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भाजपा नेता Vs पुलिस प्रशासन; टकराव के मामलों को अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद संभालेंगे - BJP Leader Vs Police Administration

लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद लगातार यह सवाल उठाया जाता रहा है कि उत्तर प्रदेश में नेताओं और कार्यकर्ताओं की बात अधिकारियों ने नहीं सुनी. अधिकारियों ने नेताओं और कार्यकर्ताओं का जमकर उत्पीड़न किया था. जिसकी वजह से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव के दौरान एकजुट नहीं हुए.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा नेताओं से मुलाकात करते हुए. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 26, 2024, 2:33 PM IST

भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी और राजनीतिक विश्लेषक विजय मिश्र ने भाजपा की रणनीति पर रोशनी डाली. (वीडियो क्रेडिट; Etv Bharat)

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ पुलिस और प्रशासन के टकराव के मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब सीधे कमान अपने हाथ में ले चुके हैं. ऐसे मामलों को वे खुद संभालेंगे. हनुमानगढ़ी के महंत और बीजेपी के प्रबल समर्थक राजू दास और भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी के मामले में सीएम योगी खुद ही दोनों से बात की है. दोनों का पुलिस प्रशासन से टकराव हुआ था. ऐसे में अफसरों के लिए यह सीधा संदेश है कि भाजपा नेताओं के साथ अभद्र व्यवहार पर मुख्यमंत्री अब बहुत संजीदा हो चुके हैं.

लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद लगातार यह सवाल उठाया जाता रहा है कि उत्तर प्रदेश में नेताओं और कार्यकर्ताओं की बात अधिकारियों ने नहीं सुनी. अधिकारियों ने नेताओं और कार्यकर्ताओं का जमकर उत्पीड़न किया था. जिसकी वजह से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव के दौरान एकजुट नहीं हुए.

परिणाम यह हुआ कि कई सीट पर कार्यकर्ताओं की नाराजगी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार पर भारी पड़ी और बीजेपी को 2019 के मुकाबले 2024 के लोकसभा चुनाव में करीब आधी सीटें प्राप्त हुईं. चुनाव के बाद भाजपा की जो समीक्षा चल रही है, उसमें यह प्रमुख बिंदु सामने आया है. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है. नतीजा यह हुआ है कि अब मुख्यमंत्री अधिक लोगों से मुलाकात कर रहे हैं.

अयोध्या में भारतीय जनता पार्टी के प्रबल समर्थक हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास का जब जिलाधिकारी से विवाद हुआ तो इस प्रकरण के दूसरे दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजू दास से मुलाकात की. इसके बाद यह प्रकरण शांत हो गया.

लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि उनकी गाड़ी की जांच के नाम पर उनके परिवार के साथ अभद्रता हुई. इस मामले में पुलिस के सब इंस्पेक्टर को निलंबित भी किया गया. इस प्रकरण के ठीक दूसरे दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी से मुलाकात की. यह दो महत्वपूर्ण प्रकरण थे जिनमें मुख्यमंत्री ने सीधे नेता से मुलाकात करके मामले को संजीदा तरीके से हैंडल किया.

राजनीतिक विश्लेषक विजय मिश्र ने बताया कि निश्चित तौर पर ये बड़ा मुद्दा लोकसभा चुनाव के दौरान रहा है, जब नेता और कार्यकर्ता अधिकारियों से परेशान थे. उनकी सुनवाई न होने का परिणाम पार्टी को लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ा है. मुख्यमंत्री ने पूरे मामले को सीधे हैंडल करना शुरू किया है. यह एक बहुत अच्छी शुरुआत है. इसके सकारात्मक परिणाम निकट भविष्य में देखने को मिलेंगे.

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए नई बात नहीं है. वह हमेशा से नेताओं और कार्यकर्ताओं की सुनवाई करते रहे हैं. इसीलिए वे जन नेता के तौर पर जाने जाते हैं. आगे भी या सिलसिला जारी रहेगा मुख्यमंत्री हमेशा कार्यकर्ता और नेताओं से मिलते हैं. इसमें कोई नई बात नहीं है.

ये भी पढ़ेंः विधानसभा उपचुनाव को लेकर संजय निषाद का बड़ा बयान; बोले- कांग्रेस की छीछालेदर कराएंगे राहुल गांधी

भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी और राजनीतिक विश्लेषक विजय मिश्र ने भाजपा की रणनीति पर रोशनी डाली. (वीडियो क्रेडिट; Etv Bharat)

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ पुलिस और प्रशासन के टकराव के मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब सीधे कमान अपने हाथ में ले चुके हैं. ऐसे मामलों को वे खुद संभालेंगे. हनुमानगढ़ी के महंत और बीजेपी के प्रबल समर्थक राजू दास और भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी के मामले में सीएम योगी खुद ही दोनों से बात की है. दोनों का पुलिस प्रशासन से टकराव हुआ था. ऐसे में अफसरों के लिए यह सीधा संदेश है कि भाजपा नेताओं के साथ अभद्र व्यवहार पर मुख्यमंत्री अब बहुत संजीदा हो चुके हैं.

लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद लगातार यह सवाल उठाया जाता रहा है कि उत्तर प्रदेश में नेताओं और कार्यकर्ताओं की बात अधिकारियों ने नहीं सुनी. अधिकारियों ने नेताओं और कार्यकर्ताओं का जमकर उत्पीड़न किया था. जिसकी वजह से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव के दौरान एकजुट नहीं हुए.

परिणाम यह हुआ कि कई सीट पर कार्यकर्ताओं की नाराजगी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार पर भारी पड़ी और बीजेपी को 2019 के मुकाबले 2024 के लोकसभा चुनाव में करीब आधी सीटें प्राप्त हुईं. चुनाव के बाद भाजपा की जो समीक्षा चल रही है, उसमें यह प्रमुख बिंदु सामने आया है. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है. नतीजा यह हुआ है कि अब मुख्यमंत्री अधिक लोगों से मुलाकात कर रहे हैं.

अयोध्या में भारतीय जनता पार्टी के प्रबल समर्थक हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास का जब जिलाधिकारी से विवाद हुआ तो इस प्रकरण के दूसरे दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजू दास से मुलाकात की. इसके बाद यह प्रकरण शांत हो गया.

लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि उनकी गाड़ी की जांच के नाम पर उनके परिवार के साथ अभद्रता हुई. इस मामले में पुलिस के सब इंस्पेक्टर को निलंबित भी किया गया. इस प्रकरण के ठीक दूसरे दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी से मुलाकात की. यह दो महत्वपूर्ण प्रकरण थे जिनमें मुख्यमंत्री ने सीधे नेता से मुलाकात करके मामले को संजीदा तरीके से हैंडल किया.

राजनीतिक विश्लेषक विजय मिश्र ने बताया कि निश्चित तौर पर ये बड़ा मुद्दा लोकसभा चुनाव के दौरान रहा है, जब नेता और कार्यकर्ता अधिकारियों से परेशान थे. उनकी सुनवाई न होने का परिणाम पार्टी को लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ा है. मुख्यमंत्री ने पूरे मामले को सीधे हैंडल करना शुरू किया है. यह एक बहुत अच्छी शुरुआत है. इसके सकारात्मक परिणाम निकट भविष्य में देखने को मिलेंगे.

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए नई बात नहीं है. वह हमेशा से नेताओं और कार्यकर्ताओं की सुनवाई करते रहे हैं. इसीलिए वे जन नेता के तौर पर जाने जाते हैं. आगे भी या सिलसिला जारी रहेगा मुख्यमंत्री हमेशा कार्यकर्ता और नेताओं से मिलते हैं. इसमें कोई नई बात नहीं है.

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