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फायर कर्मियों की बचेगी जान, ब्रीदिंग एप्रेटस सेट बनेगा वरदान - Breathing apparatus firefighters

कानपुर के सभी फायर स्टेशंस पर आधुनिक सुविधाओं वाले ब्रीदिंग एप्रेटस सेट (Breathing apparatus set for firefighters) पहुंचाए गए है. यह दमकल कर्मियों के लिए वरदान साबित होंगे. भयंकर धुएं में भी दमकल कर्मी लोगों की आसानी से जान बचा पाएंगे. यह सेट 40 से 50 मिनट तक फ्रेश एयर देगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 9, 2024, 9:05 PM IST


कानपुर: जब कहीं आगजनी की घटना होती है, तो पीड़ित सबसे पहले अपनी जान की फिक्र करते हैं. धुएं के गुबार को देखकर लोग कहते हैं कि यहां से हट जाओ वरना सांस उखड़ जाएगी. वहीं इसके विपरीत दमकल विभाग के कर्मी होते हैं, वह अपनी जान की परवाह किए बीना आगजनी वाले स्थल पर दूसरों की जान बचाने के लिए पहुंच जाते हैं. ऐसे में कर्मियों को कई बार उन स्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी सेहत पर बहुत अधिक नुकसान होता है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. ऐसे कर्मियों की सेहत को ध्यान में रखते हुए, उनके लिए ब्रीदिंग एप्रेटस सेट बनाया गया है. शहर के सभी फायर स्टेशंस में इन्हें पहुंचाया गया हैं. आधुनिक सुविधाओं वाले इन सेट को पहनकर दमकल कर्मी धुएं के गुबार में भी लोगों की आसानी से जान बचा सकते हैं.

फायरकर्मी जगत ने ब्रीदिंग एप्रेटस सेट के बारे में दी जानकारी.
फायरकर्मी जगत ने बताया, कैसे काम करता बीए सेट: ईटीवी भारत ने शहर के फजलगंज फायर स्टेशन पहुंचकर फायर कर्मी जगत रावत से बात की. जगत रावत ने ब्रीदिंग एप्रेटस सेट के बारे में बताया कि इस सेट से हमें 40 से 50 मिनट तक आसानी से फ्रेश एयर मिलती है. ऐसे में जब हम धुएं का सामना करते हैं तो सेट की वजह से कोई दिक्कत नहीं होती. जबकि सेट न हो, तो कार्बन मोनो ऑक्साइड से दम घुटने लगता है. इस सेट में पीछे की ओर एक सिलेंडर लगा होता है, जिससे फ्रेश एयर आती रहती है. कर्मी को केवल आगे की ओर से लगे बटन को प्रेस करना होता है. वहीं, चेहरे के सामने हेलमेट की तरह प्लास्टिक का कवर होता है, जिसकी वजह से धुआं हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचता. इसे भी पढ़े-मुरादाबाद: खतरों से जूझने वाले दमकल कर्मी जर्जर भवनों में रहने को मजबूर

बड़े क्षेत्रफल वाले इलाकों में 8-10 सेट रखवाए गए: इस पूरे मामले पर मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सीएफओ) दीपक शर्मा ने बताया, कि कानपुर में गर्मी के साथ-साथ सर्दी के दिनों में भी भीषण आग वाली घटनाएं सामने आई है. ऐसे में सभी स्टेशंस पर बीए सेट को एक्टिव कराया गया है. बड़े क्षेत्रफल वाले इलाकों में जहां स्टेशंस पर आठ से 10 सेट रखवाए गए हैं, वहीं छोटे स्टेशन पर दो से तीन सेट हमेशा मौजूद रहते हैं.

शहर में ये प्रमुख अग्निकांड हुए:
- दो अप्रैल को शहर के बांसमंडी में आग के दौरान 1000 से अधिक दुकानें जली थीं
- 15 मई को शहर के बादशाहीनाका थाना के पीछे साड़ी शोरूम में आग लगी थी
- 19 जून को कानपुर यूनिवर्सिटी के मूल्यांकन भवन में आग लगी, पूरा तल खाक हो गया था
- 11 सितंबर को परेड चौराहा के समीप एक भवन में आग लगी, लाखों रुपये का चमड़ा जलकर खाक हो गया था
- 13 नवंबर को काकादेव थाना क्षेत्र स्थित एक इलेक्ट्रानिक्स शोरूम में आग लगी, लाखों रुपये के उत्पाद जल गए
- 15 जनवरी को शहर के चमनगंज थाना क्षेत्र स्थित एक कॉम्प्लेक्स में आग लगी, 30 से अधिक लोगों की जान बचाई गईं


यह भी पढ़े-इटावा: दमकल कर्मी की सूझबूझ से बुझी जिला अस्पताल में लगी आग


कानपुर: जब कहीं आगजनी की घटना होती है, तो पीड़ित सबसे पहले अपनी जान की फिक्र करते हैं. धुएं के गुबार को देखकर लोग कहते हैं कि यहां से हट जाओ वरना सांस उखड़ जाएगी. वहीं इसके विपरीत दमकल विभाग के कर्मी होते हैं, वह अपनी जान की परवाह किए बीना आगजनी वाले स्थल पर दूसरों की जान बचाने के लिए पहुंच जाते हैं. ऐसे में कर्मियों को कई बार उन स्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी सेहत पर बहुत अधिक नुकसान होता है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. ऐसे कर्मियों की सेहत को ध्यान में रखते हुए, उनके लिए ब्रीदिंग एप्रेटस सेट बनाया गया है. शहर के सभी फायर स्टेशंस में इन्हें पहुंचाया गया हैं. आधुनिक सुविधाओं वाले इन सेट को पहनकर दमकल कर्मी धुएं के गुबार में भी लोगों की आसानी से जान बचा सकते हैं.

फायरकर्मी जगत ने ब्रीदिंग एप्रेटस सेट के बारे में दी जानकारी.
फायरकर्मी जगत ने बताया, कैसे काम करता बीए सेट: ईटीवी भारत ने शहर के फजलगंज फायर स्टेशन पहुंचकर फायर कर्मी जगत रावत से बात की. जगत रावत ने ब्रीदिंग एप्रेटस सेट के बारे में बताया कि इस सेट से हमें 40 से 50 मिनट तक आसानी से फ्रेश एयर मिलती है. ऐसे में जब हम धुएं का सामना करते हैं तो सेट की वजह से कोई दिक्कत नहीं होती. जबकि सेट न हो, तो कार्बन मोनो ऑक्साइड से दम घुटने लगता है. इस सेट में पीछे की ओर एक सिलेंडर लगा होता है, जिससे फ्रेश एयर आती रहती है. कर्मी को केवल आगे की ओर से लगे बटन को प्रेस करना होता है. वहीं, चेहरे के सामने हेलमेट की तरह प्लास्टिक का कवर होता है, जिसकी वजह से धुआं हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचता. इसे भी पढ़े-मुरादाबाद: खतरों से जूझने वाले दमकल कर्मी जर्जर भवनों में रहने को मजबूर

बड़े क्षेत्रफल वाले इलाकों में 8-10 सेट रखवाए गए: इस पूरे मामले पर मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सीएफओ) दीपक शर्मा ने बताया, कि कानपुर में गर्मी के साथ-साथ सर्दी के दिनों में भी भीषण आग वाली घटनाएं सामने आई है. ऐसे में सभी स्टेशंस पर बीए सेट को एक्टिव कराया गया है. बड़े क्षेत्रफल वाले इलाकों में जहां स्टेशंस पर आठ से 10 सेट रखवाए गए हैं, वहीं छोटे स्टेशन पर दो से तीन सेट हमेशा मौजूद रहते हैं.

शहर में ये प्रमुख अग्निकांड हुए:
- दो अप्रैल को शहर के बांसमंडी में आग के दौरान 1000 से अधिक दुकानें जली थीं
- 15 मई को शहर के बादशाहीनाका थाना के पीछे साड़ी शोरूम में आग लगी थी
- 19 जून को कानपुर यूनिवर्सिटी के मूल्यांकन भवन में आग लगी, पूरा तल खाक हो गया था
- 11 सितंबर को परेड चौराहा के समीप एक भवन में आग लगी, लाखों रुपये का चमड़ा जलकर खाक हो गया था
- 13 नवंबर को काकादेव थाना क्षेत्र स्थित एक इलेक्ट्रानिक्स शोरूम में आग लगी, लाखों रुपये के उत्पाद जल गए
- 15 जनवरी को शहर के चमनगंज थाना क्षेत्र स्थित एक कॉम्प्लेक्स में आग लगी, 30 से अधिक लोगों की जान बचाई गईं


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