सहारनपुर : बसपा सुप्रीमो मायावती ने डॉ. भीम राव आंबेडकर जयंती के दिन सहारनपुर से यूपी में चुनाव का शंखनाद कर दिया. मायावती ने सहारनपुर के थाना नागल इलाके के खटोली में चुनावी जनसभा को संबोधित किया. वहीं मुजफ्फरनगर में बसपा सुप्रीमो ने कहा कि हमारी सरकार बनने पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाया जाएगा और साथ ही हाईकोर्ट बेंच भी बनाई जाएगी.इस दौरान बसपा सुप्रीमो ने न सिर्फ भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला बल्कि कांग्रेस को भी आड़ेहाथों लिया. मायावती ने कांग्रेस को भाजपा की B पार्टी बताया. साथ ही दलित-मुस्लिम गठजोड़ के साथ ठाकुर समाज को साधने की कोशिश की.
पूर्व मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती रविवार को सहारनपुर पहुंचीं. बसपा सुप्रीमो के हेलीकॉप्टर से रैलीस्थल पर पहुंचते ही समर्थकों ने नारेबाजी शुरू कर दी. विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए पूर्व सीएम मायावती ने मंच से भाजपा पर जमकर हमला बोला. भाषण शुरू करने से पहले मायावती ने मंच पर बाबा साहेब डॉ. भीम राव आंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित किए.
भाजपा की B पार्टी है कांग्रेस
मायावती कहा कि हमारी पार्टी कांग्रेस, भाजपा या किसी भी विरोधी पार्टी के साथ गठबंधन में नहीं है बल्कि अकेले ही अपने बलबूते पर पुरी तैयारी से चुनाव लड़ रही है. उन्होंने टिकट बंटवारे में सर्व समाज के लोगों को भागेदारी दी है. जिन्हे जिताने के लिए पार्टी के लोग जी जान से लगे हैं. यहां भीड़ देख कर उन्हे भरोसा हो गया है कि पिछली बार की तरह ही पार्टी को जीत मिलेगी. मायावती ने कांग्रेस को आड़ेहाथ लिया. कहा कि आजादी के बाद ज्यादातर सरकारें कांग्रेस की रही हैं. दलित, आदिवासी, पिछडा वर्ग विरोधी नीतियों के चलते इस पार्टी को केंद्र और राज्यों से बाहर होना पड़ा. यही स्थिति इनकी सहयोगी पार्टियों की बनी रही है. कांग्रेस भाजपा की बी पार्टी बनकर काम कर रही है. जब-जब बसपा ने सहारनपुर सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव में उतारा है, तब-तब कांग्रेस ने भी उनके खिलाफ मुस्लिम प्रत्याशी भेजा है.
सत्ता में नहीं लौटेगी भाजपा
मायावती ने भाजपा पर भी जमकर हमला बोला. कहा कि पिछले दस सालों में बीजेपी और इनके सहयेागी दल केंद्र तथा अधिकांश राज्यों में सत्ता में आए. बीजेपी की जातिवादी, पूंजिवादी नीतियों तथा इनकी कथनी और करनी में भी अंतर होने से इस बार यह लगता है कि यह इस बार केंद्र की सत्ता में वापस आने वाली नहीं है. कहा कि इस बार चुनाव में इनकी कोई नाटकबाजी, जुमलेबाजी और गारंटी आदि काम आने वाली नहीं है. जनता इस बात को समझ चुकी है कि इनकी पार्टी ने गरीबों, कमजोर वर्गों और मेहनतकश वर्गों से जो हवाहवाई वादे और गांरटी की थी, उनका जमीनी हकीकत में अब तक एक चौथाई भी नहीं हो सका है. पूंजिपतियों को ही मालामाल किया गया है. सरकार उन्हें छूट देने और बचाने में ही लगी रही है.
पश्चिम उत्तर प्रदेश बनेगा अलग राज्य
मुजफ्फरनगर में मायावती ने कहा कि हमारी सरकार बनने पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाया जाएगा और साथ ही पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच भी बनाई जाएगी. कहा कि हमारी पार्टी किसी भी मामले में कहने में कम और काम करने में ज्यादा विश्वास रखती है. इसीलिए बसपा कभी घोषणा पत्र जारी नहीं करती.
सहारनपुर से माजिद और कैराना सीट से श्रीपाल राणा हैं प्रत्याशी
गौतलब है कि सहारनपुर लोकसभा सीट पर बसपा ने माजिद अली जबकि कैराना सीट पर श्रीपाल राणा को टिकट दिया है. मायावती कैराना और सहारनपुर के दोनों प्रत्याशियों के लिए वोट की अपील करने आई थीं. मंच से मायावती ने बसपा के दोनों प्रत्याशियों को जिताने की अपील की. इस दौरान मायावती ने दलित-मुस्लिम मतदाताओं पर जोर दिया. हालांकि उन्होंने राजपूत समाज के साथ ओबीसी वर्ग को भी बसपा के साथ आने की अपील की. रैली में पहुंची भीड़ को देखकर बसपा सुप्रीमो काफी खुश नजर आईं.
गाजीपुर से बीएसपी ने उमेश सिंह को बनाया प्रत्याशी
BSP ने गाजीपुर संसदीय क्षेत्र से डॉ. उमेश सिंह को अपना कैंडिडेट बनाया है. डॉ. उमेश सिंह मूलतः सैदपुर के मुड़ियार गांव के रहने वाले हैं. छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति में आए हैं. उमेश ने BHU से विज्ञान वर्ग से स्नातक कर एलएलबी और एलएलएम की भी डिग्री हासिल की. इस दौरान वह छात्र राजनीति मे सक्रिय रहे. 1991-92 में वह BHU के छात्रसंघ महामंत्री चुने गए. नेट की परीक्षा पास कर इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से कानून (लॉ) में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की.
केजरीवाल के साथी रहे हैं उमेश
उमेश ने बताया कि जब अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्र्ष्टाचार के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान में राष्ट्रव्यापी आंदोलन का आगाज हुआ, वह भी अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण, जनरल बीके सिंह, प्रो. आनन्द कुमार, प्रो. योगेंद्र यादव, पूर्व आईपीएस किरण बेदी के साथ इस आंदोलन की कोर टीम में शामिल रहे. 2014 में जब नरेंद्र मोदी वाराणसी में लोकसभा चुनाव लड़ने आये तो वह बनारस में छात्रनेताओं को लेकर अरविंद केजरीवाल के साथ रहे. उनकी संगठन और आंदोलन की समझ को देखते हुए अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के बिहार प्रांत का चुनाव प्रभारी भी बनाया, लेकिन केजरीवाल कीकथनी और करनी मे अंतर को देखते हुए जल्द ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया.
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