लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कथित रेप पीड़िता और उसके साथी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आत्मदाह के मामले में बसपा सांसद अतुल राय को मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. अंतरिम जमानत की अवधि 22 मार्च 2024 तक होगी. न्यायालय ने अंतरिम जमानत की शर्तों के अनुसार अतुल राय को देश के भीतर ही इलाज कराना होगा. इसके साथ ही वह किसी रैली अथवा पब्लिक मीटिंग में भी भाग नहीं लेंगे. यह आदेश न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खान की एकल पीठ ने अतुल राय की अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र पर पारित किया.
अभियुक्त की ओर से खुद को गंभीर रूप से बीमार होने का हवाला देते हुए कहा गया कि वह 27 जुलाई 2019 से जेल में बंद है. इस दौरान तमाम गम्भीर बीमारियों से वह ग्रसित हो चुका है. सुविधाएं न होने के कारण उसका इलाज नहीं हो पा रहा है. मामले में पूर्व की सुनवाइयों के दौरान न्यायालय ने चिकित्सीय आख्याएं तलब कीं. इनमें अभियुक्त के कान में गम्भीर बीमारी, चक्कर, सिर दर्द और मेमोरी लॉस जैसी समायाओं की पुष्टि हुई. अभियुक्त की ओर से उसके आंख की रोशनी घटने और ब्लड प्रेशर आदि की समस्याओं की भी बात कही गई.
वहीं राज्य सरकार की ओर से अंतरिम जमानत का विरोध किया गया. कहा गया कि अभियुक्त को नैनी जेल के मेडिकल अधीक्षक ने तीन सप्ताह तक यात्रा न करने की सलाह दी है. ऐसे में उसे फिलहाल अंतरिम जमानत पर रिहा करने का कोई औचित्य नहीं है. हालांकि, न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त को एम्स, दिल्ली में दिखाने की सलाह दी गई है. यह विश्वास करना मुश्किल है कि एक मरीज को सिर में चक्कर आने की दवा लेने के कारण कैंसर जैसी बीमारी के इलाज के लिए यात्रा करने से ही रोक दिया जाए.
न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ अभियुक्त को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. उल्लेखनीय है कि इस मामले में अतुल राय और पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर पर कथित रेप पीड़िता और उसके साथी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है. पीड़िता ने अतुल राय के खिलाफ दुराचार की एफआईआर लिखाई थी. हालांकि, दुराचार के मामले में वह बरी हो चुका है.