लखनऊ: यूपी का कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य है. इसे समाजवादी का गढ़ माना जाता है. लेकिन, हाल ही में इस सीट पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सपा के इस गढ़ को भेद दिया. 30 साल बाद भाजपा को उनके सिपहसलार रामवीर ठाकुर ने दिलाई है. 2007 से तीन बार हार झेलते आ रहे रामवीर ठाकुर ने जीत का सेहरा कैसे पहना, उसकी कहानी भी बड़ी रोचक है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी बताई.
यूपी विधानसभा में पहली बार जब रामवीर ठाकुर ने कदम रखा तो उनके चेहरे पर खुशी के भाव थे. हों भी क्यों न, 30 साल के संघर्ष के बाद जो यहां पहुंचे थे. बातचीत में उन्होंने बताया कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र कुंदरकी से भाजपा के टिकट पर वह पहली बार 2007 में विधानसभा चुनाव लड़े थे. डगर तो कठिन थी लेकिन, मुझे विश्वास था कि हम यहां के लोगों में अपनी जगह बना लेगें.
हुआ भी वैसा ही. 2007 के चुनाव में उन्हें 2500 मुस्लिम वोट मिले. इसके बाद 2012 में उन्हें 5 हजार मुस्लिम वोट मिले. इस बार उनको कुल वोट 65 हजार से ज्यादा मिले. इसके बाद हमने कड़ी मेहनत की और मुझे एक लाख से ज्यादा वोट मिला, जिसमें 25 हजार से ज्यादा मुस्लिम वोट थे. कभी यहां का मुसलमान हमसे नाराज नहीं हुआ. हमेशा वह मेरे साथ रहा और जुड़ता चला गया. बता दें कि हाल ही में सम्पन्न हुए यूपी उपचुनाव में विधायक रामवीर ठाकुर कुंदरकी सीट पर करीब डेढ़ लाख वोटों से जीते हैं.
मुसलमानों का कैसे जीता भरोसा: रामवीर ठाकुर आगे बताते हैं कि 20 साल से वो गांव-गांव जाकर, नुक्कड़ सभाओं में मुस्लिम समाज को समझा रहे थे कि उनके 95% पूर्वज का DNA 'हिंदू' है. कई लोग ठाकुर समाज से भी मुस्लिम बने हैं. इसके कई प्रमाण भी मौजूद हैं. इसको यहां के लोगों ने स्वीकार किया और हम पर भरोसा जताया. कुंदरकी के मुस्लिम समाज ने 30 वर्षों तक कौम के उम्मीदवारों को मौका दिया. अब 30 महीने मुझे दिए हैं. तो यह दर्शाता है कि मुस्लिम समाज मुझमें और भाजपा दोनों में अपना विश्वास दिखा रहा है. मेरा व्यक्तिगत लगाव भी समाज से अच्छा है.
संभल-बनारस में बंद मिले मंदिरों पर क्या बोले भाजपा विधायक: विधायक रामवीर ठाकुर ने बताया कि संभल और बनारस में बंद मंदिर मिले हैं. जिन्हें स्थानीय प्रशासन ने खुलवाया और अब वहां पूजा-अर्चना शुरू हो गई है. दरअसल, ये दोनों ही क्षेत्र पहले कभी हिंदू बाहुल्य हुआ करते थे. लेकिन, बीच में कुछ ऐसा हुआ कि हिंदुओं का पलायन हो गया और उनके मंदिरों की ओर दूसरे समुदाय के लोगों ने ध्यान नहीं. ये इलाके हिंदू बाहुल्य थे इसे सपा ने भी सदन में स्वीकार किया है.
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