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गाजियाबाद: उद्योगपतियों की उम्मीद पर नहीं खरा उतरा बजट, बोले- एमएसएमई सेक्टर का नहीं रखा ध्यान - Union Budget 2024 - UNION BUDGET 2024

केंद्रीय बजट को लेकर गाजियाबाद के उद्योगपति संतुष्ट नहीं दिखे. उनका कहना है कि बजट में एमएसएमई सेक्टर का ध्यान नहीं रखा गया है.

उद्योगपतियों ने कहा- एमएसएमई सेक्टर का नहीं रखा ध्यान
उद्योगपतियों ने कहा- एमएसएमई सेक्टर का नहीं रखा ध्यान (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 23, 2024, 8:17 PM IST

उद्योगपतियों ने कहा- एमएसएमई सेक्टर का नहीं रखा ध्यान (Etv Bharat)

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद इंजीनियरिंग गुड्स के लिए दुनिया भर में मशहूर है. वन जिला वन प्रोडक्ट के तहत गाजियाबाद में इंजीनियरिंग गुड्स का उत्पादन होता है. छोटी बड़ी औद्योगिक इकाइयों को मिलाकर गाजियाबाद में तकरीबन 30 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. केंद्र सरकार ने मंगलवार को बजट जारी कर दिया है. औद्योगिक इकाइयों के संचालकों से बातचीत कर ईटीवी भारत ने पता लगाया कि उद्योगपति बजट को किस तरह से देखते हैं.

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (IIA) के मेरठ डिवीजन के अध्यक्ष और उद्योगपति राकेश अनेजा ने बताया बजट से हमारी उम्मीद रहती है कि बजट ऐसा हो जिससे एमएसएमई सेक्टर को ग्रोथ मिले और औद्योगिक इकाइयां आगे बढ़ सकें. हमें उम्मीद थी कि केंद्र सरकार एक्सपोर्ट को लेकर कोई अहम निर्णय लेगी. एमएसएमई सेक्टर को इंसेंटिव और सब्सिडी मिलेगी. मौजूदा समय में मार्केट ग्लोबल हो रहा है और एमएसएमई इकाइयों का कंप्टीशन भी वैश्विक मार्केट से है. जब तक हमें सरकार से सब्सिडी और इंसेंटिव नहीं मिलेगा तब तक औद्योगिक इकाइयों के लिए ग्रोथ काफी चुनौतीपूर्ण होगा.

ये भी पढ़ें: दिल्ली की गृहणियां हुईं निराश, पसंद नहीं आया मोदी सरकार का 3.0 बजट

राकेश अनेजा ने कहा बजट हमारी उम्मीदों पर खड़ा नहीं उतरा है. एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए इज ऑफ डूइंग बिजनेस और सिंगल विंडो सिस्टम को मजबूती देनी होगी. औद्योगिक इकाइयों के संचालक मौजूदा समय में आधे से ज्यादा समय कंप्लायंसेस को पूरा करने में लगे रहते हैं.

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के एमएसएमई पॉलिसी विभाग के अध्यक्ष और उद्योगपति प्रदीप कुमार गुप्ता के मुताबिक एमएसएमई सेक्टर के लिए बजट उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है. जिस प्रकार कृषि क्षेत्र को सरकार की तरफ से विशेष दर्जा दिया गया है, उसी प्रकार एमएसईबी सेक्टर को भी सरकार को विशेष दर्जा देना चाहिए. कृषि के बाद एमएसएमई सेक्टर दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है. देश में मौजूद 6 करोड़ से अधिक एमएसएमई इकाइयां 31 करोड़ रोजगार उत्पन्न करा रही हैं. 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनामी का लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार को एमएसएमई सेक्टर की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. जिस तरह से कृषि क्षेत्र के लिए कृषि आयोग मौजूद है. उसी तर्ज पर एमएसएमई आयोग का गठन होना चाहिए.

ये भी पढ़ें: 'बजट में दिल्ली को मिला जीरो...', AAP ने साधा मोदी सरकार पर निशाना

उद्योगपति अमित नागलिया ने बताया केंद्रीय बजट में रोजगार एवं कौशल प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए भारत की शीर्ष कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को कौशल प्रशिक्षण दिया जाना एक शानदार कदम है. सरकार की इस पहल से औद्योगिक इकाइयों को क्वालिटी मैनपॉवर उपलब्ध होगी. जिससे कि औद्योगिक इकाइयों के उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी. साथ ही युवाओं को प्रशिक्षण हासिल करने के बाद रोजगार के साधन भी आसानी से उपलब्ध होंगे.

औद्योगिक इकाइयों के संचालकों ने बताया कि मौजूदा समय में एमएसएमई सेक्टर के लिए उद्योग का संचालन करना आसान नहीं है. विभिन्न प्रकार की कंप्लायंस को पूरा करने में संचालक का काफी वक्त चला जाता है. यही वजह है कि जब उद्योगपति औद्योगिक इकाई का संचालन करता है और उसके बच्चे उसे परेशान होता देखती है तो नई पीढ़ी खुद को बिजनेस से दूर करती हुई नजर आती है. संचालकों का कहना है कि जब तक उद्योग से जुड़ी तमाम कंप्लायंसेस को आसान नहीं किया जाएगा तब तक नई पीढ़ी को उद्योग से नहीं जोड़ा जा सकता. नई पीढ़ी उद्योग से जुड़ती है तो इससे न सिर्फ उद्योग आगे बढ़ेंगे बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे.

ये भी पढ़ें: Budget For Delhi: दिल्लीवालों को लगी घोर निराशा हाथ, बजट भाषण में राजधानी का नाम तक नहीं




उद्योगपतियों ने कहा- एमएसएमई सेक्टर का नहीं रखा ध्यान (Etv Bharat)

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद इंजीनियरिंग गुड्स के लिए दुनिया भर में मशहूर है. वन जिला वन प्रोडक्ट के तहत गाजियाबाद में इंजीनियरिंग गुड्स का उत्पादन होता है. छोटी बड़ी औद्योगिक इकाइयों को मिलाकर गाजियाबाद में तकरीबन 30 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. केंद्र सरकार ने मंगलवार को बजट जारी कर दिया है. औद्योगिक इकाइयों के संचालकों से बातचीत कर ईटीवी भारत ने पता लगाया कि उद्योगपति बजट को किस तरह से देखते हैं.

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (IIA) के मेरठ डिवीजन के अध्यक्ष और उद्योगपति राकेश अनेजा ने बताया बजट से हमारी उम्मीद रहती है कि बजट ऐसा हो जिससे एमएसएमई सेक्टर को ग्रोथ मिले और औद्योगिक इकाइयां आगे बढ़ सकें. हमें उम्मीद थी कि केंद्र सरकार एक्सपोर्ट को लेकर कोई अहम निर्णय लेगी. एमएसएमई सेक्टर को इंसेंटिव और सब्सिडी मिलेगी. मौजूदा समय में मार्केट ग्लोबल हो रहा है और एमएसएमई इकाइयों का कंप्टीशन भी वैश्विक मार्केट से है. जब तक हमें सरकार से सब्सिडी और इंसेंटिव नहीं मिलेगा तब तक औद्योगिक इकाइयों के लिए ग्रोथ काफी चुनौतीपूर्ण होगा.

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राकेश अनेजा ने कहा बजट हमारी उम्मीदों पर खड़ा नहीं उतरा है. एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए इज ऑफ डूइंग बिजनेस और सिंगल विंडो सिस्टम को मजबूती देनी होगी. औद्योगिक इकाइयों के संचालक मौजूदा समय में आधे से ज्यादा समय कंप्लायंसेस को पूरा करने में लगे रहते हैं.

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के एमएसएमई पॉलिसी विभाग के अध्यक्ष और उद्योगपति प्रदीप कुमार गुप्ता के मुताबिक एमएसएमई सेक्टर के लिए बजट उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है. जिस प्रकार कृषि क्षेत्र को सरकार की तरफ से विशेष दर्जा दिया गया है, उसी प्रकार एमएसईबी सेक्टर को भी सरकार को विशेष दर्जा देना चाहिए. कृषि के बाद एमएसएमई सेक्टर दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है. देश में मौजूद 6 करोड़ से अधिक एमएसएमई इकाइयां 31 करोड़ रोजगार उत्पन्न करा रही हैं. 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनामी का लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार को एमएसएमई सेक्टर की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. जिस तरह से कृषि क्षेत्र के लिए कृषि आयोग मौजूद है. उसी तर्ज पर एमएसएमई आयोग का गठन होना चाहिए.

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उद्योगपति अमित नागलिया ने बताया केंद्रीय बजट में रोजगार एवं कौशल प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए भारत की शीर्ष कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को कौशल प्रशिक्षण दिया जाना एक शानदार कदम है. सरकार की इस पहल से औद्योगिक इकाइयों को क्वालिटी मैनपॉवर उपलब्ध होगी. जिससे कि औद्योगिक इकाइयों के उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी. साथ ही युवाओं को प्रशिक्षण हासिल करने के बाद रोजगार के साधन भी आसानी से उपलब्ध होंगे.

औद्योगिक इकाइयों के संचालकों ने बताया कि मौजूदा समय में एमएसएमई सेक्टर के लिए उद्योग का संचालन करना आसान नहीं है. विभिन्न प्रकार की कंप्लायंस को पूरा करने में संचालक का काफी वक्त चला जाता है. यही वजह है कि जब उद्योगपति औद्योगिक इकाई का संचालन करता है और उसके बच्चे उसे परेशान होता देखती है तो नई पीढ़ी खुद को बिजनेस से दूर करती हुई नजर आती है. संचालकों का कहना है कि जब तक उद्योग से जुड़ी तमाम कंप्लायंसेस को आसान नहीं किया जाएगा तब तक नई पीढ़ी को उद्योग से नहीं जोड़ा जा सकता. नई पीढ़ी उद्योग से जुड़ती है तो इससे न सिर्फ उद्योग आगे बढ़ेंगे बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे.

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