जयपुर. लोकसभा के दंगल के लिए कांग्रेस और बीजेपी के दावेदारों के नाम तय होने के साथ ही रण की तस्वीर लगभग फाइनल हो गई है. एक तरफ कांग्रेस और भाजपा के केंद्रीय नेताओं के दौरे तय हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ मतदान के दूसरे चरण के नामांकन प्रक्रिया अंतिम दौर की तरफ जा रही है, लेकिन कांग्रेस-भाजपा में टिकटों का घमासान खत्म नहीं हो रहा है. बीजेपी पिछले चुनाव में सबसे ज्यादा मार्जिन के साथ चुनाव जीतने वाली भीलवाड़ा सीट पर कैंडिडेट फाइनल नही कर पा रही है तो वहीं कांग्रेस डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट पर गठबंधन के लिए मनुहार कर रही है.
सबसे बड़ी जीत पर घमासान ! : साल 2019 में भीलवाड़ा सीट खासा चर्चाओं में रही, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने भीलवाड़ा सीट सर्वाधिक 6 लाख से अधिक मतों से जीता था. भाजपा प्रत्याशी सुभाष बहेड़िया ने कांग्रेस के रामपाल शर्मा को सर्वाधिक मार्जिन से हराया था, लेकिन इस बार अब तक इसी सीट पर पार्टी प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है. जबकि कांग्रेस ने यहां सीपी जोशी को मैदान में उतारा है. दूसरे चरण में मतदान होने वाली इस सीट पर घमासान इस लिए मचा हुआ है क्योंकि स्थानीय विचार परिवार मौजूदा सांसद सुभाष बहेड़िया की टिकट देने में पक्ष में नही है. विधानसभा चुनाव 2023 से भीलवाड़ा में भाजपा और विचार परिवार के बीच टकराव सामने आ गया था, संघ और सहयोगियों ने विधानसभा चुनाव में भी भीलवाड़ा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी विठ्ठलशंकर अवस्थी का विरोध किया और कारोबारी अशोक कोठारी को उतारा था. कोठारी की जीत हुई. विधानसभा चुनाव वाली स्थिति लोकसभा में न बने इस कोशिश में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व लगा हुआ है. बताया जा रहा है कि भाजपा के प्रदेश महामंत्री दामोदर अग्रवाल और कुछ दिनों पहले कांग्रेस से भाजपा में आए कारोबारी रिजु झुनझुनवाला भाजपा के प्रमुख उम्मीदवार की रेस में हैं.
जीत का मार्जिन : दरअसल भाजपा के टिकट बंटवारे में जीत का मार्जिन मुद्दा नही है. सर्वाधिक वोटों के अंतर वाली सीट को देखे तो लोकसभा चुनाव 2019 में भीलवाड़ा सीट 6 लाख 11 हजार 460 वोट से जीत दर्ज करने वाली प्रदेश की पहली सीट रही थी, उसके बाद दूसरे नम्बर पर चित्तौड़गढ़ जहां जीत का अंतर 5 लाख 76 हजार 247 का रहा, इसके बाद तीसरे नम्बर पर राजसमंद सीट रही जहां जीत का मार्जिन 5 लाख 51 हजार 916 रहा, चौथे नम्बर पाली जहां 4 लाख 81 हजार 597 का रहा वहीं पांचवें पायदान पर झालावाड़ 4 लाख 53 हजार 928 के मार्जिन से जीत दर्ज की.
गठबंधन की मनुहार : ऐसा नहीं है टिकटों का घमासान भाजपा में ही है. कांग्रेस ने भी अभी तक डूंगरपुर - बांसवाड़ा सीट पर प्रत्याशी नही उतारा है. हालांकि कांग्रेस इस सीट ओर रणनीति के तौर पर आगे बढ़ रही है जिसके चलते टिकट का पेंच फसा हुआ है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस इस सीट पर बीएपी यानी भारती ट्राइबल पार्टी गठबंधन के लिए बातचीत कर रही है. बता दें कि कांग्रेस इस बार लोकसभा चुनाव में तीन सीटों पर गठबंधन की रणनीति के साथ काम कर रही है, इसमें सीकर में माकपा और नागौर में आरएलपी से गठबंधन कर चुकी है. अब माना जा रहा है कि डूंगरपुर - बांसवाड़ा पर बीएपी से गठबंधन करना चाहती है,हालांकि BAP ने उदयपुर लोकसभा सीट पर पहले ही अपना उम्मीदवार घोषित कर कांग्रेस - बीजेपी को चुनौती दे दी है.