बुरहानपुर। जिले में मानवता की मिसाल कायम करने वाली घटना सामने आई है. अंबाड़ा गांव में सालों से रह रहे बंदर की मौत हो जाने पर ग्रामीणों ने पूरे हिन्दू रीती-रिवाज से अंतिम विदाई दी. बंदर को नहलाया गया, महिलाओं ने उसकी आरती उतारी, फूलों से सजी कुर्सी पर बैठाकर शवयात्रा निकाली गई और मुक्तिधाम में पंडित के मंत्रोच्चार के बाद उसको दफनाया गया. जिसने भी उस बंदर के लिए गांव वालों का इतना लगाव देखा उसकी आंखे भर आईं.
हिंदू रीती-रिवाज दी अंतिम विदाई
मामला नेपानगर क्षेत्र के अंबाड़ा गांव का है. जहां पर छत पर एक बंदर मृत अवस्था में पाया गया. बंदर की उम्र अधिक हो गई थी जिस वजह से उसकी मौत हो गई. गांव के विजय पाटिल ने बताया कि "यह बंदर कई सालों से गांव में ही रहता था, गांव वाले ही इसके भोजन पानी की व्यवस्था करते थे. बंदर की मौत की खबर से गांव वालों को बहुत दुख हुआ". इसके बाद ग्रामीणों ने हिंदू रीती-रिवाज से बंदर का अंतिम संस्कार करने की सोची. बंदर को नहलाया गया, महिलाओं ने उसकी आरती उतारी फिर उसको सजाकर एक कुर्सी पर बैठाकर उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई. अंतिम यात्रा गांव की गलियों से होते हुए मुक्ति धाम पहुंची. यहां पंडित पुरूषोत्तम महाराज ने अंतिम संस्कार की सारी रस्में की और मंत्रोच्चार के साथ बंदर के शव को दफना दिया गया.
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पूरे गांव को था लगाव
गांव वालों का कहना है कि बंदर कई सालों से गांव में ही रहता था. जिस वजह से सारे गांव के लोगों का उससे लगाव हो गया था. बंदर की मौत के बाद सभी के आखों में आंसू आ गये थे. इंसान का किसी जानवर के प्रति इस तरह का लगाव और उसके मृत शरीर को पूरे सम्मान के साथ इंसानों की तरह विदाई देने की इस घटना की चर्चा पूरे क्षेत्र में है.