बूंदी. बागदा से लालपुर के बीच नदी पर बनने वाले उच्च स्तरीय पुल के शिलान्यास समारोह में स्थानीय निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को नहीं बुलाने पर विधायक हरिमोहन शर्मा ने नाराजगी जाहिर की है. इस पुल का हाल ही लोकसभा अध्यक्ष ने किया था. विधायक ने कहा कि जनप्रतिनिधि के अधिकारों की रक्षा करना लोकसभा अध्यक्ष का दायित्व है.
विधायक ने आरोप लगाया कि गत कुछ दिनों से पूर्ववर्ती राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत विकास कार्यों के लोकार्पण एवं शिलान्यास समारोह में संबंधित विभागों द्वारा उच्च स्तरीय राजनीतिक दबाव के कारण गाइडलाइंस के विपरीत जाकर समारोह आयोजित किया जा रहे हैं. वे इसकी निंदा करते हैं. शर्मा ने बताया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से बागदा से लालपुर के बीच पुलिया के निर्माण कार्य का प्रस्ताव बनाकर केंद्र को भेजा गया था, जिसकी स्वीकृति तत्कालीन सरकार के समय विभाग को मिल गई थी. अगस्त 2023 में विभाग द्वारा जारी पत्र के अनुसार इस पुलिया के निर्माण कार्य की वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति जारी हो गई थी, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण इस पुलिया के निर्माण कार्य को उस समय रुकवा दिया गया था. अब फरवरी 2024 को इसका कार्य आदेश जारी कर निर्माण के आदेश दिए गए हैं. इस वजह से जनता को 4 महीने परेशानियों का सामना करना पड़ा.
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शर्मा ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का दायित्व है कि वह सभी सांसदों एवं विधायकों के अधिकारों की रक्षा करें. राजस्थान विधानसभा में समय-समय पर आयोजित सेमिनारों में उन्होंने अतिथि के रूप में भाग लिया है और जनप्रतिनिधियों के अधिकारों के हनन के संबंध में गहरी चिंता व्यक्त की है, लेकिन इसके विपरीत सांसद ने बूंदी एवं केशोरायपाटन विधानसभा क्षेत्रों में विकास कार्यों के लोकार्पण एवं शिलान्यास समारोह में संबंधित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को नहीं बुलाया. शिलान्यास एवं उद्घाटन पट्टिका पर नाम नहीं लिखवाया. यह विचारणीय प्रश्न है. इस मामले में राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष एवं मुख्य सचिव को भी पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि बिना क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि को बुलाए विकास कार्यों के लोकार्पण एवं शिलान्यास समारोह नहीं किया जाना चाहिए.