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उपचुनाव में बसपा जीरो; इस बार भी तीसरे नंबर से आगे नहीं बढ़ सका हाथी, जानें वोटरों का क्यों मोह हो रहा भंग?

UP By-Election Result 2024; उत्तर प्रदेश में उपचुनाव की तस्वीर लगभग क्लीयिर हो चुकी है. बसपा को इस बार भी निराशा हाथ लगी है.

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बसपा सुप्रीमो मायावती. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी के सितारे लगातार गर्दिश में चल रहे हैं. हर चुनाव में बसपा उम्मीदवार तीसरे नंबर पर ही रहते हैं. पिछले कई चुनावों में बसपा को कई भी प्रत्याशी दूसरे नंबर पर अपनी जगह नहीं बनाया है. उपचुनाव में बड़े दावे के साथ मायावती ने अपने प्रत्याशियों को रण में उतारा था, लेकिन नतीजा हर बार की तरह रहा. लोकसभा फिर विधानसभा और अब उपचुनाव में बसपा की हालत पतली ही होती जा रही है. बहुजन समाज पार्टी को इस उपचुनाव में सीट भी नहीं मिली और वोट प्रतिशत भी धड़ाम हो गया है. हालत यह है कि उपचुनाव में बसपा के उम्मीदवार ने जो वोट पाए हैं, वह अपने बलबूते पर पाए हैं. बसपा के शीर्ष नेतृत्व से कुछ खास मदद नहीं मिली. पार्टी की ओर से टिकट देकर अकेला मैदान में छोड़ दिया गया था.

बीएसपी सुप्रीमो समेत बड़े नेताओं ने बनाई दूरी
बहुजन समाज पार्टी ने नौ विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने के लिए 40 स्टार प्रचारक भी बनाए थे, लेकिन ज्यादातर स्टार प्रचारक पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में रैली या जनसभा करने तक नहीं उतरे. बसपा सुप्रीमो मायावती खुद एक भी उम्मीदवार के लिए रैली या जनसभा करने नहीं गईं. पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर व उत्तराधिकारी आकाश आनंद ने भी उत्तर प्रदेश में होने वाले इस चुनाव से दूरी बनाए रखी. बड़े नेताओं के मैदान में न उतरने से पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा.

'सेफ हाउस' से बाहर नहीं निकलने का खामियाजा
लगातार बसपा के चुनाव हारने और तीसरे नंबर पर रहने का कारण राजनीतिक जानकार मायावती को ही मानते हैं. यह बात कार्यकर्ता और बसपा के कोर वोटर भी कहने लगे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि मायावती की महत्वाकांक्षा पार्टी के लिए भारी पड़ रही है. मायवती बसपा में किसी को आगे बढ़ने नहीं देती हैं, सारे अधिकार अपने पास रखती हैं. मायावती के अलावा बसपा में कोई दूसरा चेहरा नहीं है, जो जनता के बीच लोकप्रिय हो और उनकी सुख-दुख में खड़ा रहे. बसपा सुप्रीमो भी सिर्फ चुनाव के समय ही कभी-कभी बाहर निकलती हैं. बाकी दिनों में अपने बनाए 'सेफ हाउस' में ही कैद रहती हैं. उपचुनाव में तो मायावती ने एक भी चुनावी रैली नहीं की. इतना ही नहीं भतीजे आकाश आनंद को भी नहीं मैदान में उतारा.

जनता से मोहभंग बढ़ा रही सत्ता से दूरी
राजनीतिक जानकारों के मानें तो मायावती या बसपा का कोई भी बड़ा नेता दलित समाज के किसी मुद्दे को जमीन स्तर पर कभी नहीं उठाता. प्रदेश के किसी भी हिस्सों में दलित समाज या अन्य किसी के खिलाफ घटना या दुर्घटना हो तो मायावती कभी नहीं जाती हैं. इसके अलावा न ही कभी किसी मुद्दे को लेकर रैली और धरना प्रदर्शन करती हैं. कभी-कभी कुछ लोगों से अपने आवास कार्यालय में ही मिलती हैं. इसके अलावा पिछले कुछ दिनों से X पोस्ट पर टिप्पणी करने लगी हैं. लोकसभा चुनाव में आकाश आनंद थोड़ी बहुत कार्यकर्ताओं के बीच जगह बनाने में सफल हो रहे थे लेकिन बुआ ने बैकफुट पर ला दिया था. जिसकी वजह से लगातार बसपा गर्त जा रही है.

वोट प्रतिशत भी गिरा
बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनाव में जिन प्रत्याशियों ने कुछ अच्छा प्रदर्शन किसी सीट पर किया भी था, वहां भी उपचुनाव में पार्टी की हालत खस्ता हो गई है. हर सीट पर पार्टी का मत प्रतिशत घटा ही है. कोई ऐसी सीट सामने नहीं आई जिस सीट पर 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव से बेहतर मत प्रतिशत किसी प्रत्याशी का सामने आया हो.

2022 के विधानसभा चुनाव में ऐसा रहा था पार्टी का प्रदर्शन
विधानसभा चुनाव 2022 में सीसामऊ विधानसभा सीट से रजनीश तिवारी ने चुनाव लड़ा था. 2937 वोट हासिल किए थे और मत प्रतिशत 1.88 फीसद रहा था. कुंदरकी विधानसभा सीट से मोहम्मद रिजवान 42,742 वोट पाए थे और 15.73 फीसद मत मिले थे. मीरापुर विधानसभा सीट पर सलीम कुरैशी को 23,797 वोट मिले थे और 10.98 मत प्रतिशत रहा. करहल विधानसभा सीट पर कुलदीप नारायण प्रत्याशी को 15,701 वोट मिले थे. 6.37 फीसद मत प्रतिशत रहा था. मझवां विधानसभा सीट पर पुष्पलता बिंद को 52,990 वोट मिले थे और 21.59 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे. कटेहरी से प्रतीक पांडेय मैदान को 58,482 वोट मिले थे. मत प्रतिशत 23.5 फीसद रहा था. फूलपुर से राम तोलन यादव को 33,026 वोट पाए थे. 13.35 प्रतिशत मत हासिल किए थे. गाजियाबाद से कृष्ण कुमार को 32,691 वोट मिले थे. 13.36 मत प्रतिशत रहा था. खैर विधानसभा सीट से चारु केन को 65302 वोट मिले थे. मत प्रतिशत 25.98 रहा था.

विधानसभा चुनाव में मिले थे सिर्फ 12.88 फीसदी वोट
बता दें कि बहुजन समाज पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में 403 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक सीट जीतने में कामयाब हो पाई थी. बलिया के रसड़ा विधानसभा सीट से उमाशंकर इकलौते विधायक चुने गए थे, जो हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान बगावत कर दी थी. विधानसभा चुनाव 2022 में बसपा को सिर्फ 12.88 (1,18,73,137) फीसदी वोट ही मिले थी. वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 में बसपा का खाता नहीं खुला था. लोकसभा चुनाव में 79 सीटों पर लड़ने वाली बसपा को कुल 8,233,562 वोट यानि 9.39 फीसदी वोट मिले थे. 2022 से शुरु हुआ बसपा का पतन उपचुनाव में भी जारी रहा.

इसे भी पढ़ें-UP By Election 2024 Results LIVE; अब तक 5 सीटों के नतीजे घोषित, भाजपा गठबंधन को 3, सपा को 2 मिलीं

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी के सितारे लगातार गर्दिश में चल रहे हैं. हर चुनाव में बसपा उम्मीदवार तीसरे नंबर पर ही रहते हैं. पिछले कई चुनावों में बसपा को कई भी प्रत्याशी दूसरे नंबर पर अपनी जगह नहीं बनाया है. उपचुनाव में बड़े दावे के साथ मायावती ने अपने प्रत्याशियों को रण में उतारा था, लेकिन नतीजा हर बार की तरह रहा. लोकसभा फिर विधानसभा और अब उपचुनाव में बसपा की हालत पतली ही होती जा रही है. बहुजन समाज पार्टी को इस उपचुनाव में सीट भी नहीं मिली और वोट प्रतिशत भी धड़ाम हो गया है. हालत यह है कि उपचुनाव में बसपा के उम्मीदवार ने जो वोट पाए हैं, वह अपने बलबूते पर पाए हैं. बसपा के शीर्ष नेतृत्व से कुछ खास मदद नहीं मिली. पार्टी की ओर से टिकट देकर अकेला मैदान में छोड़ दिया गया था.

बीएसपी सुप्रीमो समेत बड़े नेताओं ने बनाई दूरी
बहुजन समाज पार्टी ने नौ विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने के लिए 40 स्टार प्रचारक भी बनाए थे, लेकिन ज्यादातर स्टार प्रचारक पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में रैली या जनसभा करने तक नहीं उतरे. बसपा सुप्रीमो मायावती खुद एक भी उम्मीदवार के लिए रैली या जनसभा करने नहीं गईं. पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर व उत्तराधिकारी आकाश आनंद ने भी उत्तर प्रदेश में होने वाले इस चुनाव से दूरी बनाए रखी. बड़े नेताओं के मैदान में न उतरने से पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा.

'सेफ हाउस' से बाहर नहीं निकलने का खामियाजा
लगातार बसपा के चुनाव हारने और तीसरे नंबर पर रहने का कारण राजनीतिक जानकार मायावती को ही मानते हैं. यह बात कार्यकर्ता और बसपा के कोर वोटर भी कहने लगे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि मायावती की महत्वाकांक्षा पार्टी के लिए भारी पड़ रही है. मायवती बसपा में किसी को आगे बढ़ने नहीं देती हैं, सारे अधिकार अपने पास रखती हैं. मायावती के अलावा बसपा में कोई दूसरा चेहरा नहीं है, जो जनता के बीच लोकप्रिय हो और उनकी सुख-दुख में खड़ा रहे. बसपा सुप्रीमो भी सिर्फ चुनाव के समय ही कभी-कभी बाहर निकलती हैं. बाकी दिनों में अपने बनाए 'सेफ हाउस' में ही कैद रहती हैं. उपचुनाव में तो मायावती ने एक भी चुनावी रैली नहीं की. इतना ही नहीं भतीजे आकाश आनंद को भी नहीं मैदान में उतारा.

जनता से मोहभंग बढ़ा रही सत्ता से दूरी
राजनीतिक जानकारों के मानें तो मायावती या बसपा का कोई भी बड़ा नेता दलित समाज के किसी मुद्दे को जमीन स्तर पर कभी नहीं उठाता. प्रदेश के किसी भी हिस्सों में दलित समाज या अन्य किसी के खिलाफ घटना या दुर्घटना हो तो मायावती कभी नहीं जाती हैं. इसके अलावा न ही कभी किसी मुद्दे को लेकर रैली और धरना प्रदर्शन करती हैं. कभी-कभी कुछ लोगों से अपने आवास कार्यालय में ही मिलती हैं. इसके अलावा पिछले कुछ दिनों से X पोस्ट पर टिप्पणी करने लगी हैं. लोकसभा चुनाव में आकाश आनंद थोड़ी बहुत कार्यकर्ताओं के बीच जगह बनाने में सफल हो रहे थे लेकिन बुआ ने बैकफुट पर ला दिया था. जिसकी वजह से लगातार बसपा गर्त जा रही है.

वोट प्रतिशत भी गिरा
बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनाव में जिन प्रत्याशियों ने कुछ अच्छा प्रदर्शन किसी सीट पर किया भी था, वहां भी उपचुनाव में पार्टी की हालत खस्ता हो गई है. हर सीट पर पार्टी का मत प्रतिशत घटा ही है. कोई ऐसी सीट सामने नहीं आई जिस सीट पर 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव से बेहतर मत प्रतिशत किसी प्रत्याशी का सामने आया हो.

2022 के विधानसभा चुनाव में ऐसा रहा था पार्टी का प्रदर्शन
विधानसभा चुनाव 2022 में सीसामऊ विधानसभा सीट से रजनीश तिवारी ने चुनाव लड़ा था. 2937 वोट हासिल किए थे और मत प्रतिशत 1.88 फीसद रहा था. कुंदरकी विधानसभा सीट से मोहम्मद रिजवान 42,742 वोट पाए थे और 15.73 फीसद मत मिले थे. मीरापुर विधानसभा सीट पर सलीम कुरैशी को 23,797 वोट मिले थे और 10.98 मत प्रतिशत रहा. करहल विधानसभा सीट पर कुलदीप नारायण प्रत्याशी को 15,701 वोट मिले थे. 6.37 फीसद मत प्रतिशत रहा था. मझवां विधानसभा सीट पर पुष्पलता बिंद को 52,990 वोट मिले थे और 21.59 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे. कटेहरी से प्रतीक पांडेय मैदान को 58,482 वोट मिले थे. मत प्रतिशत 23.5 फीसद रहा था. फूलपुर से राम तोलन यादव को 33,026 वोट पाए थे. 13.35 प्रतिशत मत हासिल किए थे. गाजियाबाद से कृष्ण कुमार को 32,691 वोट मिले थे. 13.36 मत प्रतिशत रहा था. खैर विधानसभा सीट से चारु केन को 65302 वोट मिले थे. मत प्रतिशत 25.98 रहा था.

विधानसभा चुनाव में मिले थे सिर्फ 12.88 फीसदी वोट
बता दें कि बहुजन समाज पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में 403 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक सीट जीतने में कामयाब हो पाई थी. बलिया के रसड़ा विधानसभा सीट से उमाशंकर इकलौते विधायक चुने गए थे, जो हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान बगावत कर दी थी. विधानसभा चुनाव 2022 में बसपा को सिर्फ 12.88 (1,18,73,137) फीसदी वोट ही मिले थी. वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 में बसपा का खाता नहीं खुला था. लोकसभा चुनाव में 79 सीटों पर लड़ने वाली बसपा को कुल 8,233,562 वोट यानि 9.39 फीसदी वोट मिले थे. 2022 से शुरु हुआ बसपा का पतन उपचुनाव में भी जारी रहा.

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