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यूपी में उपचुनाव बीजेपी के लिए बना बड़ी चुनौती; 10 सीटें जीतने का टार्गेट मिला, संघ की रिपोर्ट से बढ़ी परेशानी - UP POLITICS

लखनऊ में सीएम आवास पर बुधवार देर रात भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी के बीच समन्वय को लेकर बैठक हुई थी. सूत्रों के मुताबिक, बैठक में 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव को लेकर भी सरकार को फीडबैक दिए गए थे.

10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए बीजेपी ने बनाया 10 सीटों को जीतने का लक्ष्य
10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए बीजेपी ने बनाया 10 सीटों को जीतने का लक्ष्य (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 23, 2024, 5:52 PM IST

Updated : Aug 23, 2024, 6:09 PM IST

जानकारी देते भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौधरी (Video credit: ETV Bharat)

लखनऊ : उपचुनाव में 10 विधानसभा सीटों को लेकर भारतीय जनता पार्टी का वास्तविक लक्ष्य सात सीटों का है. हाल ही में प्रभारी मंत्रियों ने जो रिपोर्ट बीजेपी को दी है, उसमें सात सीट मिलने की उम्मीद जताई गई है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जो फीडबैक भाजपा को दिया है उसमें केवल तीन ही सीटें कंफर्म बताई जा रही हैं. बीजेपी फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती मिल्कीपुर को मान रही है. अयोध्या लोकसभा की सीट को जीतकर भाजपा अयोध्या में हुई हार का बदला लेना चाहती है.


भारतीय जनता पार्टी ने जिन मंत्रियों की इन सीटों पर ड्यूटी लगाई थी, उन्होंने मुख्यमंत्री को जो अपनी रिपोर्ट दी है, उसके बारे में बताया जा रहा है कि सात सीटों पर बीजेपी को जीता माना गया है. बाकी तीन पर बहुत मेहनत करने की सिफारिश की गई है. तीन दिन पहले भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच एक संबंध में बैठक हुई थी. उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में भाजपा नेतृत्व को स्पष्ट बता दिया गया है कि तीन सीट आप जीत सकते हैं. यह सीट गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर और मीरापुर हो सकती है.

बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि यूपी विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों में बीजेपी जुट गई है. यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे. भारतीय जनता पार्टी के लिए यह बहुत जरूरी है कि यहां भाजपा अच्छा प्रदर्शन करे. भारतीय जनता पार्टी और एनडीए के पास मिलाकर पांच सीटें हैं, जबकि बची हुई पांच सीटों पर विपक्ष काबिज है. सपा के पास शीशामऊ कटेहरी करहल मिल्कीपुर और कुंदरकी सीट थीं. NDA के पास फूलपुर, गाजियाबाद, मीरापुर, खैर और मंझवा सीट है.


अम्बेडकर नगर की कटेहरी कुर्मी बाहुल्य सीट है. समाजवादी पार्टी यहां से सांसद लाल जी निर्मल की पुत्री को चुनाव लड़ा सकती है. यहां सपा के लालजी वर्मा सांसद बन गए हैं. सीट खाली है. बीजेपी ने कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह और अपना दल नेता आशीष पटेल को यहां तैनात किया है. सूत्रों के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी के लिए यह सीट संघ की नजर में बहुत कमजोर है.



शीशामऊ, कानपुर की यह सीट इरफान सोलंकी को सजा हो जाने की वजह से रिक्त हो गई है. यहां राज्य के संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना को जिम्मेदारी दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी से सलिल बिश्नोई उम्मीदवार हो सकते हैं. इस सीट पर किसी को भी भाजपा के लिए कमजोर बताया गया.



अयोध्या में मिल्कीपुर विधानसभा सीट से अवधेश प्रसाद समाजवादी पार्टी के सांसद बने हैं. यहां से राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही को जिम्मेदारी दी गई है. इस सीट पर कड़े संघर्ष की उम्मीद की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, संघ का मानना है कि यहां भाजपा अगर मेहनत करे तो जीत हासिल की जा सकती है.



करहल सीट से विधायक रहे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अब कन्नौज से सांसद हो गए हैं. यहां से राज्य के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह को जिम्मेदारी दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, संघ की नजर में यह सीट काफी कमजोर है. भाजपा का जीतना लगभग नामुमकिन है.



फूलपुर से प्रवीण पटेल सांसद बन गए हैं. मंत्री राकेश सचान को यहां जिम्मेदारी दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, संघ इस सीट को भी भारतीय जनता पार्टी के लिए कमजोर मान रहा है.



मझवां से विधायक रमेश बिंद भदोही से सांसद हो गए हैं. श्रम मंत्री अनिल राजभर को यहां की जिम्मेदारी दे दी गई है. भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर संघ की नजर में मजबूत है, लेकिन अति आत्मविश्वास से बचने की अपील की गई है.


गाजियाबाद से विधायक अतुल गर्ग, सांसद हो चुके हैं. इस सीट पर मंत्री सुनील शर्मा को उप चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है. इस सीट को भी बीजेपी के लिए मजबूत माना गया है.


मीरापुर से रालोद के चंदन चौहान सांसद बन गए हैं, इसलिए उपचुनाव होगा. मंत्री अनिल कुमार को लगाया गया है. यह सीट राष्ट्रीय लोकदल के खाते में जा सकती है. जहां बीजेपी अपने सहयोगी की मदद से जीत की उम्मीद कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, संघ का कहना है कि प्रत्याशी चयन में बहुत अधिक गंभीरता बरतने की आवश्यकता होगी.

कुंदरकी विधानसभा सीट पर जिया उर्र रहमान बर्क विधायक थे जोकि अब संभल से सांसद बन गए हैं. यह समाजवादी पार्टी का गढ़ है. सूत्रों के मुताबिक, संघ की नजर में यह सीट भाजपा के लिए बहुत कमजोर है.


खैर विधानसभा सीट पर अनूप प्रधान विधायक थे. यह अब भारतीय जनता पार्टी से अलीगढ़ से सांसद हो गए हैं. इस सीट को भाजपा के लिए मजबूत माना गया है. सूत्रों के मुताबिक, संघ का मानना है कि अच्छा उम्मीदवार चुनने पर भाजपा यहां से जीत सकती है.



भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौधरी ने इस विषय में बताया कि आरएसएस और भाजपा की बैठक अलग अलग मुद्दों पर होती है, उपचुनाव के संबंध में कोई चर्चा नहीं की जाती. वैसे भारतीय जनता पार्टी उपचुनाव में सभी 10 सीट पर जीत दर्ज करेगी.

यह भी पढ़ें : यूपी में उपचुनाव से पहले RSS ने बीजेपी को दी हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने की सलाह - RSS advises BJP before by election

यह भी पढ़ें : यूपी की 10 सीट पर उपचुनाव से पहले कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी; मिल सकता है नया प्रदेश प्रभारी - Congress Party New Strategy

जानकारी देते भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौधरी (Video credit: ETV Bharat)

लखनऊ : उपचुनाव में 10 विधानसभा सीटों को लेकर भारतीय जनता पार्टी का वास्तविक लक्ष्य सात सीटों का है. हाल ही में प्रभारी मंत्रियों ने जो रिपोर्ट बीजेपी को दी है, उसमें सात सीट मिलने की उम्मीद जताई गई है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जो फीडबैक भाजपा को दिया है उसमें केवल तीन ही सीटें कंफर्म बताई जा रही हैं. बीजेपी फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती मिल्कीपुर को मान रही है. अयोध्या लोकसभा की सीट को जीतकर भाजपा अयोध्या में हुई हार का बदला लेना चाहती है.


भारतीय जनता पार्टी ने जिन मंत्रियों की इन सीटों पर ड्यूटी लगाई थी, उन्होंने मुख्यमंत्री को जो अपनी रिपोर्ट दी है, उसके बारे में बताया जा रहा है कि सात सीटों पर बीजेपी को जीता माना गया है. बाकी तीन पर बहुत मेहनत करने की सिफारिश की गई है. तीन दिन पहले भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच एक संबंध में बैठक हुई थी. उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में भाजपा नेतृत्व को स्पष्ट बता दिया गया है कि तीन सीट आप जीत सकते हैं. यह सीट गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर और मीरापुर हो सकती है.

बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि यूपी विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों में बीजेपी जुट गई है. यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे. भारतीय जनता पार्टी के लिए यह बहुत जरूरी है कि यहां भाजपा अच्छा प्रदर्शन करे. भारतीय जनता पार्टी और एनडीए के पास मिलाकर पांच सीटें हैं, जबकि बची हुई पांच सीटों पर विपक्ष काबिज है. सपा के पास शीशामऊ कटेहरी करहल मिल्कीपुर और कुंदरकी सीट थीं. NDA के पास फूलपुर, गाजियाबाद, मीरापुर, खैर और मंझवा सीट है.


अम्बेडकर नगर की कटेहरी कुर्मी बाहुल्य सीट है. समाजवादी पार्टी यहां से सांसद लाल जी निर्मल की पुत्री को चुनाव लड़ा सकती है. यहां सपा के लालजी वर्मा सांसद बन गए हैं. सीट खाली है. बीजेपी ने कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह और अपना दल नेता आशीष पटेल को यहां तैनात किया है. सूत्रों के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी के लिए यह सीट संघ की नजर में बहुत कमजोर है.



शीशामऊ, कानपुर की यह सीट इरफान सोलंकी को सजा हो जाने की वजह से रिक्त हो गई है. यहां राज्य के संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना को जिम्मेदारी दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी से सलिल बिश्नोई उम्मीदवार हो सकते हैं. इस सीट पर किसी को भी भाजपा के लिए कमजोर बताया गया.



अयोध्या में मिल्कीपुर विधानसभा सीट से अवधेश प्रसाद समाजवादी पार्टी के सांसद बने हैं. यहां से राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही को जिम्मेदारी दी गई है. इस सीट पर कड़े संघर्ष की उम्मीद की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, संघ का मानना है कि यहां भाजपा अगर मेहनत करे तो जीत हासिल की जा सकती है.



करहल सीट से विधायक रहे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अब कन्नौज से सांसद हो गए हैं. यहां से राज्य के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह को जिम्मेदारी दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, संघ की नजर में यह सीट काफी कमजोर है. भाजपा का जीतना लगभग नामुमकिन है.



फूलपुर से प्रवीण पटेल सांसद बन गए हैं. मंत्री राकेश सचान को यहां जिम्मेदारी दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, संघ इस सीट को भी भारतीय जनता पार्टी के लिए कमजोर मान रहा है.



मझवां से विधायक रमेश बिंद भदोही से सांसद हो गए हैं. श्रम मंत्री अनिल राजभर को यहां की जिम्मेदारी दे दी गई है. भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर संघ की नजर में मजबूत है, लेकिन अति आत्मविश्वास से बचने की अपील की गई है.


गाजियाबाद से विधायक अतुल गर्ग, सांसद हो चुके हैं. इस सीट पर मंत्री सुनील शर्मा को उप चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है. इस सीट को भी बीजेपी के लिए मजबूत माना गया है.


मीरापुर से रालोद के चंदन चौहान सांसद बन गए हैं, इसलिए उपचुनाव होगा. मंत्री अनिल कुमार को लगाया गया है. यह सीट राष्ट्रीय लोकदल के खाते में जा सकती है. जहां बीजेपी अपने सहयोगी की मदद से जीत की उम्मीद कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, संघ का कहना है कि प्रत्याशी चयन में बहुत अधिक गंभीरता बरतने की आवश्यकता होगी.

कुंदरकी विधानसभा सीट पर जिया उर्र रहमान बर्क विधायक थे जोकि अब संभल से सांसद बन गए हैं. यह समाजवादी पार्टी का गढ़ है. सूत्रों के मुताबिक, संघ की नजर में यह सीट भाजपा के लिए बहुत कमजोर है.


खैर विधानसभा सीट पर अनूप प्रधान विधायक थे. यह अब भारतीय जनता पार्टी से अलीगढ़ से सांसद हो गए हैं. इस सीट को भाजपा के लिए मजबूत माना गया है. सूत्रों के मुताबिक, संघ का मानना है कि अच्छा उम्मीदवार चुनने पर भाजपा यहां से जीत सकती है.



भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौधरी ने इस विषय में बताया कि आरएसएस और भाजपा की बैठक अलग अलग मुद्दों पर होती है, उपचुनाव के संबंध में कोई चर्चा नहीं की जाती. वैसे भारतीय जनता पार्टी उपचुनाव में सभी 10 सीट पर जीत दर्ज करेगी.

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Last Updated : Aug 23, 2024, 6:09 PM IST
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