ETV Bharat / state

जानिए यूपी के वे 6 स्थान जहां अवतरित हुए भगवान बुद्ध, कपिलवस्तु से कैसे बदल गया उनका जीवन?, पढ़िए डिटेल - Buddha Purnima 2024

Intro:- कपिलवस्तु में जीवन के शुरुआती 29 वर्ष व्यतीत किए भगवान बुद्ध ने - विदेशी पर्यटक को बढ़ावा देने के लिए 193 एकड़ की भूमि में तैयार हो रहा है बुद्ध सर्किट- कौशांबी में 75 एकड़ और कुशीनगर में 50 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई गई है

श्रावस्ती ने भगवान ने 25 साल गुजारे थे.
श्रावस्ती ने भगवान ने 25 साल गुजारे थे. (PHOTO Credit; Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 23, 2024, 7:40 AM IST

Updated : May 23, 2024, 8:23 AM IST

लखनऊ : आज (23 मई) देश में बुद्ध पूर्णिमा धूमधाम से मनाई जा रही है. यूपी पूरी दुनिया में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों के रूप में जानी जाती है. भगवान बुद्ध से जुड़े सर्वाधिक स्थल उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थित हैं. पूरी दुनिया में भगवान बुद्ध के अनुयायी हैं. वे भगवान बुद्ध के पौराणिक स्थलों के दर्शन के लिए थाईलैंड, कंबोडिया, म्यांमार, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, मंगोलिया, हॉन्ग कोंग, जापान, सिंगापुर, ताइवान, कोरिया जैसे देशों में जाते हैं. उत्तर प्रदेश में विदेशी पर्यटकों की आमद काफी कम है. जबकि भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े प्रमुख 6 स्थल यूपी में ही मौजूद हैं.

प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश कुमार मेश्राम ने बताया कि उत्तर प्रदेश में भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े प्रमुख 6 स्थल हैं. सिद्धार्थनगर जिले में स्थित कपिलवस्तु में सिद्धार्थ गौतम ने शुरुआती 29 साल व्यतीत किए. यहीं पर वृद्ध, बीमार, शव तथा संन्यासी देखकर उनका व्यथित हुआ और वह राज-महल त्यागकर सत्य की खोज में निकल पड़े. श्रावस्ती वह स्थान है, जहां गौतम बुद्ध ने जेतवन में 25 साल गुजारे. संकिसा में भगवान बुद्ध देवलोक से पृथ्वी पर अवतरित हुए थे. कौशाम्बी में बुद्ध ने बुद्धत्व के छठे और नौवें वर्ष व्यतीत किए.

कौशांबी के दो गांवों में मौजूद हैं भगवान बुद्ध की स्मृतियां.
कौशांबी के दो गांवों में मौजूद हैं भगवान बुद्ध की स्मृतियां. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

रामग्राम स्तूप में भगवान बुद्ध के अवशेष मौजूद : वाराणसी जिले में स्थित सारनाथ जहां 2,500 साल पहले भगवान बुद्ध ने अपने पहले पांच शिष्यों को 'चार आर्य सत्य' का प्रथम धर्म उपदेश दिया था, जो 21वीं सदी में कई समस्याओं के समाधान के लिए प्रासंगिक है. कुशीनगर वह स्थान है, जहां गौतम बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था. जिला महराजगंज में स्थित रामग्राम कोलिय साम्राज्य का प्रमुख नगर था. मान्यता है कि रामग्राम स्तूप में भगवान बुद्ध के अवशेष मौजूद हैं. महराजगंज में स्थित देवदह की पहचान, रानी मायादेवी, प्रजापति गौतमी और राजकुमारी यशोधरा के मायके के रूप में की जाती है.

सारनाथ से रहा है भगवान बुद्धा का गहरा नाता.
सारनाथ से रहा है भगवान बुद्धा का गहरा नाता. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

बुद्धिस्ट सर्किट में काफी संख्या में आते हैं पर्यटक : प्रमुख सचिव ने बताया कि ऐसे में भगवान बुद्ध के अनुयायी उत्तर प्रदेश का रुख करें, इसके लिए विभाग कई बड़ी परियोजनाओं पर काम कर रहा है. प्रमुख सचिव ने बताया कि बुद्धिस्ट सर्किट में स्थित पर्यटन स्थलों पर बड़ी संख्या में पर्यटकों का आवागमन होता है. इसके लिए पर्यटन विभाग ने इन सभी बुद्ध सर्किट स्थलों को आपस में जोड़ने के लिए 193 एकड़ की भूमि पूरे प्रदेश में चिह्नित की है इसमें से सबसे ज्यादा कौशांबी जिले में 75 एकड़ और दूसरे नंबर पर कुशीनगर में 50 एकड़ की भूमि चिन्हित की गई है. यहां पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत निर्माण कार्य शुरू कराए गए हैं.

कुशीनगर में  भगवान को महानिर्वाण प्राप्त हुआ था.
कुशीनगर में भगवान को महानिर्वाण प्राप्त हुआ था. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

कपिलवस्तु में पर्यटन विकास के लिए 33 एकड़ की भूमि चिन्हित : प्रमुख सचिव ने बताया कि इसके अलावा गोरखपुर स्थित कपिलवस्तु में पर्यटन विकास के लिए 33 एकड़ की भूमि चिन्हित की गई है. विभाग ने यहां पर 60 वर्षों की लिस्ट अवधि के लिए हेलीकॉप्टर सेवा और रही पर्यटन गेस्ट हाउस की परियोजना पीपीपी मॉडल पर शुरू किया है. श्रावस्ती जिले के इकौना तहसील में चक्र भंडार गांव में 12.54 एकड़ भूमि पर पर्यटन विकास के लिए चिन्हित किया गया है.

भगवान बुद्ध से जुड़े कई स्थान यूपी में हैं.
भगवान बुद्ध से जुड़े कई स्थान यूपी में हैं. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

यूपी में दुनियाभर के पर्यटकों को लाने का प्रयास : प्रमुख सचिव ने बताया कि उत्तर प्रदेश की वह धन्य भूमि हैं, जहां भगवान गौतम बुद्ध से जुड़े स्थल हैं. यहां पर्यटक सुविधाओं का विकास किया जा रहा है और निवेशकों को उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति 2022 के तहत विशेष लाभ दिया जा रहा है. हमारा प्रयास है कि यहां देश-दुनिया से अधिक से अधिक पर्यटक आएं और सुखद अनुभूति लेकर लौटें. जब अच्छा अनुभव लेकर लौटेंगे तो अपने देश-प्रदेश में दूसरे लोगों को यूपी भ्रमण के लिए प्रेरित करेंगे.

यह भी पढ़ें : लोकसभा चुनाव में राजा भैया की पार्टी ने दिया अखिलेश यादव को समर्थन, अनुप्रिया पटेल के बयान के बाद BJP से बढ़ी दूरियां

लखनऊ : आज (23 मई) देश में बुद्ध पूर्णिमा धूमधाम से मनाई जा रही है. यूपी पूरी दुनिया में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों के रूप में जानी जाती है. भगवान बुद्ध से जुड़े सर्वाधिक स्थल उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थित हैं. पूरी दुनिया में भगवान बुद्ध के अनुयायी हैं. वे भगवान बुद्ध के पौराणिक स्थलों के दर्शन के लिए थाईलैंड, कंबोडिया, म्यांमार, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, मंगोलिया, हॉन्ग कोंग, जापान, सिंगापुर, ताइवान, कोरिया जैसे देशों में जाते हैं. उत्तर प्रदेश में विदेशी पर्यटकों की आमद काफी कम है. जबकि भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े प्रमुख 6 स्थल यूपी में ही मौजूद हैं.

प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश कुमार मेश्राम ने बताया कि उत्तर प्रदेश में भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े प्रमुख 6 स्थल हैं. सिद्धार्थनगर जिले में स्थित कपिलवस्तु में सिद्धार्थ गौतम ने शुरुआती 29 साल व्यतीत किए. यहीं पर वृद्ध, बीमार, शव तथा संन्यासी देखकर उनका व्यथित हुआ और वह राज-महल त्यागकर सत्य की खोज में निकल पड़े. श्रावस्ती वह स्थान है, जहां गौतम बुद्ध ने जेतवन में 25 साल गुजारे. संकिसा में भगवान बुद्ध देवलोक से पृथ्वी पर अवतरित हुए थे. कौशाम्बी में बुद्ध ने बुद्धत्व के छठे और नौवें वर्ष व्यतीत किए.

कौशांबी के दो गांवों में मौजूद हैं भगवान बुद्ध की स्मृतियां.
कौशांबी के दो गांवों में मौजूद हैं भगवान बुद्ध की स्मृतियां. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

रामग्राम स्तूप में भगवान बुद्ध के अवशेष मौजूद : वाराणसी जिले में स्थित सारनाथ जहां 2,500 साल पहले भगवान बुद्ध ने अपने पहले पांच शिष्यों को 'चार आर्य सत्य' का प्रथम धर्म उपदेश दिया था, जो 21वीं सदी में कई समस्याओं के समाधान के लिए प्रासंगिक है. कुशीनगर वह स्थान है, जहां गौतम बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था. जिला महराजगंज में स्थित रामग्राम कोलिय साम्राज्य का प्रमुख नगर था. मान्यता है कि रामग्राम स्तूप में भगवान बुद्ध के अवशेष मौजूद हैं. महराजगंज में स्थित देवदह की पहचान, रानी मायादेवी, प्रजापति गौतमी और राजकुमारी यशोधरा के मायके के रूप में की जाती है.

सारनाथ से रहा है भगवान बुद्धा का गहरा नाता.
सारनाथ से रहा है भगवान बुद्धा का गहरा नाता. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

बुद्धिस्ट सर्किट में काफी संख्या में आते हैं पर्यटक : प्रमुख सचिव ने बताया कि ऐसे में भगवान बुद्ध के अनुयायी उत्तर प्रदेश का रुख करें, इसके लिए विभाग कई बड़ी परियोजनाओं पर काम कर रहा है. प्रमुख सचिव ने बताया कि बुद्धिस्ट सर्किट में स्थित पर्यटन स्थलों पर बड़ी संख्या में पर्यटकों का आवागमन होता है. इसके लिए पर्यटन विभाग ने इन सभी बुद्ध सर्किट स्थलों को आपस में जोड़ने के लिए 193 एकड़ की भूमि पूरे प्रदेश में चिह्नित की है इसमें से सबसे ज्यादा कौशांबी जिले में 75 एकड़ और दूसरे नंबर पर कुशीनगर में 50 एकड़ की भूमि चिन्हित की गई है. यहां पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत निर्माण कार्य शुरू कराए गए हैं.

कुशीनगर में  भगवान को महानिर्वाण प्राप्त हुआ था.
कुशीनगर में भगवान को महानिर्वाण प्राप्त हुआ था. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

कपिलवस्तु में पर्यटन विकास के लिए 33 एकड़ की भूमि चिन्हित : प्रमुख सचिव ने बताया कि इसके अलावा गोरखपुर स्थित कपिलवस्तु में पर्यटन विकास के लिए 33 एकड़ की भूमि चिन्हित की गई है. विभाग ने यहां पर 60 वर्षों की लिस्ट अवधि के लिए हेलीकॉप्टर सेवा और रही पर्यटन गेस्ट हाउस की परियोजना पीपीपी मॉडल पर शुरू किया है. श्रावस्ती जिले के इकौना तहसील में चक्र भंडार गांव में 12.54 एकड़ भूमि पर पर्यटन विकास के लिए चिन्हित किया गया है.

भगवान बुद्ध से जुड़े कई स्थान यूपी में हैं.
भगवान बुद्ध से जुड़े कई स्थान यूपी में हैं. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

यूपी में दुनियाभर के पर्यटकों को लाने का प्रयास : प्रमुख सचिव ने बताया कि उत्तर प्रदेश की वह धन्य भूमि हैं, जहां भगवान गौतम बुद्ध से जुड़े स्थल हैं. यहां पर्यटक सुविधाओं का विकास किया जा रहा है और निवेशकों को उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति 2022 के तहत विशेष लाभ दिया जा रहा है. हमारा प्रयास है कि यहां देश-दुनिया से अधिक से अधिक पर्यटक आएं और सुखद अनुभूति लेकर लौटें. जब अच्छा अनुभव लेकर लौटेंगे तो अपने देश-प्रदेश में दूसरे लोगों को यूपी भ्रमण के लिए प्रेरित करेंगे.

यह भी पढ़ें : लोकसभा चुनाव में राजा भैया की पार्टी ने दिया अखिलेश यादव को समर्थन, अनुप्रिया पटेल के बयान के बाद BJP से बढ़ी दूरियां

Last Updated : May 23, 2024, 8:23 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.