जयपुर. उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने विधानसभा में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश कर दिया गया. यूसीसी विधेयक के लिए बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन सीएम धामी ने यह विधेयक पेश किया. उत्तराखंड में विधेयक पेश होने के साथ अन्य राज्यों में भी यूसीसी को लागू करने को मांग तेज हो गई है. राजस्थान में भाजपा के बड़े नेताओं और मंत्रियों ने खुले रूप से इस फैसले का न केवल स्वागत किया, बल्कि प्रदेश में इसे लागू करने की मंशा जताई. उन्होंने कहा कि 'समान नागरिक संहिता कानून' लागू होना जरूरी है, एक देश में दो अलग अलग कानून नहीं होने चाहिए.
राजस्थान में लागू होगी यूसीसी! : भजनलाल सरकार के मंत्री कन्हैया लाल ने यूसीसी विधेयक पेश करने को लेकर उत्तराखंड सरकार का धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा यूसीसी को लेकर गंभीर हैं. राजस्थान में भी हम समान नागरिक संहिता को लागू करेंगे. एक देश में दो कानून कैसे संभव ? इस मुद्दे पर स्वयं मुख्यमंत्री भी पक्ष में हैं, यूसीसी राजस्थान में लागू हो, इनको लेकर काम चल रहा है. इस बार हमारे पास सदन में केवल 8 तारीख का समय है, लेकिन जल्द ही इसको लेकर आगामी विधानसभा सत्र में सरकार निर्णय लेगी. कन्हैया लाल ने कहा कि राजस्थान में 100 फीसदी यह कानून लागू किया जाएगा.
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यूसीसी पर आपत्ति नहीं : पूर्व उपनेता प्रतिपक्ष और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे डॉक्टर सतीश पूनिया ने कहा कि राजस्थान में यूसीसी लागू करने को लेकर अंतिम फैसला सरकार को करना होता है. प्रदेश में सरकार इन सभी विषयों पर समीक्षा कर रही है, लेकिन उत्तराखंड सरकार ने एक रास्ता खोला है, उसकी वजह से ही देश में यूसीसी लागू करने की दिशा में बात हो रही है. पूनिया ने कहा कि वन नेशन-वन टैक्स, वन नेशन-वन राशन कार्ड, वन नेशन-वन इलेक्शन की चर्चा चलती है, तो देश में एक कानून की भी बात होनी चाहिए. इस तरह के फैसले पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
उत्तराखंड में बिल हुआ पेश : दरअसल, भारत का संविधान धर्म के आधार पर किसी नागरिक के अधिकारों में भेदभाव नहीं करता है. संविधान की इसी भावना को मूर्त रूप देने के दावे के साथ उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पेश कर दिया है. यूसीसी विधेयक का उद्देश्य नागरिक कानूनों में एकरूपता लाना है, यानी प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून होना. समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा. सभी पंथ के लोगों के लिए विवाह, तलाक, भरण-पोषण, विरासत और बच्चा गोद लेने में समान रूप से कानून लागू होगा. उत्तराखंड के बाद अब देश में भी इस समय समान नागरिक संहिता को लेकर बहस छिड़ गई है.