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Rajasthan: बीकानेर में खेजड़ी वृक्षों की कटाई से बिश्नोई समाज नाराज, 10 नवंबर को धरने का ऐलान - BIKANER KHEJRI TREES CUTTING

बीकानेर में खेजड़ी वृक्षों की कटाई से बिश्नोई समाज नाराज. जोधपुर में हुई समाज की अहम सभा. 10 नवंबर को धरने का ऐलान.

ETV BHARAT Jodhpur
खेजड़ी वृक्षों की कटाई से बिश्नोई समाज नाराज (ETV BHARAT Jodhpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 28, 2024, 5:22 PM IST

जोधपुर : बीकानेर में सोलर प्लांट लगाने के लिए खेजड़ी वृक्षों की कटाई का सिलसिला जारी है, लेकिन इससे बिश्नोई समाज खासा आक्रोशित है. आलम यह है कि खेजड़ी वृक्षों की कटाई के खिलाफ लंबे समय से वहां धरना प्रदर्शन चल रहा है, लेकिन धरने पर बैठे लोगों से सरकार ने कोई बात तक नहीं की. जबकि खेजड़ी का वृक्ष बिश्नोई समाज के लिए आस्था का विषय है. ऐसे में इनकी कटाई से समाज में रोष है. इसी को लेकर जोधपुर के रातानाड़ा स्थित बिश्नोई धर्मशाला में समाज के प्रमुख लोगों और धर्म गुरुओं की मौजूदगी में एक विरोध सभा का आयोजन किया गया.

समाज के पर्यावरण प्रेमी रामनिवास बुद्धनगर ने बताया कि सरकार ने हाल ही में कैबिनेट में एक फैसला लिया, जिसमें जरूरी होने पर खेजड़ी के वृक्षों को काटने की बात कही गई है. हालांकि, सरकार ने इसको लेकर कोई नियम नहीं बनाया है. अगर 10 नवंबर तक सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया तो उसी दिन से हम रासीसर हाइवे पर सभा कर धरना शुरू करेंगे.

पर्यावरण प्रेमी रामनिवास बुद्धनगर (ETV BHARAT Jodhpur)

इसे भी पढ़ें - सोलर कम्पनियां काट रहीं खेजड़ी, लोगों ने जताया विरोध, पूर्व विधायक बोले-सरकार तक पहुंचाएंगे बात

बिश्नोई समाज की चेतावनी : सभा में वक्ताओं ने खेजड़ी वृक्षों की कटाई पर चिंता व्यक्त की और इसे समाज की संस्कृति पर हमला बताया. उन्होंने कहा कि खेजड़ी वृक्ष केवल पर्यावरण ही नहीं, बल्कि बिश्नोई समाज की पहचान का भी प्रतीक है. समाज ने प्रशासन से मांग की है कि खेजड़ी वृक्षों की कटाई तुरंत रोकी जाए और पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता दिखाई जाए. साथ ही बिश्नोई समाज के सदस्यों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे.

सभा के दौरान बिश्नोई समाज के संतों ने कहा कि खेजड़ी वृक्षों की सुरक्षा के लिए समाज हर संभव प्रयास करेगा. उन्होंने कहा कि खेजड़ी न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक है, बल्कि समाज के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का भी प्रतिनिधित्व करती है. सभा में संत रामाचार्य, लालादास धावा भी शामिल थे. सभा में पर्यावरण प्रेमी परस राम, एसके बिश्नोई, रामनिवास बुद्धनगर, रामपाल भवाद, नेताराम और भंवर लाल जैसे समाज के अन्य प्रमुख लोग उपस्थित रहे.

जोधपुर : बीकानेर में सोलर प्लांट लगाने के लिए खेजड़ी वृक्षों की कटाई का सिलसिला जारी है, लेकिन इससे बिश्नोई समाज खासा आक्रोशित है. आलम यह है कि खेजड़ी वृक्षों की कटाई के खिलाफ लंबे समय से वहां धरना प्रदर्शन चल रहा है, लेकिन धरने पर बैठे लोगों से सरकार ने कोई बात तक नहीं की. जबकि खेजड़ी का वृक्ष बिश्नोई समाज के लिए आस्था का विषय है. ऐसे में इनकी कटाई से समाज में रोष है. इसी को लेकर जोधपुर के रातानाड़ा स्थित बिश्नोई धर्मशाला में समाज के प्रमुख लोगों और धर्म गुरुओं की मौजूदगी में एक विरोध सभा का आयोजन किया गया.

समाज के पर्यावरण प्रेमी रामनिवास बुद्धनगर ने बताया कि सरकार ने हाल ही में कैबिनेट में एक फैसला लिया, जिसमें जरूरी होने पर खेजड़ी के वृक्षों को काटने की बात कही गई है. हालांकि, सरकार ने इसको लेकर कोई नियम नहीं बनाया है. अगर 10 नवंबर तक सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया तो उसी दिन से हम रासीसर हाइवे पर सभा कर धरना शुरू करेंगे.

पर्यावरण प्रेमी रामनिवास बुद्धनगर (ETV BHARAT Jodhpur)

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बिश्नोई समाज की चेतावनी : सभा में वक्ताओं ने खेजड़ी वृक्षों की कटाई पर चिंता व्यक्त की और इसे समाज की संस्कृति पर हमला बताया. उन्होंने कहा कि खेजड़ी वृक्ष केवल पर्यावरण ही नहीं, बल्कि बिश्नोई समाज की पहचान का भी प्रतीक है. समाज ने प्रशासन से मांग की है कि खेजड़ी वृक्षों की कटाई तुरंत रोकी जाए और पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता दिखाई जाए. साथ ही बिश्नोई समाज के सदस्यों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे.

सभा के दौरान बिश्नोई समाज के संतों ने कहा कि खेजड़ी वृक्षों की सुरक्षा के लिए समाज हर संभव प्रयास करेगा. उन्होंने कहा कि खेजड़ी न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक है, बल्कि समाज के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का भी प्रतिनिधित्व करती है. सभा में संत रामाचार्य, लालादास धावा भी शामिल थे. सभा में पर्यावरण प्रेमी परस राम, एसके बिश्नोई, रामनिवास बुद्धनगर, रामपाल भवाद, नेताराम और भंवर लाल जैसे समाज के अन्य प्रमुख लोग उपस्थित रहे.

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