पटना: बिहार में भाजपा और जदयू ने इस बार 33 सिटिंग सांसदों में से 25 को टिकट दिया है. 8 सांसदों का टिकट कटा है. बीजेपी ने अपने 17 सांसदों में से 13 को फिर से मैदान में उतारा है तो, वहीं जदयू ने 16 सांसदों में से 12 सांसदों को फिर से मौका दिया है. जदयू को इस बार गया और काराकाट सीट छोड़नी पड़ी. वही शिवहर सीट मिली है. सिवान और सीतामढ़ी सीट से जदयू ने उम्मीदवार बदले हैं. जबकि भाजपा ने बक्सर सासाराम नवादा और मुजफ्फरपुर से नया उम्मीदवार दिया है.
सिटिंग सांसदों पर जताया भरोसा: भाजपा और जदयू में ऐसे तो पहले यह चर्चा थी कि कई सिटिंग सांसदों का बिहार में टिकट कटेगा. लेकिन, ऐसा हुआ नहीं. दोनों दलों ने अपने अधिकांश सांसदों पर ही फिर से भरोसा जताया है. हालांकि अश्विनी चौबे, छेदी पासवान, सुनील पिंटू, अजय निषाद और कविता सिंह का टिकट जरूर कटा है. कई राज्यों में बीजेपी ने अपने अधिकांश सिटिंग सांसदों का टिकट काटा था बिहार में भी राधा मोहन सिंह, रवि शंकर प्रसाद सहित कई सिटिंग सांसदों के टिकट काटने की चर्चा थी लेकिन नहीं काटा. राजनीतिक विशेषज्ञ कह रहे हैं कि जिस प्रकार से तेजस्वी ने बिहार में घेराबंदी की है, एनडीए को अपने पुराने सांसदों को फिर से मैदान में उतारने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
बिहार में प्रयोग नहीं करना चाहती बीजेपीः राजनीतिक विश्लेषक प्रो अजय झा का कहना है कि तेजस्वी यादव ने जिस प्रकार से घेराबंदी बिहार में की है एनडीए के दोनों महत्वपूर्ण घटक दलों ने कोई रिस्क लेना जरूरी नहीं समझा. इसलिए इस बार अपने सिटिंग सांसदों पर ही भरोसा जताया है. वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है बिहार हमेशा बीजेपी के लिए मुश्किल बढ़ाता रहा है. हालांकि नीतीश कुमार के एनडीए में आने के बाद बीजेपी राहत की सांस ले रही है, उसके बावजूद बीजेपी बिहार में कोई प्रयोग करना नहीं चाहती है. यही बड़ा कारण है अधिक सांसदों का टिकट इस बार काटा नहीं गया है.
"हम लोग सभी सीट जीतना चाहते हैं और इसी के तहत जो उम्मीदवार जितने वाले हैं उन्हीं को टिकट दिया गया है."- संजय गांधी, जदयू एमएलसी
समीकरण एनडीए के पक्ष में: जदयू और बीजेपी के 8 सिटिंग सांसदों को टिकट नहीं मिला है. उसमें से तीन सांसद का टिकट इसलिए काटा गया है क्योंकि जदयू और बीजेपी को वह सीट छोड़नी पड़ी है. इसमें शिवहर, काराकाट और गया शामिल है. इसके अलावा दोनों दलों में कई ऐसे उम्मीदवार थे जो टिकट चाहते थे, लेकिन उन्हें नहीं मिला. जदयू में अली अशरफ फातमी और बीमा भारती बागी हो गई है. राजनीतिक जानकार कह रहे हैं कि इनका बहुत ज्यादा असर एनडीए उम्मीदवार पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी के सामने और बिहार में जो जातीय सामाजिक समीकरण एनडीए के पक्ष में है इसका लाभ एनडीए उम्मीदवारों को होगा.
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