जयपुर. भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में आपसी खींचतान के बीच अब आरएसएस के इंद्रेश कुमार का बयान आया है. उन्होंने कहा कि जिस पार्टी (भाजपा) ने राम की भक्ति की, लेकिन अहंकार आ गया था. इसलिए पूर्ण बहुमत नहीं मिला. इस पर भाजपा विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि इंद्रेश कुमार ने जो विषय उठाया है. उस पर पार्टी विचार करेगी.
दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने जयपुर में एक कार्यक्रम में कहा, जिन्होंने राम की भक्ति की लेकिन धीरे-धीरे अहंकार आ गया. उस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी घोषित कर दिया. लेकिन पूरी जो शक्ति मिलनी चाहिए. उसे भगवान ने अहंकार के कारण रोक दिया. जिन्होंने राम का विरोध किया. उनमें से किसी को भी शक्ति नहीं दी. सब मिलकर भी नंबर एक पर नहीं, नंबर दो पर खड़े मिले. इसलिए प्रभु का न्याय विचित्र है. यह बड़ा आनंददायक है.
भगवान भेदभाव नहीं करते हैं: इंद्रेश कुमार ने आगे कहा, जिस पार्टी में अहंकार आया, उसे 241 पर रोक दिया लेकिन सबसे बड़ी पार्टी बना दी. जिनके अंदर राम के प्रति आस्था नहीं थी. उनको सबको मिलकर 234 पर रोक दिया. जो राम की भक्ति करे, तो निरहंकार भाव से करे. जो राम का विरोध करे. उसका अकल्याण अपने आप प्रभु ने ही कर दिया. उन्होंने अयोध्या सीट का भी जिक्र किया और कहा कि लल्लू सिंह ने जनता पर जुल्म किए. उन्हें भगवान ने कहा कि पांच साल विश्राम कर लो, अगली बार देख लेंगे. इसलिए राम भेदभाव नहीं करते हैं.
भाजपा विधायक बोले- यह अहंकार, तो विनम्रता क्या?: इंद्रेश कुमार के बयान पर भाजपा विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को देश में सबसे ज्यादा सीट मिली हैं. विपक्ष को जितनी सीट मिली हैं, उससे ज्यादा अकेली भाजपा को मिली हैं. अगर यह अहंकार का प्रतीक है, तो विनम्रता का प्रतीक और क्या होगा. लेकिन इंद्रेश कुमार ने अगर कोई विषय उठाया है, तो पार्टी में एक सामान्य कार्यकर्ता के नाते यह विश्वास रखता हूं कि उस पर गंभीरता से विचार किया जाएगा.
वाराणसी में विपक्ष से लेकर विदेशी ताकत रोकने में जुटी: गोपाल शर्मा ने कहा कि पार्टी इस बात की गहराई में जाएगी कि क्या कारण ऐसा हुआ कि एक जगह पार्टी 10 लाख से ज्यादा वोटों से जीतती है. एक जगह सामने कोई खड़ा होने वाला नहीं मिल रहा है. वाराणसी में कितनी ही अंतरराष्ट्रीय शक्तियों से लेकर विपक्षी दलों के लोग इस पर तुले हुए थे कि कैसे नरेंद्र मोदी चुनाव नहीं जीते. इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी को सब जगह बढ़त मिली. ऐसी स्थिति में अगर कोई विषय आया है, तो विचार करने में क्या दिक्कत है.