पटना: केंद्र सरकार की ओर से सीएए लागू कर दिया गया है, लेकिन जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार नहीं है, उन जगहों पर इसका विरोध हो रहा है. बिहार में भी इस पर सियासत जारी है. विपक्षी दल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सीएए को लागू करने पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा कर रहे हैं, वहीं बीजेपी के नेताओं का कहना है कि कोई भी कानून गलत नहीं होता उसे समझने की जरूरत होती है.
'सीएए उसमें मुस्लिम शामिल नहीं': राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी का कहना है कि "सरकार जो कानून लाई है सीएए उसमें मुस्लिम को छोड़ दिया गया है, इनका मकसद तो साफ है." अब्दुलबारी सिद्दीकी मणिपुर का भी उदाहरण देते हैं और कह रहे हैं कि 6 महीना से हिंसा हो रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नहीं जा रहे हैं क्योंकि वहां माइनॉरिटी का मामला है".
'सीएए का अध्ययन करना चाहिए': वहीं बीजेपी के नेता का कहना है कि जो भी विपक्षी दल के नेता बयान दे रहे हैं पहले उनको सीएए का अध्ययन करना चाहिए. भाजपा विधायक मंटू सिंह का कहना है कि पहले अध्ययन कर लें, उसके बाद बयान दें सरकार कोई भी फैसला चुनाव को लेकर नहीं करती है. अचार संहिता लागू होने के पहले तक सरकार देश के हित में कोई भी काम कर सकती है.
"जो सीएए का विरोध कर रहे हैं उनको पहले इसका अध्ययन करना चाहिए. कोई भी कानून जो सरकार लाती है बहुत सोच समझकर संसद से पास होता है. उसको समझने की जरूरत होती है. देश हित में जो काम होगा वो सरकार करती रहेगी, ये चुनावी फायदे के लिए हो रहा है, ये कहना गलत है"- मंटू सिंह, बीजेपी विधायक
जदयू का स्टैंड सीएए के विरोध में रहा हैः वहीं सीएए को लेकर जदयू के नेताओं ने फिलहाल चुप्पी साध ली है, इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं जदयू का स्टैंड सीएए के विरोध में रहा है, लेकिन अभी जेडीयू बीजेपी के साथ एनडीए में है और इसलिए इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रही है. आपको बता दें कि जब से केंद्र सरकार ने सीएए को लागू किया है, तब से देश की राजनीति में खासा बवाल मचा हुआ है.
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