देहरादूनः केदारनाथ धाम में पिछले कुछ समय से लगातार ऐसे कई विवाद हैं जो राजनीतिक रूप से चर्चाओं में बने हुए हैं. भाजपा विधायक शैला रानी रावत के निधन के बाद केदारनाथ विधानसभा सीट खाली है और जल्द ही इस पर उपचुनाव भी होने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि इस सीट पर होने वाले चुनाव से पहले राजनीतिक दल दमखम दिखाकर खुद को मजबूत करने में जुटे हुए हैं. खाली सीट पर पिछले कुछ समय में ही ऐसे कई विवाद और बयान सामने आए हैं जिसे सरकार के लिए परेशानी तो खड़ी की है. साथ ही आने वाले चुनाव में कड़े मुकाबले के भी संकेत दे दिए हैं.
राहुल और खड़गे आ सकते हैं उत्तराखंड: कांग्रेस ने इस सीट को जीतने के लिए अभी से तमाम मुद्दों पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. खास बात यह भी है कि बदरीनाथ विधानसभा सीट पर कांग्रेस के उपचुनाव जीतने से पार्टी के कार्यकर्ता भी उत्साहित है. बताया जा रहा है कि सितंबर में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे उत्तराखंड पहुंच रहे हैं. इस दौरान वो केदारनाथ को लेकर भी राजनीति को गर्मा सकते हैं.
सुर्खियों में केदारनाथ: केदारनाथ को लेकर पहले ही राजनीति अपने चरम पर है. पिछले दिनों ही केदारनाथ धाम में सोना चोरी होने का मामला जोर-जोर से कांग्रेस ने उठाया था. बड़ी बात यह है कि कई भगवाधारी भी इस बयानबाजी की जंग में उतर गए थे. उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर भी यह मामला सुनाई दिया. उधर दूसरी तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के उद्घाटन को लेकर भी खूब शोर मचा और दिल्ली में केदारनाथ नाम से मंदिर बनाए जाने पर कांग्रेस ने जमकर हो हल्ला काटा. इसके बाद केदारनाथ में प्राकृतिक आपदा की स्थिति पर भी कांग्रेस लगातार सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है. इस तरह देखा जाए तो कुल मिलाकर उत्तराखंड में पिछले लंबे समय से लगातार केदारनाथ राजनीति का केंद्र बिंदु बना हुआ है. आने वाले विधानसभा उपचुनाव में केदारनाथ के नाम पर राजनीति भी चरम पर रहने वाली है.
भाजपा ने किया हमला: इस पूरे मामले पर भारतीय जनता पार्टी भी अपनी तैयारी में जुटी हुई है. फिलहाल भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार के कामों के जरिए क्षेत्र में सरकार के खिलाफ चल रहे माहौल को कम करने की कोशिश में जुटी हुई है. उधर पिछले कुछ समय में केदारनाथ को लेकर चल रहे विवाद का फायदा कांग्रेस ना उठा ले, इस पर भी भाजपा अपनी रणनीति में जुटी हुई है.
भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र भसीन का कहना है कि कांग्रेस हाईकमान ने कभी भी उत्तराखंड को तवज्जो नहीं दी है. यहां तक की लोकसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी के बड़े नेताओं ने उत्तराखंड आने से परहेज किया है. यदि केदारनाथ की सीट पर उपचुनाव को लेकर यह बड़े नेता उत्तराखंड पर फोकस करते हैं तो इससे साफ जाहिर होता है कि वह इस सीट पर हार की संभावना लगा चुके हैं. हालांकि कांग्रेस में राहुल गांधी या किसी दूसरे नेता के केदारनाथ उपचुनाव के लिए आने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा. जहां तक बात मंगलौर और बदरीनाथ सीट की है तो वह दोनों ही सीटें भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में भी हारी थी. इसके बावजूद 2024 के उपचुनाव में पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया.
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