पटनाः बिहार में बीजेपी अब सरकार में आ चुकी है और नीतीश कुमार उसके मुखिया हैं. सरकार तो बदल गई है, लेकिन फॉर्मूला नहीं बदला. राजद के मुकाबले भाजपा को सरकार और बजट्री प्रोविजन के हिसाब से भी काम तवज्जो मिली है. मुख्यमंत्री नीतीश ने अब तक चार बार पाला बदला है. पिछली बार नीतीश कुमार की पार्टी का आरजेडी के साथ गठबंधन हुआ, तब नीतीश कुमार दबाव में थे और आज भाजपा दबाव में है, नीतीश ने कई भारी भरकम विभाग अपने पास ही रखे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नीतीश कुमार जानते हैं कि भाजपा केंद्रीय नेतृत्व को लोकसभा चुनाव में हमारी जरूरत है.
दबाव बनाने की स्थिति में नहीं है बीजेपीः राष्ट्रीय जनता दल के मुकाबले बीजेपी नीतीश सरकार पर दबाव बनाने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि बीजेपी के सामने लोकसभा चुनाव है. जिसका पूरा फायदा नीतीश कुमार उठा रहे हैं. महागठबंधन सरकार में राष्ट्रीय जनता दल के पास बजट का ज्यादातर हिस्सा था, नीतीश कुमार को राष्ट्रीय जनता दल के 79 विधायकों का समर्थन हासिल था और राष्ट्रीय जनता दल ने कई बड़े विभाग अपने पास रखे थे. शिक्षा और ग्रामीण कार्य विभाग राजद कोटे में था. 2023-2024 बजट के मुताबिक राष्ट्रीय जनता दल के पास 106969 करोड़ अर्थात 40.84% था. जबकि जदयू के पास 70057 करोड़ अर्थात 26.75% था.
एनडीए में जदयू की हिस्सेदारी बढ़ गईः गठबंधन बदलते ही यानी एनडीए में जदयू की हिस्सेदारी बढ़ गई. नीतीश जब भाजपा के साथ आए तो जदयू की ताकत बढ़ गई. भाजपा कोटा में कुल 23 विभाग गए तो जेडीयू ने 19 विभाग अपने पास रखा. बावजूद इसके वर्तमान स्थिति में जदयू के पास 117529 करोड़ अर्थात 49.4% तो भाजपा के पास 69432 करोड़ अर्थात 29.18 प्रतिशत बजट का हिस्सा है. शिक्षा विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग जो की राष्ट्रीय जनता दल के पास था उसे जदयू ने अपने कब्जे में ले लिया.
2020 के तर्ज पर ही एनडीए में समझौताः आपको बता दें कि 2020 में जब एनडीए की सरकार बनी थी, तब भाजपा के 74 विधायक थे और जदयू के पास 44 विधायक थे. भारतीय जनता पार्टी के पास 21 विभाग थे. जबकि बजट के हिसाब से अगर बात कर लें तो बजट का 30% हिस्सा भाजपा के पास था तो जदयू के पास 49% बजट का हिस्सा था. कुल मिलाकर जदयू के पास 104424 करोड़ का बजट वाला विभाग था तो भाजपा के पास 62339 करोड़ बजट वाला विभाग था. कमोबेश वही स्थिति आज भी है और बीजेपी पूरी तरह से दबाव में नजर आ रही है.
'नीतीश प्रेशर पॉलिटिक्स के माहिर खिलाड़ी': राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि नीतीश कुमार प्रेशर पॉलिटिक्स के माहिर खिलाड़ी हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह पता है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को लोकसभा चुनाव में हमारी जरूरत है और इस जरूरत को देखते हुए नीतीश ने अपने दावेदारी और हिस्सेदारी बढ़ाई. राष्ट्रीय जनता दल जब नीतीश कुमार के साथ गठबंधन में होती है, तब नीतीश कुमार आरजेडी के दबाव में होते हैं.
"नीतीश कुमार को यह पता है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को लोकसभा चुनाव में हमारी जरूरत है. राजद का कोई सेंट्रल पॉलिटिक्स में इंटरेस्ट नहीं होता है. इसी वजह से नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल के दबाव में रहते हैं लेकिन बीजेपी के साथ गठबंधन होने पर मंत्रिमंडल विस्तार और विभाग के बंटवारा में नीतीश कुमार की सियासत दिखती है"- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
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