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Rajasthan: खींवसर विधानसभा उपचुनाव: भाजपा ने खोले पत्ते, अब बारी आरएलपी व कांग्रेस की

डीडवाना-कुचामन जिले की खींवसर विधानसभा उपचुनाव को लेकर भाजपा ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. अब बारी आरएलपी व कांग्रेस की है.

Khinvsar Assembly by Election
खींवसर विधानसभा उपचुनाव (Photo ETV Bharat Kuchamancity)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 21, 2024, 10:02 AM IST

Updated : Oct 21, 2024, 1:36 PM IST

कुचामनसिटी: जिले की खींवसर विधानसभा के उप चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर से रेवंतराम डांगा पर ही दांव खेला है, जबकि हनुमान बेनीवाल की पार्टी रालोपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. अभी यह भी तय नहीं हुआ कि कांग्रेस से गठबंधन होगा या नहीं.

राजनीतिक विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार विनोद गौड़ ने बताया कि नागौर जिले के सांसद एवं रालोपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल के सामने टिकट वितरण एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. देखना होगा कि वे अपने भाई व पत्नी में से किसी को टिकट देते हैं, या फिर किसी तीसरे को मौका मिलेगा. इन दोनों सवालों का खुलासा जल्द ही हो जाएगा. इधर, खींवसर में विधान सभा उपचुनाव के लिए 268 मतदान केंद्रों पर 13 नवंबर को मतदान होगा. इसके लिए अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामाकंन पत्र लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. नामांकन की आखिरी तारीख 25 अक्टूबर है. नामाकंन पत्रों की जांच 28 अक्टूबर तथा नाम वापसी की तारीख 30 अक्टूबर होगी. मतगणना 23 नवंबर को होगी.

पढ़ें: उपचुनाव की बेला,7 सीटों पर 'खेला', राजस्थान के 7 सीटों पर नामांकन प्रक्रिया आज से शुरू

भाजपा ने डांगा पर दूसरी बार किया भरोसा: भाजपा ने रेवंतराम डांगा को लगातार दूसरी बार टिकट देकर उन पर भरोसा जताया है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह विधानसभा चुनाव 2023 में उनके प्रदर्शन को माना जा रहा है. डांगा ने बेनीवाल को कड़ी टक्कर दी थी और दूसरे नंबर पर रहे थे. बेनीवाल कड़े मुकाबले में महज 2059 वोटों से ही जीत पाए थे. डांगा ने 77 हजार 433 मत हासिल किए, जबकि रालोपा के हनुमान बेनीवाल को 79 हजार 492 मत मिले थे. डांगा किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनकी पत्नी गीतादेवी वर्तमान में मूंडवा पंचायत समिति की प्रधान हैं. डांगा परिवार के सदस्यों में से ही लगातार 30 सालों तक मुंदियाड़ ग्राम पंचायत सरपंच पद पर रहा है. डांगा को टिकट मिलने के बाद खींवसर में कोई बगावत के सुर भी सामने नहीं आए. भाजपा इस बार के चुनावी मुकाबले का एकजुट होकर सामना करने को तैयार हैं.

खींवसर सीट पर 16 साल से बेनीवाल का कब्जा: खींवसर विधानसभा सीट पर 16 सालों से बेनीवाल का कब्जा है. रालोपा के हनुमान बेनीवाल ने 2008 में भाजपा के टिकट से चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी. 2013 में खींवसर से निर्दलीय चुनाव लड़कर दूसरी बार जीत दर्ज की. वहीं 2018 में बेनीवाल ने खुद की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा और जीते, जबकि 2019 में उपचुनाव में हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल ने भाजपा के साथ गठबंधन में सीट जीती. 2023 में हनुमान बेनीवाल ने खींवसर से विधानसभा का खुद चुनाव लड़ा और जीते. इस जीत से हनुमान बेनीवाल चौथी बार विधायक चुने गए थे.

यह भी पढ़ें: ग्रीन इलेक्शन थीम पर संपन्न कराया जाएगा रामगढ़ उपचुनाव, आचार संहिता लागू

गठबंधन नहीं हुआ तो कांग्रेस भी उतरेगी मैदान में: यदि रालोपा-कांग्रेस का गठबंधन नहीं हुआ तो कई लोग कांग्रेस के टिकट की कतार में हैं. हालांकि अभी तय नहीं हुआ कि कांग्रेस-आरएलपी का गठबंधन रहेगा या नहीं. कांग्रेस ने गठबंधन नहीं रहने पर उम्मीदवार उतारने की पूरी तैयारी कर ली है. कांग्रेस ने संयोजक व सहसंयोजक के साथ अन्य पदाधिकारी भी नियुक्त कर दिए हैं. प्रभारी चिरंजीत राव ने भी बैठक लेकर कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोली. इसमें सामने आया कि यहां से कांग्रेस का टिकट मांगने वालों की संख्या भी करीब आधा दर्जन है.

कुचामनसिटी: जिले की खींवसर विधानसभा के उप चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर से रेवंतराम डांगा पर ही दांव खेला है, जबकि हनुमान बेनीवाल की पार्टी रालोपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. अभी यह भी तय नहीं हुआ कि कांग्रेस से गठबंधन होगा या नहीं.

राजनीतिक विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार विनोद गौड़ ने बताया कि नागौर जिले के सांसद एवं रालोपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल के सामने टिकट वितरण एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. देखना होगा कि वे अपने भाई व पत्नी में से किसी को टिकट देते हैं, या फिर किसी तीसरे को मौका मिलेगा. इन दोनों सवालों का खुलासा जल्द ही हो जाएगा. इधर, खींवसर में विधान सभा उपचुनाव के लिए 268 मतदान केंद्रों पर 13 नवंबर को मतदान होगा. इसके लिए अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामाकंन पत्र लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. नामांकन की आखिरी तारीख 25 अक्टूबर है. नामाकंन पत्रों की जांच 28 अक्टूबर तथा नाम वापसी की तारीख 30 अक्टूबर होगी. मतगणना 23 नवंबर को होगी.

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भाजपा ने डांगा पर दूसरी बार किया भरोसा: भाजपा ने रेवंतराम डांगा को लगातार दूसरी बार टिकट देकर उन पर भरोसा जताया है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह विधानसभा चुनाव 2023 में उनके प्रदर्शन को माना जा रहा है. डांगा ने बेनीवाल को कड़ी टक्कर दी थी और दूसरे नंबर पर रहे थे. बेनीवाल कड़े मुकाबले में महज 2059 वोटों से ही जीत पाए थे. डांगा ने 77 हजार 433 मत हासिल किए, जबकि रालोपा के हनुमान बेनीवाल को 79 हजार 492 मत मिले थे. डांगा किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनकी पत्नी गीतादेवी वर्तमान में मूंडवा पंचायत समिति की प्रधान हैं. डांगा परिवार के सदस्यों में से ही लगातार 30 सालों तक मुंदियाड़ ग्राम पंचायत सरपंच पद पर रहा है. डांगा को टिकट मिलने के बाद खींवसर में कोई बगावत के सुर भी सामने नहीं आए. भाजपा इस बार के चुनावी मुकाबले का एकजुट होकर सामना करने को तैयार हैं.

खींवसर सीट पर 16 साल से बेनीवाल का कब्जा: खींवसर विधानसभा सीट पर 16 सालों से बेनीवाल का कब्जा है. रालोपा के हनुमान बेनीवाल ने 2008 में भाजपा के टिकट से चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी. 2013 में खींवसर से निर्दलीय चुनाव लड़कर दूसरी बार जीत दर्ज की. वहीं 2018 में बेनीवाल ने खुद की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा और जीते, जबकि 2019 में उपचुनाव में हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल ने भाजपा के साथ गठबंधन में सीट जीती. 2023 में हनुमान बेनीवाल ने खींवसर से विधानसभा का खुद चुनाव लड़ा और जीते. इस जीत से हनुमान बेनीवाल चौथी बार विधायक चुने गए थे.

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गठबंधन नहीं हुआ तो कांग्रेस भी उतरेगी मैदान में: यदि रालोपा-कांग्रेस का गठबंधन नहीं हुआ तो कई लोग कांग्रेस के टिकट की कतार में हैं. हालांकि अभी तय नहीं हुआ कि कांग्रेस-आरएलपी का गठबंधन रहेगा या नहीं. कांग्रेस ने गठबंधन नहीं रहने पर उम्मीदवार उतारने की पूरी तैयारी कर ली है. कांग्रेस ने संयोजक व सहसंयोजक के साथ अन्य पदाधिकारी भी नियुक्त कर दिए हैं. प्रभारी चिरंजीत राव ने भी बैठक लेकर कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोली. इसमें सामने आया कि यहां से कांग्रेस का टिकट मांगने वालों की संख्या भी करीब आधा दर्जन है.

Last Updated : Oct 21, 2024, 1:36 PM IST
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