मेरठ: उत्तर प्रदेश में इन दिनों बेतहाशा गर्मी का प्रकोप देखा जा रहा है. तापमान में बढ़ोतरी से लोगों को मानसिक रूप से भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. दिमाग पर भी इस गर्मी का असर पड़ रहा है. मन मस्तिष्क के अंदर मौजूद न्यूरो ट्रांसमीटर भी इस तपती गर्मी से असंतुलित हो रहे हैं. आईए जानते हैं कैसे करें पहचान और सुरक्षित रहने के लिए क्या करें उपाय.
दिन निकलते ही भीषण गर्मी पड़नी शुरू हो जा रही है. जिसके कारण इंसानों के साथ साथ जानवरों के व्यवहार में भी परिवर्तन हो रहा है. यह गर्मी की तपीश कई बार तो हमारे दिमाग पर भी विपरीत असर डालती है. यही वजह है कि, अधिक गर्मी होने की वजह से मानसिक समस्या भी लोगों को हो सकती है.
एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ. तरुण पाल ने बताया कि, पिछले करीब डेढ़ महीने से पारा लगातार 40 के पार रह रहा है, जिस वजह से काफी गर्मी रहती है. तरूण पाल कहते हैं कि, जब टेम्प्रेचर बढ़ता है तो उसका प्रभाव निश्चित ही मानव शरीर पर पड़ता है. विशेषतौर पर तो इसका प्रभाव ब्रेन पर भी पड़ता है, क्योंकि ब्रेन में न्यूरो ट्रांसमीटर होते हैं, जिन्हें कई अलग अलग नामों से भी पुकारा जाता है.
डॉक्टर पाल कहते हैं कि, इनका जो खास कार्य है वह किसी भी मानव शरीर थिंकिंग, इमोशन सोच को कंट्रोल करते हैं. ऐसे में जैसे जैसे गर्मी का स्तर बढ़ता जाता है तो प्रभावित करते हैं उनमें असंतुलन उत्पन्न हो जाता है. इस असंतुलन की वजह से एकाग्रता में कमी आ सकती है, नींद न आना जैसी समस्या भी हो सकती है, स्वभाव में परिवर्तन हो सकता है, चिड़चिड़ापन तनाव, एकाग्रता में कमी आ जाती है. जल्दी आवेश में कई लोग आ जाते हैं, डिप्रेशन वाली स्थिति भी आ जाती है, इंजाएटी आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
डॉक्टर तरुणपाल कहते हैं कि यह समस्याएं निरंतर बढ़ रही हैं. ऐसे में जरूरी है कि परिवार में किसी भी सदस्य के व्यवहार में परिवर्तन अगर हम देखते हैं. तो यह शुरूआती लक्षण हो सकते हैं, नींद नहीं आ रही है या कम आने लगी है, परिवार का कोई सदस्य अचानक चिड़चिड़ा हो जाए, तो यह मानना चाहिए कि इस तरह की समस्याओं के कारण मानसिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं.
तरुण पाल कहते हैं कि, ऐसे में बचने के उपाय यही हैं कि ज्यादा देर तक हो सके तो धूप में न निकलें. जब तक कोई उपयुक्त कारण न हो धूप में न जाएं.
सुबह शाम को ही बाहर निकलें. ऐसे में बाहर के खाने को अवॉयड करना भी फायदेमंद रहेगा.
पाल बताते हैं कि, प्रतिदिन लगभग डेढ़ सौ मरीज मेडिकल कॉलेज में उनके पास अपनी समस्या लेकर आते हैं. जबकि गर्मी के सीजन में इस संख्या में इजाफा हुआ है. हर दिन तीस से 40 ऐसे रोगी उनके पास आ रहे हैं. 15 से 20 फीसदी मानसिक समस्याओं से ग्रसित लोगों की संख्या बढ़ गई है.
डॉक्टर तरुण पाल कहते हैं कि, गर्मी में छोटे बच्चों को विशेष रूप से धूप में न निकलने दें, अगर कहीं घूमने भी जा रहे हैं तो छाता लेकर निकलें क्योंकि बच्चों में गर्मी की वजह से यह प्रभाव ज्यादा हो सकते हैं. हर दिन जितने मरीज आ रहे हैं. गर्मी के सीजन में उनमें आधे जो मरीज आ रहे हैं. वह तो बच्चे ही हैं. ऐसे माता पिता को ध्यान देना होगा कि, बच्चों को धूप में न खेलने दें. अगर कहीं कोई ज्यादा समस्या लगे तो तत्काल मनो रोग विशेषज्ञ या मानसिक चिकत्सक और काउंसलर से आवश्यक परामर्श लें.