पटना: बदलती जीवन शैली और बढ़ता हुआ प्रदूषण का स्तर लोगों के फेफड़े को नुकसान पहुंचा रहा है. पटना के ज्ञान भवन में दो दिवसीय BIPCON (Bihar Pulmonary Conference) कार्यक्रम में देश भर से आए 500 से अधिक फेफड़ा रोग विशेषज्ञों ने इस बात पर चिंता जाहिर की है. चिकित्सकों का कहना है कि प्रदूषण की वजह से खांसने और खर्राटा लेने की शिकायत बढ़ गई है. चिकित्सकों ने लोगों को बेहतर लाइफस्टाइल अडॉप्ट करने के साथ-साथ एनवायरमेंट फ्रेंडली लाइफस्टाइल अपनाने की अपील की है.
नवीनतम तकनीक पर चर्चा: BIPCON कार्यक्रम के सेक्रेटरी डॉ सुधीर कुमार ने बताया कि इंडियन चेस्ट सोसायटी की ओर से हर राज्य में साल में एक बार फेफड़ा रोग विशेषज्ञों का कार्यक्रम होता है. बिहार में यह सातवां संस्करण है. जिसमें बिहार और देशभर के फेफड़ा रोग विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं. यहां चिकित्सक इस बात पर विशेष चर्चा कर रहे हैं कि हाल के दिनों में उसने किस प्रकार के प्रॉब्लम लोगों में देखने को मिले हैं. इसके अलावा फेफड़ों की इलाज के लिए जो नवीनतम तकनीक आ रही है उन पर भी विशेषज्ञों ने प्रकाश डाला है.
खांसी की शिकायत बढ़ीः कार्यक्रम में शामिल हुए बिहार झारखंड के विख्यात एलर्जी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गौतम मोदी ने कहा कि चेस्ट सोसायटी की बैठकों में प्रदूषण एक बड़ा विषय बन गया है. जिस पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि अभी के मौसम में वातावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. जिस वजह से अस्पतालों में इन दिनों ओपीडी में खासकर सामान्य की तुलना में लगभग 30% फेफड़ा रोग के मरीजों में इजाफा हुआ है.
"गले में खराश रहना, खांसी आना और सीने में जकड़न की शिकायत लेकर लोग पहुंच रहे हैं. लोग यह भी शिकायत ले कर आ रहे हैं कि सही ढंग से सांस नहीं ले पा रहे हैं और बेचैनी हो रही है. इसके अलावा कई लोगों को खर्राटे की समस्या बढ़ गई है."- डॉक्टर गौतम मोदी, एलर्जी रोग विशेषज्ञ
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