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उत्तराखंड में हर साल आने वाली आपदा से जैव विविधता हो रही प्रभावित, बचाने के लिए आगे आने की जरूरत - Biodiversity Day 2024

Biodiversity Affected By Climate Change जलवायु परिवर्तन का प्रकृति की जैव विविधता पर प्रभाव पड़ रहा है. जिससे कई जीव जंतु और वनस्पति पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं. जिनकों बचाने के लिए समय रहते कदम उठाने की जरूरत है.

Biodiversity affected by climate change
जलवायु परिवर्तन से जैव विविधता प्रभावित (Photo source-Uttarakhand Biodiversity Board)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 22, 2024, 5:44 PM IST

Updated : May 22, 2024, 10:40 PM IST

आपदा से जैव विविधता हो रही प्रभावित (वीडियो- ईटीवी भारत)

देहरादून: हर साल 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है. ऐसे में नष्ट होती जैव विविधता के प्रति लोगों को जागरूक किए जाने को लेकर भी अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है. जीव जंतुओं और पेड़ पौधों में पाए जाने वाली अलग-अलग विशेषताओं को ही जैव विविधता कहा जाता है. जोकि वैश्विक स्तर पर काफी महत्वपूर्ण है. मानव जीवन के लिए जैव विविधता काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे में इसके संरक्षण और संवर्धन को लेकर काम करने की जरूरत है. वहीं उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की जैव विविधता पर बड़ा असर देखने को मिल रहा है.

Photo source-Uttarakhand Biodiversity Board
जैव विविधता को बचाने की जरूरत (Photo source-Uttarakhand Biodiversity Board)

क्लाइमेट चेंज से पड़ रहा जैव विविधता पर असर: जैव विविधता पर (जिसमें वनाग्नि, ग्लेशियर का पिघलना, आपदा और क्लाइमेट चेंज शामिल है) सीधे असर डाल रहे हैं. उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते आपदा जैसे हालात बनते रहते हैं. मौजूदा स्थिति यह है कि है हर साल राज्य को आपदा का दंश झेलना पड़ता है. जिसका असर जैव विविधता पर पड़ता दिखाई दे रहा है. यही नहीं, क्लाइमेट चेंज का जैव विविधता पर बड़ा इंपैक्ट पड़ रहा है. वाडिया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. कालाचंद साईं ने बताया कि सभी तरह के जीवन यानी जानवरों, पौधों, कवक और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीव की विविधता, हमारी प्राकृतिक दुनिया को बनाते हैं.

Photo source-Uttarakhand Biodiversity Board
जैव विविधता पर मंडरा रहा खतरा (Photo source-Uttarakhand Biodiversity Board)

मानव जीवन में अहम योगदान: जैव विविधता, प्रकृति में हर उस चीज को सपोर्ट करती है, जिसकी जरूरत हमें जीवित रहने के लिए होती है. साथ ही कहा कि अगर जैव विविधता सही रहेगा तो पेड़ पौधे, जीव जंतु और मानव जीवन का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. ऐसे में जैव विविधता के प्रिजर्वेशन और कंजर्वेशन करना का रोल है. उत्तराखंड राज्य में करीब 70 फीसदी हिस्सा फॉरेस्ट कवर है जो ना सिर्फ हमे ऑक्सीजन देता है, बल्कि कार्बन डाई ऑक्साइड को सींक करता है. ऐसे में इकोसिस्टम में सभी एक बड़ा रोल है, ताकि लोगों के जीवन से जुड़ी चीजें उपलब्ध हो पाती है. ऐसे में जैव विविधता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 22 मई को इंटरनेशनल बायोडायवर्सिटी डे (International Day for Biological Diversity) के रूप में मनाया जाता है.

Photo source-Uttarakhand Biodiversity Board
जैव विविधता को बचाने के लिए आगे आने की जरूरत (Photo source-Uttarakhand Biodiversity Board)

क्लाइमेट चेंज से इकोसिस्टम पर असर: इस साल जैव विविधता दिवस मनाने के लिए "Be part of the plan" थीम रखी गई है. राज्य में फॉरेस्ट फायर होने से एनिमल स्पीशीज और प्लांट स्पीशीज जलकर खत्म हो जाता है. ऐसे में प्लांट स्पीशीज के दोबारा उगने में समय लगता है. जिसके चलते प्लांट स्पीशीज का जो रोल था वो रोल जैव विविधता में समाप्त हो जाता है. जिसके चलते हमे जो चीज मिला था वो नहीं मिल पाएगा. ऐसे में अगर इसे सही ढंग से लोगों को समझा सकेंगे तो जैव विविधता का संवर्धन और संरक्षण किया जा सकेगा. क्लाइमेट चेंज होने की वजह से हेल्थ में दिक्कत, फूड इनसिक्योरिटी, वाटर इनसिक्योरिटी और एनर्जी इनसिक्योरिटी हो रहा है. ऐसे में इसका असर विकास पर पड़ता है. यही नहीं, क्लाइमेट चेंज होने की वजह से इकोसिस्टम में भी असर पड़ रहा है, जिसके चलते कुछ चीजें समाप्त हो जा रही हैं.

Photo source-Uttarakhand Biodiversity Board
जलवायु परिवर्तन जैव विविधता के लिए खतरा (Photo source-Uttarakhand Biodiversity Board)

जैव विविधता बचाने के लिए आगे आने की जरूरत: इसके अलावा, क्लाइमेट चेंज की वजह से ग्लेशियर मेल्टिंग, इकोसिस्टम पर असर और जैव विविधता पर भी बड़ा असर पड़ रहा है. धरती पर मौजूद सभी स्पीशीज एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. ऐसे में अन्य स्पीशीज का संरक्षण नही करेंगे तो इसका असर मानव जीवन पर ही पड़ेगा. लिहाजा, लोगों को जैव विविधता को बरकरार रखने के लिए सभी को सहयोग देने की जरूरत है, ताकि जैव विविधता को बरकरार रखने में अपनी भूमिका निभा सकें.

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Photo source-Uttarakhand Biodiversity Board
जैव विविधता को बचाने की जरूरत (Photo source-Uttarakhand Biodiversity Board)

क्लाइमेट चेंज से पड़ रहा जैव विविधता पर असर: जैव विविधता पर (जिसमें वनाग्नि, ग्लेशियर का पिघलना, आपदा और क्लाइमेट चेंज शामिल है) सीधे असर डाल रहे हैं. उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते आपदा जैसे हालात बनते रहते हैं. मौजूदा स्थिति यह है कि है हर साल राज्य को आपदा का दंश झेलना पड़ता है. जिसका असर जैव विविधता पर पड़ता दिखाई दे रहा है. यही नहीं, क्लाइमेट चेंज का जैव विविधता पर बड़ा इंपैक्ट पड़ रहा है. वाडिया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. कालाचंद साईं ने बताया कि सभी तरह के जीवन यानी जानवरों, पौधों, कवक और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीव की विविधता, हमारी प्राकृतिक दुनिया को बनाते हैं.

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जैव विविधता पर मंडरा रहा खतरा (Photo source-Uttarakhand Biodiversity Board)

मानव जीवन में अहम योगदान: जैव विविधता, प्रकृति में हर उस चीज को सपोर्ट करती है, जिसकी जरूरत हमें जीवित रहने के लिए होती है. साथ ही कहा कि अगर जैव विविधता सही रहेगा तो पेड़ पौधे, जीव जंतु और मानव जीवन का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. ऐसे में जैव विविधता के प्रिजर्वेशन और कंजर्वेशन करना का रोल है. उत्तराखंड राज्य में करीब 70 फीसदी हिस्सा फॉरेस्ट कवर है जो ना सिर्फ हमे ऑक्सीजन देता है, बल्कि कार्बन डाई ऑक्साइड को सींक करता है. ऐसे में इकोसिस्टम में सभी एक बड़ा रोल है, ताकि लोगों के जीवन से जुड़ी चीजें उपलब्ध हो पाती है. ऐसे में जैव विविधता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 22 मई को इंटरनेशनल बायोडायवर्सिटी डे (International Day for Biological Diversity) के रूप में मनाया जाता है.

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जैव विविधता को बचाने के लिए आगे आने की जरूरत (Photo source-Uttarakhand Biodiversity Board)

क्लाइमेट चेंज से इकोसिस्टम पर असर: इस साल जैव विविधता दिवस मनाने के लिए "Be part of the plan" थीम रखी गई है. राज्य में फॉरेस्ट फायर होने से एनिमल स्पीशीज और प्लांट स्पीशीज जलकर खत्म हो जाता है. ऐसे में प्लांट स्पीशीज के दोबारा उगने में समय लगता है. जिसके चलते प्लांट स्पीशीज का जो रोल था वो रोल जैव विविधता में समाप्त हो जाता है. जिसके चलते हमे जो चीज मिला था वो नहीं मिल पाएगा. ऐसे में अगर इसे सही ढंग से लोगों को समझा सकेंगे तो जैव विविधता का संवर्धन और संरक्षण किया जा सकेगा. क्लाइमेट चेंज होने की वजह से हेल्थ में दिक्कत, फूड इनसिक्योरिटी, वाटर इनसिक्योरिटी और एनर्जी इनसिक्योरिटी हो रहा है. ऐसे में इसका असर विकास पर पड़ता है. यही नहीं, क्लाइमेट चेंज होने की वजह से इकोसिस्टम में भी असर पड़ रहा है, जिसके चलते कुछ चीजें समाप्त हो जा रही हैं.

Photo source-Uttarakhand Biodiversity Board
जलवायु परिवर्तन जैव विविधता के लिए खतरा (Photo source-Uttarakhand Biodiversity Board)

जैव विविधता बचाने के लिए आगे आने की जरूरत: इसके अलावा, क्लाइमेट चेंज की वजह से ग्लेशियर मेल्टिंग, इकोसिस्टम पर असर और जैव विविधता पर भी बड़ा असर पड़ रहा है. धरती पर मौजूद सभी स्पीशीज एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. ऐसे में अन्य स्पीशीज का संरक्षण नही करेंगे तो इसका असर मानव जीवन पर ही पड़ेगा. लिहाजा, लोगों को जैव विविधता को बरकरार रखने के लिए सभी को सहयोग देने की जरूरत है, ताकि जैव विविधता को बरकरार रखने में अपनी भूमिका निभा सकें.

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Last Updated : May 22, 2024, 10:40 PM IST
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