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भाजपा की रणनीति! चंपाई सोरेन कोल्हान से शुरू करेंगे अपनी यात्रा, क्या ले पाएंगे अपमान का बदला? - BJP Strategy on assembly election

Assembly Election 2024. भाजपा में शामिल होने के बाद चंपाई सोरेन अपनी राजनीतिक यात्रा कोल्हान से शुरू करने वाले हैं. जहां वह जनजातियों के बीच जाकर जेएमएम सरकार के बारे में बताएंगे कि किस तरह उन्हें अपमानित कर मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाया गया. जिससे साफ साबित होता है कि सोरेन परिवार के अलावा कोई आदिवासी मुख्यमंत्री नहीं बन सकता.

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भाजपा में शामिल चंपाई सोरेन (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 31, 2024, 5:55 PM IST

रांची: झारखंड में बहुमत के साथ सरकार बनाने का लक्ष्य लेकर विधानसभा चुनाव में उतरी बीजेपी ने एक तरफ बांग्लादेशी घुसपैठ को ट्राइबल सेंटीमेंट से जोड़कर बड़ा मुद्दा बनाया है. तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के बजाय झारखंड मुक्ति मोर्चा को कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रही है. झारखंड बीजेपी की इन दोनों रणनीति पर काम करने की जिम्मेदारी असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा को दी गई है. यही वजह है कि एक तरफ बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा छाया हुआ है. तो वहीं दूसरी ओर जेएमएम के एक से बढ़कर एक नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. चंपाई सोरेन ने जिस तरह से बीजेपी में शामिल होने से पहले अपनी नाराजगी को सार्वजनिक की उसे भुनाने की कोशिश भाजपा करेगी.

चंपाई सोरेन और सीता सोरेन का बयान (ETV BHARAT)

जनजातियों के सहारे अपमान का बदला लेने की कोशिश

भाजपा में शामिल हुए चंपाई सोरेन जल्द ही कोल्हान से अपनी यात्रा शुरू करने वाले हैं. एक सितंबर से शुरू होने वाली चंपाई की यह यात्रा कहीं ना कहीं जेएमएम के वोट बैंक में सेंध लगाने का काम करेगी. बताया जा रहा है कि अपने अपमान का बदला लेने चंपाई सोरेन जनजातियों के बीच जाने वाले हैं. इस दौरान वे मैसेज देने का काम करेंगे कि किस तरह उन्हें अपमानित कर मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाया गया और सोरेन परिवार के इतर कोई भी आदिवासी मुख्यमंत्री नहीं बन सकता.

इसके अलावा उनके साथ हुई जासूसी को भी जनता के बीच मुखरता से रखने की तैयारी की गई है. चंपाई सोरेन कहते हैं कि यात्रा भाजपा के बैनर तले होगा, जिसकी शुरुआत कोल्हान से लेकर संथाल तक होगा. इधर, सोरेन परिवार की बहू सीता सोरेन कहती हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा में बिखराव अभी और होगा. जिस तरह से पार्टी के अंदर नाराजगी बढ़ी है, उससे साफ लग रहा है कि कई नेता आने वाले समय में पार्टी छोड़ने जा रहे हैं.

चंपाई के आने से बीजेपी को क्या मिलेगी मजबूती

कोल्हान टाइगर के रूप में जाने वाले पूर्व सीएम चंपाई सोरेन की जनजातियों के बीच खास पहचान है. बीजेपी इसका लाभ लेने की कोशिश विधानसभा चुनाव के दौरान करेगी. पार्टी ने प्रदेश स्तर पर उन्हें ट्रायबल लीडर के रूप में प्रोजेक्ट किया है. चंपाई सोरेन, सीता सोरेन और लोबिन हेम्ब्रम को संथाल और कोल्हान की जिम्मेदारी दी गई है.

पार्टी को उम्मीद है कि कोल्हान की 14 और संथाल की 18 सीटों में से यदि आधा सीट भी भाजपा के खाते में इन नेताओं के प्रभाव से आ जाते हैं तो सरकार बनाने से कोई रोक नहीं सकता. बीजेपी के अंदर हालांकि बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, सुदर्शन भगत जैसे कई ट्रायबल नेता पहले से हैं लेकिन जनता के बीच जो स्वीकार्य वोटबैंक के रूप में होनी चाहिए वह नहीं है. ऐसे में दूसरे दल से आकर बीजेपी का कमल खिलाने में ये कितने सफल होंगे यह तो वक्त ही बताएगा.

ये भी पढ़ें: चंपाई सोरेन के एक और करीबी भाजपा में शामिल, बाबूलाल मरांडी ने दिलाई पार्टी की सदस्यता

ये भी पढ़ें: भाजपा नेता चंपाई सोरेन से मिले असम के सीएम, कामाख्या मां के दर्शन के लिए दिया निमंत्रण

रांची: झारखंड में बहुमत के साथ सरकार बनाने का लक्ष्य लेकर विधानसभा चुनाव में उतरी बीजेपी ने एक तरफ बांग्लादेशी घुसपैठ को ट्राइबल सेंटीमेंट से जोड़कर बड़ा मुद्दा बनाया है. तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के बजाय झारखंड मुक्ति मोर्चा को कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रही है. झारखंड बीजेपी की इन दोनों रणनीति पर काम करने की जिम्मेदारी असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा को दी गई है. यही वजह है कि एक तरफ बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा छाया हुआ है. तो वहीं दूसरी ओर जेएमएम के एक से बढ़कर एक नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. चंपाई सोरेन ने जिस तरह से बीजेपी में शामिल होने से पहले अपनी नाराजगी को सार्वजनिक की उसे भुनाने की कोशिश भाजपा करेगी.

चंपाई सोरेन और सीता सोरेन का बयान (ETV BHARAT)

जनजातियों के सहारे अपमान का बदला लेने की कोशिश

भाजपा में शामिल हुए चंपाई सोरेन जल्द ही कोल्हान से अपनी यात्रा शुरू करने वाले हैं. एक सितंबर से शुरू होने वाली चंपाई की यह यात्रा कहीं ना कहीं जेएमएम के वोट बैंक में सेंध लगाने का काम करेगी. बताया जा रहा है कि अपने अपमान का बदला लेने चंपाई सोरेन जनजातियों के बीच जाने वाले हैं. इस दौरान वे मैसेज देने का काम करेंगे कि किस तरह उन्हें अपमानित कर मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाया गया और सोरेन परिवार के इतर कोई भी आदिवासी मुख्यमंत्री नहीं बन सकता.

इसके अलावा उनके साथ हुई जासूसी को भी जनता के बीच मुखरता से रखने की तैयारी की गई है. चंपाई सोरेन कहते हैं कि यात्रा भाजपा के बैनर तले होगा, जिसकी शुरुआत कोल्हान से लेकर संथाल तक होगा. इधर, सोरेन परिवार की बहू सीता सोरेन कहती हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा में बिखराव अभी और होगा. जिस तरह से पार्टी के अंदर नाराजगी बढ़ी है, उससे साफ लग रहा है कि कई नेता आने वाले समय में पार्टी छोड़ने जा रहे हैं.

चंपाई के आने से बीजेपी को क्या मिलेगी मजबूती

कोल्हान टाइगर के रूप में जाने वाले पूर्व सीएम चंपाई सोरेन की जनजातियों के बीच खास पहचान है. बीजेपी इसका लाभ लेने की कोशिश विधानसभा चुनाव के दौरान करेगी. पार्टी ने प्रदेश स्तर पर उन्हें ट्रायबल लीडर के रूप में प्रोजेक्ट किया है. चंपाई सोरेन, सीता सोरेन और लोबिन हेम्ब्रम को संथाल और कोल्हान की जिम्मेदारी दी गई है.

पार्टी को उम्मीद है कि कोल्हान की 14 और संथाल की 18 सीटों में से यदि आधा सीट भी भाजपा के खाते में इन नेताओं के प्रभाव से आ जाते हैं तो सरकार बनाने से कोई रोक नहीं सकता. बीजेपी के अंदर हालांकि बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, सुदर्शन भगत जैसे कई ट्रायबल नेता पहले से हैं लेकिन जनता के बीच जो स्वीकार्य वोटबैंक के रूप में होनी चाहिए वह नहीं है. ऐसे में दूसरे दल से आकर बीजेपी का कमल खिलाने में ये कितने सफल होंगे यह तो वक्त ही बताएगा.

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