खजुराहो: देश दुनिया में अपनी अलग पहचान रखने वाले बुंदेलखंड में खजुराहो पर्यटन स्थल ऐसा है. जो लोगों को अपनी ओर खींचता है. यहां की संस्कृति कला, भाषा कल्चर ओर अद्भुत मंदिर लोगों को खजुराहो आने पर विवश कर देता है. खजुराहो में स्थित लक्ष्मण मंदिर ऐसा है, जहां कला के निर्माण के कण-कण में प्रेम के अनुपम अनुभव व कामसूत्र की साक्षात कला गुथी है. यहां पत्थरों में काम क्रीड़ाएं, काम कला का हर रूप सजीव रूप से उकेरा गया है. जिसको देखने देश दुनिया भर के लोग खजुराहो आते हैं.
वास्तुकला का भंडार है खजुराहो मंदिर
खजुराहो बुंदेलखंड में स्थित एक ऐसी जगह है. जो अपने आप में अद्भुत है. खजुराहो को देखने और जानने के लिए देश-विदेश से लोग यहां आते हैं और महीनों सालों रहकर खजुराहो पर रिसर्च करते हैं. खजुराहो बुंदेलखंड का वास्तुकला का अपूर्व भण्डार है. जो पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षण करता है. जो सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र भी है, तो वहीं खजुराहो का लक्ष्मण मंदिर की भी अपनी एक अगल पहचान है, परिसर में बने लक्ष्मण मंदिर को 930 ई. में राजा यशोवर्मन द्वारा बनवाया गया था.
सुंदर-अलौकिक प्रतिमा, पंचायतन शैली में बना मंदिर
पंचायतन शैली में बने इस मंदिर के चारों कोनों पर एक-एक उपमंदिर बना है. मुख्य मंदिर के द्वार पर रथ पर सवार सूर्यदेव की सुंदर, अलौकिक प्रतिमा बनी है. मंदिर की दीवारों पर सैकड़ों मूर्तियों को उकेरा गया है. मूर्तियों की सुंदरता, उनके भाव को देखना अपने आप में अद्भुत लगता है. 3 लाइनों में प्रमुख मूर्तियां थीं. उनके अतिरिक्त कुछ कतारें छोटी मूर्तियों की थी. मध्य में बने आलों में देव प्रतिमाएं हैं. अधिकतर मूर्तियां उस काल के जीवन और परंपराओं को दर्शाती हैं. इनमें नृत्य, संगीत, युद्ध, शिकार आदि जैसे दृश्य हैं.
खजुराहो मंदिर की कामुक कला
प्रमुख मूर्तियों में विष्णु, शिव, अग्निदेव आदि के साथ गंधर्व, सुर-सुंदरी, देवदासी, तांत्रिक, पुरोहित और मिथुन मूर्तियां बनी हुई है. जिसको देखने जानने लोग खजुराहो आते हैं. उनको जानने-समझने के लिए सालों यही बिता देते हैं. वही एक मूर्ति में तो नायक-नायिका द्वारा एक-दूसरे को उत्तेजित करने के लिए नख-दंत का प्रयोग कामसूत्र के किसी सिद्धांत को दर्शाता रहा है. मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की तीन मुख्य की प्रतिमा के दर्शन होते हैं. अंदर की दीवारों पर भी मूर्तियां विद्यमान हैं. लक्ष्मण मंदिर के चबूतरे पर छोटी-छोटी मूर्तियां हैं. जो धर्मोपदेश, नृत्य-संगीत, शिक्षा, युद्ध के लिए प्रस्थान के दृश्यों के साथ ही कुछ चित्र सामूहिक मैथुन के भी हैं. लक्ष्मण मंदिर के सामने 2 छोटे मंदिर हैं. इनमें एक लक्ष्मी मंदिर व दूसरा वराह मंदिर बना हुआ है.
अद्भुत है मंदिर की वास्तुकला
खजुराहो के मंदिर की वास्तुकला और शिल्पकला के साथ नक्काशी का अद्भुत उदाहरण है. मंदिर को देखकर ये एहसास होता है कि आज की टेक्नोलॉजी और बड़ी-बड़ी मशीनों से काम करने वाले, उस जमाने उस समय की इंजीनियरिंग कितनी शानदार रही होगी, जो उस समय इस मंदिर को इतना अद्भुत बना दिया. जबकि उस वक्त पर्याप्त संसाधन भी नहीं थे. इस मंदिर की लंबाई 29 मीटर और 13 मीटर चौड़ा है. मंदिर को वास्तुकला के आधार पर बलुआ पत्थरों से बनाया गया है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की मूर्ति विराजमान है, जो अलंकृत तोरण के बीच में है. पूरा मंदिर एक ऊंची शिला पर बना है. जिस कारण मंदिर में विकसित इसके सभी भाग देखे जा सकते हैं.
चंदेल राजाओं ने बनवाया था मंदिर
मंदिर के अर्धमंडप, मंडप, महामंडप और गर्भगृह की बाहरी दीवारों पर कुछ प्रतिमाएं बनी हुईं है. जिन्हें देवी-देवतागण, युग्म और मिथुन कहा जाता है. इसके अलावा मंदिर के बाहरी हिस्से की दीवारों व चबूतरे पर युद्ध, शिकार, हाथी, घोड़े, सैनिक, अपसराओं और मिथुनाकृतियों की नक्काशी की गई है. जानकार जिंतेंद्र रिक्षरिया बताते हैं 'खजुराहो के जो चंदेल राजा हुए, उन्होंने ये मंदिर लगभग 1 हजार साल पहले स्थापित किये. भारत ही नहीं पूरे विश्व में खजुराहो के मंदिर विख्यात हैं.
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मंदिर के बाहर काम और अंदर मिलेंगे भगवान
इस मंदिर की एक विशेषता है कि बाहर आपको काम और अंदर आपको भगवान मिलेंगे. लक्ष्मण मंदिर अपने काम और कला के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. मंदिर के चारों ओर मूर्तियां काम क्रीड़ा करती हुई दिखाई देगी.' विदेश यानि रूस से खजुराहो घूमने आईं पर्यटक एलेना बताती हैं कि 'खजुराहो के मंदिर बहुत ही सुंदर हैं, जो अपनी ओर आकर्षित करते हैं. यहां आकर एलेना को बहुत ही अच्छा लगा. 64 योगनी मंदिर भी बहुत सुंदर बना है.'