकास भी किया जाना बेहद जरूरी है. वर्तमान में इन तीनों धरोहरों के साथ ही अन्य धरोहरों की दैनिक हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि पुरातत्व विभाग को जल्द ही इनके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए.' उन्होंने वक्फ बोर्ड में संपत्तियों की देखरेख के लिए नियुक्त किए जाने वाले पदाधिकारी की योग्यता और चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं.

बुरहानपुर। मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड को जबलपुर हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. दरअसल हाई कोर्ट ने मुगल सम्राट शाहजहां की बहू की संपत्ति को वक्फ बोर्ड का हिस्सा मनाने से इनकार कर दिया है. बुरहानपुर स्थित तीन पुरातात्विक महत्व की धरोहर बेगम शाह शुजा का मकबरा, आदिल शाह नादिर शाह फारूकी का मकबरा और बीबी की मस्जिद के गजट नोटिफिकेशन में वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज होने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई ने इसको लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

हाईकोर्ट ने एएसआई के पक्ष में फैसला देते हुए इन तीन संपत्तियों को एएसआई के अधीन मानते हुए वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज गजट नोटिफिकेशन से हटाने का आदेश दिया है. वहीं वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने इस फैसले को डबल बैंच में ले जाने की बात कही है.

वक्फ बोर्ड के खिलाफ एएसआई ने दाखिल की थी याचिका

बता दें कि शहर की तीनों ऐतिहासिक धरोहरें शाह सुजा और बिलकिस बेगम का मकबरा, आदिल शाह नादिर शाह का मकबरा और बीवी की मस्जिद गजट में वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज है, इसलिए बोर्ड ने इसे अपनी संपत्ति घोषित किया था, उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड ने एक आदेश जारी कर तीनों ऐतिहासिक धरोहरों को अपनी संपत्ति घोषित कर दिया था. इसके खिलाफ एएसआई ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने न्यायालय को बताया था कि प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत प्राचीन संरक्षित स्मारक की श्रेणी में इन इमारत को रखा गया है.

डबल बैंच में याचिका ले जाएगी वक्फ बोर्ड

भारतीय सर्वे पुरातत्व विभाग ने इन पर से दावा भी नहीं छोड़ा है, ऐसे में वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों को स्वयं की कैसे घोषित कर सकता है. इस फैसले की सुनवाई पूरी होने के बाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया की अदालत ने एएसआई के पक्ष में फैसला सुनाया है. उधर जिला वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शेख फारूर ने इस फैसले पर कहा है कि 'फैसले का पूरा अध्ययन कर कानून सलाहकारों की मदद से इस फैसले को लेकर डबल बैंच में अपील की जाएगी.'

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वक्फ बोर्ड को हाई कोर्ट से बड़ा झटका, कहा-शाहजहां की बहू का मकबरा बोर्ड की संपत्ति नहीं

स्वामित्व लेने के साथ संरक्षण करना भी जरूरी

जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद के सदस्य इतिहासकार और पुरातत्व विद कमरुद्दीन फलक ने कहा है कि 'एएसआई को सिर्फ ऐतिहासिक धरोहरों को अपने स्वामित्व में लेने भर से काम नहीं चलेगा, उनका संरक्षण और विकास भी किया जाना बेहद जरूरी है. वर्तमान में इन तीनों धरोहरों के साथ ही अन्य धरोहरों की दैनिक हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि पुरातत्व विभाग को जल्द ही इनके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए.' उन्होंने वक्फ बोर्ड में संपत्तियों की देखरेख के लिए नियुक्त किए जाने वाले पदाधिकारी की योग्यता और चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं.

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