पटना: जिस सम्राट चौधरी ने सिर पर मुरेठा बांधा था कि वह जब तक नीतीश कुमार को सीएम पद से हटाएंगे नहीं मुरेठा नहीं उतारेंगे. आज उनके सिर पर मुरेठा जरूर है, लेकिन वह नीतीश कुमार के प्रमुख सहयोगी बनकर साथ में उपमुख्यमंत्री बन रहे हैं. बिहार के इस राजनीतिक घटनाक्रम पर वरिष्ठ पत्रकारों का स्पष्ट कहना है कि भाजपा ने सिर्फ बिहार के फायदे के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर 2024 लोकसभा चुनाव की मजबूत तैयारी को दिखाने के लिए नीतीश कुमार को अपने साथ मिलाया है.
'राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण कुर्सी' : सम्राट चौधरी के लिए यह कैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. इस पर बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार ने बताया कि राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण कुर्सी होती है और सभी सत्ता से यारी चाहते हैं. नीतीश कुमार इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं. चाहे किसी के साथ वह जाते हैं मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाए रखते हैं. सम्राट चौधरी जब विपक्ष में थे, तो उन्हें लग रहा था कि वह नीतीश कुमार के साथ नहीं जाएंगे और उनके खिलाफ बोल रहे थे. इस बात में सच्चाई थी कि लालू और नीतीश साथ रहते तो 2025 में भाजपा का पलड़ा भारी होता.
"राजनीति में कोई पगड़ी नहीं होता, सबसे बड़ी पगड़ी कुर्सी होती है. नीतीश कुमार कभी बोलते हैं, मिट्टी में मिल जाएंगे भाजपा में नहीं जाएंगे, मर जाएंगे लेकिन राजद के साथ नहीं जाएंगे. लेकिन वह पाला बदलते रहते हैं. राजनीति में कथनी और करनी में काफी अंतर होता है. उन्हें लगता है कि सत्ता मिल जाने पर सभी गिले शिकवे दूर हो जाते हैं, तो नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी के बीच दूरियां खत्म हो जाएगी." - संतोष कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
'गठबंधन सरकार में भुला दी जाती है कड़वाहट' : संतोष ने कहा कि चिराग पासवान को भी भाजपा के लोग मना रहे हैं. गठबंधन सरकार में थोड़ी कड़वाहट होती है, लेकिन सत्ता सभी दुख भुला देती है. इस समीकरण से निश्चित तौर पर भाजपा को 2024 चुनाव में काफी फायदा होगा. अगर लालू और नीतीश साथ में होते तो इंडिया गठबंधन के सामने भाजपा मुश्किल से 10 सीट निकाल पाती, लेकिन अब के समीकरण में भाजपा 40 में 40 निकाल ले तो कोई आश्चर्य नहीं.
'कुर्सी बचाए रखने के लिए एनडीए में गए नीतीश कुमार' : वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी के लिए एक राज्य अधिक मायने नहीं रखता बल्कि केंद्र की सत्ता बहुत मायने रखती है. नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन में लग रहा था कि, उन्हें कुछ नहीं मिलेगा और 2025 में तेजस्वी को सत्ता सौंपनी पड़ेगी तो वह अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए भाजपा के साथ मिल गए.
राजनीति में नहीं होती स्थायी दोस्ती या दुश्मनी : वहीं वरिष्ठ पत्रकार अशोक मिश्रा ने कहा कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त और स्थायी दुश्मन नहीं होता यहां सिर्फ सत्ता मायने रहती है. नीतीश कुमार ने कहा था कि वह कभी भाजपा के साथ नहीं जाएंगे. आज साथ आ गए. उन्होंने कहा था कि हमारे बाद तेजस्वी ही सब कुछ देखेंगे और तेजस्वी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया. सम्राट चौधरी ने कहा था कि नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से उतार कर ही पगड़ी उतारेंगे, यह उनका मिशन था और अभी यह पूरा नहीं हुआ है. अभी वह नीतीश कुमार के साथ आए हैं.
"सम्राट चौधरी ने जब यह कहा था तो समय सीमा निर्धारित नहीं थी कि 2025 होगा या 2030 होगा. राजनीति में सभी संभावनाएं खुली रहती है.2025 का विधानसभा चुनाव अभी बाकी है, भाजपा के लिए अभी सबसे महत्वपूर्ण 2024 लोकसभा चुनाव है. भाजपा ने बिहार में नीतीश कुमार को साथ लाकर पूरे देश में इंडिया गठबंधन के खिलाफ एक मैसेज दिया है." - अशोक मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार
2024 के लिए यह मैसेज : अशोक मिश्रा ने कहा कि भाजपा देश में लोगों को बता रही है कि इंडिया गठबंधन के जो सूत्रधार थे वहीं अब भाजपा के साथ आ गए हैं.बंगाल में ममता बनर्जी जिस प्रकार से अलग हो गई, दिल्ली और पंजाब में केजरीवाल अलग हो गए और बिहार में अब नीतीश कुमार अलग हो गए हैं. इससे 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा यह मैसेज देगी की इंडिया गठबंधन की कोई नीति नहीं है नहीं उसे पर भरोसा किया जा सकता क्योंकि उसके सभी साथी उसे छोड़कर जा रहे हैं.
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