बुरहानपुर: मंगलवार को नई दिल्ली में खंडवा-बुरहानपुर लोकसभा सीट से सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. उन्होंने पीएम मोदी से क्षेत्र के विकास और जनहित से जुड़े विषयों पर चर्चा की. सांसद ने एनटीसी की बुरहानपुर ताप्ती मिल को दोबारा शुरू कराने सहित एशिया के सबसे बड़े कागज कारखाना नेपानगर मिल के लिए 150 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता राशि दिलाने का अनुरोध किया है. वहीं, प्रधानमंत्री ने उनके इन मांगों पर निर्णय लेने का विश्वास दिलाया है. मुलाकात के दौरान सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल के साथ उनकी पत्नी और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जयश्री ज्ञानेश्वर पाटिल भी मौजूद थी.
ताप्ती मिल को दोबारा शुरू करने की मांग
सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र सौंपकर नेशनल टैक्सटाइल कॉरपोरेशन की यूनिट 'बुरहानपुर ताप्ती मिल' की स्थिति से अवगत कराया. बता दें कि पिछली बार केंद्र सरकार ने 100 करोड़ देकर मिल का आधुनिकीकरण किया था. इससे मिल में प्रत्यक्ष रूप से 800 श्रमिक रोजाना काम करते थे. वहीं, परोक्ष रूप से करीब 1200 परिवार जुड़े थे. इस मामले में कहा कि ताप्ती मिल का वर्क कल्चर बेहद अच्छा था, जिसके चलते यह मिल कभी भी घाटे में नहीं गई. एनटीसी की 25 मिलों में से ताप्ती पहले पायदान पर थी, लेकिन 2020 में कोरोना काल से इस मिल का संचालन बंद कर दिया गया है. इससे 1200 परिवार प्रभावित हो रहे हैं. इसलिए ताप्ती मिल को दोबारा शुरू करने की मांग की गई.
ये भी पढ़ें: कोरोना काल से बंद है ताप्ती मिल, श्रमिकों ने किया विरोध प्रदर्शन, दोबारा चालू करने की उठी मांग कागज नेपा मिल का नवीनीकरण बंद होने की कगार पर, 89 मजदूर लौटे अपने घर |
नेपानगर मिल से 100 गांव प्रभावित
बताया गया कि एशिया के सबसे बड़े कागज कारखाना नेपानगर मिल पर लगभग 100 गांवों के 50 हजार लोग निर्भर हैं. इस क्षेत्र में रोजगार का एकमात्र साधन नेपानगर मिल ही है. साल 2012 में इस संस्थान में लगभग 2 हजार श्रमिक काम करते थे. अब नियमित 141 ही शेष बताए जा रहें हैं. जबकि इस कारखाने को भारत सरकार ने 2012 और 2018 में 625 करोड़ रुपयों की आर्थिक सहायता देकर नवीनीकरण कराया गया था. 2022 से इस मिल में व्यवसायिक उत्पादन और बिक्री शुरू हो चुका है. नवीनीकरण के बाद कार्यशील पूंजी के अभाव में कारखाना अपनी पूर्ण दक्षता के साथ उत्पादन करने में असमर्थ है. इसे जारी रखने के लिए 150 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने की जरूरत है.