ETV Bharat / state

यूपी का एक गांव, जहां पितृ पक्ष में ब्राह्मणों की एंट्री बैन; कोई भी नहीं करता श्राद्ध, वजह कर देगी हैरान - Pitra Paksh 2024

जलदान पूर्णिमा के साथ ही श्राद्ध पक्ष भी शुरू हो गया है. हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक पितृ पक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि करने की परंपरा है. मगर उत्तर प्रदेश के संभल जिले के एक गांव में पितृ पक्ष में श्राद्ध करने पर करीब 100 साल से पाबंदी चली आ रही है. पितृपक्ष में इस गांव में ब्राह्मणों के प्रवेश पर भी पूरी तरह से पाबंदी रहती है. यही नहीं इन 16 दिनों में गांव में किसी भी भिक्षु को कोई भिक्षा नहीं दी जाती है. आखिर कई दशक बीत जाने के बाद भी ग्रामीण अपनी पुरानी परंपरा पर आज भी क्यों कायम है देखिए खास रिपोर्ट.

Etv Bharat
इस गांव में पितृ पक्ष के 16 दिन नहीं आते ब्राह्मण. (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 18, 2024, 6:19 PM IST

संभल: भारतीय संस्कृति में पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म और दान पुण्य की परंपरा है. इसके तहत ब्राह्मणों को भोजन दान आदि किया जाता है मगर, संभल जिले के गुन्नौर तहसील इलाके के गांव भगता नगला के ग्रामीण श्राद्ध माह में ना तो ब्राह्मण को भोजन कराते हैं और ना ही इन दिनों कोई ब्राह्मण इस गांव में जाता है. यही नहीं श्राद्ध के दिनों में इस गांव में ना ही कोई भिक्षु जाएगा और यदि कोई भूल वश चला भी जाता है तो उसे भिक्षा नहीं दी जाती.

संभल के बुजुर्ग ग्रामीण ने बताई कैसे पड़ी परंपरा. (Video Credit; ETV Bharat)

पितृ पक्ष के 16 दिन गांव में नहीं होता पूजा-पाठ: इस गांव के लोग करीब 100 साल से श्राद्ध नहीं करते हैं. श्राद्ध कर्म पर पाबंदी के अलावा पितृ पक्ष के 16 दिन तक ग्रामीण मृतकों की आत्मा की शांति के लिए किसी भी प्रकार का पूजा पाठ, हवन आदि नहीं कर करते. पितृ पक्ष के दिनों में इस गांव में ब्राह्मणों को एंट्री नहीं दी जाती.

ब्राह्मणों की एंट्री बैन करने के पीछे की क्या है कहानी: गांव निवासी बुजुर्ग रेवती सिंह बताते हैं कि प्राचीनकाल में गांव की एक ब्राह्मण महिला भगता नगला गांव में किसी ग्रामीण के घर पर मृतक परिजन का श्राद्ध सम्पन्न कराने आई थी लेकिन, श्राद्ध कर्मकाण्ड सम्पन्न कराने के बाद गांव में तेज बारिश शुरू हो गई.

बरसात की वजह से ब्राह्मण महिला को कई दिन तक ग्रामीण के घर पर ही रुकना पड़ा. कई दिन बाद बारिश रुकने के बाद ब्राह्मण महिला जब वापस अपने घर पहुंची तो उसके पति ने उसके चरित्र पर उंगली उठाते हुए अपमानित कर उसे घर से निकाल दिया था.

ब्राह्मण महिला ने गांव को दिया था श्राप: पति से अपमानित होने के बाद ब्राह्मण महिला वापस भगता नगला गांव पहुंची और ग्रामीणों को सारी बात बताते हुए ग्रामीणों से कहा पितृ पक्ष में श्राद्ध सम्पन्न कराए जाने की वजह से उसे अपमानित किया गया है. आपकी वजह से मेरे पति ने मुझे घर से निकाल दिया है.

इसलिए यदि आपने श्राद्ध किया तो आपका बुरा हो जाएगा. ब्राह्मण महिला की पीड़ा को श्राप मानकर इस गांव के लोग करीब 100 साल से श्राद्ध न करने की परंपरा पर आज भी कायम हैं. श्राद्ध को छोड़कर बाकी के दिनों में ब्राह्मणों का गांव में आना-जाना रहता है. विवाह आदि संस्कार भी ब्राह्मण ही संपन्न कराते हैं.

ये भी पढ़ेंः पितृ पक्ष में इन 8 श्राद्ध का बेहद महत्व, दो मुख्य श्राद्ध जरूरी, जानिए इनके बारे में

संभल: भारतीय संस्कृति में पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म और दान पुण्य की परंपरा है. इसके तहत ब्राह्मणों को भोजन दान आदि किया जाता है मगर, संभल जिले के गुन्नौर तहसील इलाके के गांव भगता नगला के ग्रामीण श्राद्ध माह में ना तो ब्राह्मण को भोजन कराते हैं और ना ही इन दिनों कोई ब्राह्मण इस गांव में जाता है. यही नहीं श्राद्ध के दिनों में इस गांव में ना ही कोई भिक्षु जाएगा और यदि कोई भूल वश चला भी जाता है तो उसे भिक्षा नहीं दी जाती.

संभल के बुजुर्ग ग्रामीण ने बताई कैसे पड़ी परंपरा. (Video Credit; ETV Bharat)

पितृ पक्ष के 16 दिन गांव में नहीं होता पूजा-पाठ: इस गांव के लोग करीब 100 साल से श्राद्ध नहीं करते हैं. श्राद्ध कर्म पर पाबंदी के अलावा पितृ पक्ष के 16 दिन तक ग्रामीण मृतकों की आत्मा की शांति के लिए किसी भी प्रकार का पूजा पाठ, हवन आदि नहीं कर करते. पितृ पक्ष के दिनों में इस गांव में ब्राह्मणों को एंट्री नहीं दी जाती.

ब्राह्मणों की एंट्री बैन करने के पीछे की क्या है कहानी: गांव निवासी बुजुर्ग रेवती सिंह बताते हैं कि प्राचीनकाल में गांव की एक ब्राह्मण महिला भगता नगला गांव में किसी ग्रामीण के घर पर मृतक परिजन का श्राद्ध सम्पन्न कराने आई थी लेकिन, श्राद्ध कर्मकाण्ड सम्पन्न कराने के बाद गांव में तेज बारिश शुरू हो गई.

बरसात की वजह से ब्राह्मण महिला को कई दिन तक ग्रामीण के घर पर ही रुकना पड़ा. कई दिन बाद बारिश रुकने के बाद ब्राह्मण महिला जब वापस अपने घर पहुंची तो उसके पति ने उसके चरित्र पर उंगली उठाते हुए अपमानित कर उसे घर से निकाल दिया था.

ब्राह्मण महिला ने गांव को दिया था श्राप: पति से अपमानित होने के बाद ब्राह्मण महिला वापस भगता नगला गांव पहुंची और ग्रामीणों को सारी बात बताते हुए ग्रामीणों से कहा पितृ पक्ष में श्राद्ध सम्पन्न कराए जाने की वजह से उसे अपमानित किया गया है. आपकी वजह से मेरे पति ने मुझे घर से निकाल दिया है.

इसलिए यदि आपने श्राद्ध किया तो आपका बुरा हो जाएगा. ब्राह्मण महिला की पीड़ा को श्राप मानकर इस गांव के लोग करीब 100 साल से श्राद्ध न करने की परंपरा पर आज भी कायम हैं. श्राद्ध को छोड़कर बाकी के दिनों में ब्राह्मणों का गांव में आना-जाना रहता है. विवाह आदि संस्कार भी ब्राह्मण ही संपन्न कराते हैं.

ये भी पढ़ेंः पितृ पक्ष में इन 8 श्राद्ध का बेहद महत्व, दो मुख्य श्राद्ध जरूरी, जानिए इनके बारे में

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.