रायपुर: आज हम छत्तीसगढ़ विधानसभा की एक ऐसी सीट और भाजपा नेता की बात करने जा रहे हैं, जिन्हें हराने में अब तक कांग्रेस लगातार नाकाम रही है. इस सीट से जहां एक ओर भाजपा ने अपने एक ही नेता को हर बार टिकट दिया, वहीं दूसरी और कांग्रेस ने चेहरा बदलकर उम्मीदवार मैदान में उतारा. बावजूद इसके भाजपा उम्मीदवार इन कांग्रेस के उम्मीदवारों को एक के बाद एक पटकनी देने में कामयाब रहा.
बृजमोहन अग्रवाल की जीत का रिकॉर्ड: ये सीट है छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के अंतर्गत आने वाले विधानसभा सीट रायपुर दक्षिण की. यहां से भाजपा ने हर बार बृजमोहन अग्रवाल को उम्मीदार बनाया. जिसके बाद हर बार कांग्रेस के उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस का कोई भी धुरंधर नेता बृजमोहन के इस किले को नहीं ढहा सका.
40 साल से बृजमोहन अग्रवाल की जीत: भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल 1990 से लेकर अब तक हुए विधानसभा चुनाव में कभी नहीं हारे. उन्होंने हर बार चुनाव जीता है. बृजमोहन अग्रवाल ने अविभाजित मध्य प्रदेश के दौरान 1990 में रायपुर टाउन से विधानसभा चुनाव जीता था. इसके बाद 1993 और 1998 में भी वे इसी सीट से विधायक चुने गए. मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में भी बृजमोहन अग्रवाल ने इसी सीट चुनाव लड़ा ओर जीत हासिल की.
साल 2008 में रायपुर टाउनशिप का पुनर्गठन किया गया और इसे 9 सीटों में विभाजित किया गया. इनके बाद बृजमोहन अग्रवाल ने रायपुर दक्षिण से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसी तरह बृजमोहन अग्रवाल साल 2013, 2018 और 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के उम्मीदवार को हराते हुए एकतरफा जीत हासिल की. हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने बृजमोहन अग्रवाल को अपना उम्मीदवार बनाया और यह चुनाव भी बृजमोहन अग्रवाल ने जीता और अब वे रायपुर सांसद हैं.
राज्य बनने के बाद से लेकर अब तक कांग्रेस के इन नेताओं को बृजमोहन ने दी पटखनी
2003 : गजराज पगारिया को 25974 वोट से हराया
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद साल 2003 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ. इस दौरान भाजपा ने बृजमोहन को रायपुर शहर सीट से टिकट दी, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने गजराज पगारिया को चुनावी मैदान में उतरा. इस चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल ने 25974 मतों से गजराज पगारिया को हरा दिया. इस चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल को 70164 वोट मिले थे, वही गजराज पगारिया को 44190 मत पड़े थे.
2008 : योगेश तिवारी को भी करना पड़ा हर का सामना
रायपुर टाउनशिप का 2008 में पुनर्गठन किया गया और इसे 9 सीटों में विभाजित किया गया. इनके बाद बृजमोहन अग्रवाल ने रायपुर दक्षिण से विधानसभा चुनाव लड़ा, और जीत हासिल की. इस बार बृजमोहन के खिलाफ कांग्रेस की ओर से चुनावी मैदान में योगेश तिवारी को उतारा गया. लेकिन वह भी बृजमोहन के किले को भेद नहीं सके. इस चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल को 65686 वोट मिले. वही योगेश अग्रवाल के खाते में 40747 वोट पड़े. इस तरह बृजमोहन अग्रवाल ने यह चुनाव भी 24939 वोट से जीत लिया.
2013 : किरणमयी नायक भी नहीं ढहा सकी बृजमोहन का किला
2013 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने रायपुर दक्षिण सीट से बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ डॉक्टर किरणमयी नायक को चुनावी मैदान में उतारा. लेकिन वह भी बृजमोहन अग्रवाल को नहीं हरा सकी. इस चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल को 81429 वोट मिले. जबकि किरणमयी नायक को महज 46630 वोट पड़े. इस तरह बृजमोहन अग्रवाल ने यह चुनाव 34799 वोट से जीता.
2018 : टक्कर देने के बावजूद जीतने में नाकाम रहे कन्हैया अग्रवाल
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का पूरे प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन था. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी. लेकिन इस दौरान भी रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट जहां से भाजपा ने बृजमोहन अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया था, वह नहीं जीत सकी. इस चुनाव में कांग्रेस ने कन्हैया अग्रवाल को बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा. बृजमोहन अग्रवाल को इस चुनाव में 77589 वोट मिले. वहीं कन्हैया अग्रवाल को 60093 वोट पड़े. इस तरह बृजमोहन अग्रवाल ने यह चुनाव 17496 वोट से जीत. हालांकि यह बृजमोहन अग्रवाल की सबसे कम वोट से जीत थी लेकिन वे अपने किले को बचाने में कामयाब रहे.
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव 2023 में भी कांग्रेस रायपुर दक्षिण के किले को ढहाने में नाकाम रही. इस बार कांग्रेस ने रायपुर दक्षिण से महंत रामसुंदर दास को उम्मीदवार बनाया. लेकिन महंत भी बृजमोहन को नहीं हरा सके. उल्टा उनकी हर कांग्रेस की सबसे बड़ी हार साबित हुई. बृजमोहन अग्रवाल ने इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार को सबसे ज्यादा 67,719 वोटों से हराया है. इस जीत के साथ बृजमोहन अग्रवाल लगातार आठवीं बार विधायक बने इस विधानसभा चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल ने रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर 1,09,263 मत हासिल किए और कांग्रेस के महंत रामसुंदर दास को 67,719 मतों के अंतर से हराया. महंत को 41,544 मत मिले.