बिलासपुर: लोकसभा सीट बिलासपुर पर तीसरे चरण में सात मई को मतदान होगा. बिलासपुर सीट पर को बीजेपी की परंपरागत सीट लोकसभा चुनाव में माना जाता रहा है. भारतीय जतना पार्टी ने बिलासपुर सीट से तोखन साहू को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने ओबीसी और यादव वोटरों को साधने के लिहाज से देवेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया है. बिलासपुर लोकसभा सीट पर दोनों ही दलों ने जीत के लिए जातीय समीकरण को ध्यान में रखा है. बिलासपुर में ओबीसी और साहू समाज की बड़ी आबादी रहती है. दोनों दलों की कोशिश है कि वो इन वोट बैंकों पर अपना कब्जा कर जीत दर्ज करें. जानकारों का कहना है कि जो भी दल इन दोनों समाजों को साध लेते हा उसकी जीत पक्की मानी जाती है.
'मैं बाहरी नहीं लड़ाई लड़ने वाला नेता हूं': ईटीवी भारत से खास बातचीत में कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र यादव ने कहा कि बीजेपी वाले प्रोपेगेंडा पर भरोसा करते हैं. देवेंद्र यादव ने कहा कि ये चुनाव महंगाई और विकास के लिए लड़ा जा रहा है. इस लड़ाई में बाहरी और भीतरी का कोई मुद्दा नहीं है. देवेंद्र यादव ने कहा कि जो विकास की बात करेगा जनता उसपर भरोसा करेगी.
''बिलासपुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का 35 सालों कब्जा है. जिस तरह से एक अंहकार भारतीय जनता पार्टी के नेताओ और कार्यकर्ताओ में दिखता है उसको लेकर बिलासपुर की जनता में आक्रोश और नाराजगी है. चुनाव जीतने के बाद यहां की जनता की हितों की लड़ाई लड़ने इनका कोई सासंद नहीं आता. चुनाव जीतने के बाद घर बैठने का काम ये लोग करतें हैं. इस बार माहौल अलग है. मुझे पुरा विश्वास है जनता के आशीर्वाद से हम एकजुटता से मेहनत कर रहें हैं. जनादेश हमारे साथ चलेगा और बिलासपुर की जनता की आवाज बनकर हम लोग दिल्ली पहुंचेगे''. - देवेंद्र यादव, कांग्रेस प्रत्याशी, बिलासपुर लोकसभा सीट
2019 के लोकसभा चुनाव का परिणाम: बीते लोकसभा में भाजपा के प्रत्याशी अरुण साव ने कांग्रेस प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव को 1 लाख 81हजार वोटों से हराया था. भाजपा को 6 लाख 34 हजार 559 वोट मिले थे. कांग्रेस को चार लाख 92 हजार 796 वोट मिले. चुनाव आयोग के आंकड़े और अंक गणित को देखकर ओबीसी वोटरों की यहां अहमियत सबसे ज्यादा है.
''पॉलिटिकल इवेंट .है इतना ब़डा इलेक्शन होता है तो बीजेपी प्रोपोगेट करती है. मुझे लगता है की जनता को चाहिए लीडरशिप. जनता की भावनाओं का ख्याल कौन रख सकता है, उनकी लडाई कौन लड़ सकता है. उनकी बातों को कौन उठा सकता है, जनता उसके हिसाब से चुनाव करती है. वहीं भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो उनके प्रत्याशी कौन और कहां के हैं इसी बात को मुद्दा बनाने में लगे रहते हैं. बिलासपुर में अलग बात करेंगे, कोरबा जाएंगे तो अलग बात करेंगे. बिलासपुर युवाओं का शहर है. शहर में जो इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप होना चाहिए था वो पिछले समय में नहीं हो पाया. बिलासपुर न्यायधानी और संस्कारधानी है जहां आईआईटी,आई आई एम, एम्स,आईटी हब बनने की जरूरत है. यहां अच्छे इंटरनेशनल कंपनीज की जरूरत है.'' - देवेंद्र यादव, कांग्रेस प्रत्याशी, बिलासपुर लोकसभा सीट
बिलासपुर का सियासी समीकरण: बिलासपुर लोकसभा का चुनाव भाजपा कांग्रेस के साथ स्थानीय स्तर पर वोटों के ध्रुवीकरण पर फोकस हो गया है. इस संसदीय सीट पर ओबीसी वर्ग में आने वाले साहू और यादव समाज का बोलबाला है. दोनों समाज के लोग जिधर जाते हैं जीत उसी की होती है. आंकड़ों पर नजर डालें तो बिलासपुर लोकसभा सीट के भीतर आदिवासी वोटरों की संख्या 2 लाख 65 हजार के करीब है. साहू समाज के वोटरों की संख्या यहां 2 लाख 25 हजार है. यादव समाज के वोटर यहां 1 लाख 85 हजार हैं. कुर्मी वोटरों की संख्या भी 1 लाख 35 हजार के करीब है. इसके साथ ही अलग अलग समाज के लोग भी यहां वोटर के तौर पर दर्ज हैं. आदिवासी समाज के लोग पहले नंबर पर आते हैं. दूसरे नंबर पर साहू और तीसरे नंबर पर यादव वोटरों की संख्या है.