पटनाः राजधानी पटना के बापू सभागार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में प्रदेश के 1239 नव नियुक्त पुलिस अवर निरीक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया गया. नियुक्ति पत्र हासिल करने के बाद सभी नवनियुक्त दरोगाओं के चेहरे पर खुशी नजर आई. इन्हीं में एक दरोगा नजर आए भविष्य भूषण कुमार, उनकी सफलता की कहानी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. नव नियुक्त दरोगा खुशबू कुमारी भी अपने ड्राइवर पिता के साथ आयी थी.नालंदा के किसान की बेटी समीक्षा की सफलता भी किसी से कम नहीं है.
दोस्ती का फर्ज किया अदाः बिहार के 1239 नव नियुक्त पुलिस अवर निरीक्षकों में भविष्य भूषण कुमार का नाम न केवल उनके कड़ी मेहनत का परिणाम है, बल्कि यह दोस्ती की एक अद्भुत मिसाल भी है. मैट्रिक के बाद मजदूरी करने दिल्ली गए भविष्य भूषण और उनके दोस्त ने साथ-साथ पढ़ाई का सपना देखा था. जबकि दोस्त को नौकरी मिल गई, भविष्य भूषण की शादी हो गई और उनके बच्चे भी हो गए. दोस्त ने हार मानने की बजाय भविष्य भूषण की पढ़ाई जारी रखने का सुझाव दिया और आर्थिक मदद का वादा किया. सात साल तक यह समर्थन जारी रहा और आज उनकी मेहनत और दोस्ती दोनों ने रंग लाया है.
"रिजल्ट के 5 वर्ष पूर्व से अपनी पत्नी और बेटी का चेहरा तक नहीं देखा. अपने लक्ष्य के लिए डटे रहे और आज अवर निरीक्षक का नियुक्ति पत्र मिला है. मेरी इस कामयाबी का पूरा श्रेय दोस्त संजीत को जाता है. संघर्ष और मजदूरी करके यहां तक पहुंचे हैं. पुलिस विभाग जो भी कार्य सौंपेगा, उसे पूरी ईमानदारी से करेंगे. किसी के साथ अन्याय नहीं करेंगे."- भविष्य भूषण, नव नियुक्त दारोगा
मजदूरी करते थे भविष्य भूषणः भविष्य भूषण कुमार ने बताया कि वह खगड़िया जिले के छोटे गांव के रहने वाले हैं और उनकी इस मुकाम तक पहुंचाने की कहानी काफी चुनौतियों से भरी रही है. माता-पिता ने सिर्फ जन्म दिया लेकिन वह खुशकिस्मत है कि उन्हें एक देवता जैसा दोस्त मिला. उन्होंने बताया कि साल 2004 में मैट्रिक पास करने के बाद वह अपने दोस्त के साथ मजदूरी करने दिल्ली चले गए. दोनों को पढ़ने का शौक था तो मजदूरी के बाद दोनों पढ़ाई करते थे. 6 साल दिल्ली में दोनों ने साथ में मजदूरी की. इसके बाद उनके दोस्त की नौकरी सचिवालय में लग गई.
दोस्त ने उठाया पढ़ाई का खर्च: भविष्य भूषण ने बताया कि इसके बाद वह बिहार आ गए और आगे की अपनी पढ़ाई पूरी की. इस दौरान वह गांव में बच्चों को पढ़ाते भी थे. परिवार वालों ने उनकी शादी भी करा दी. उन्होंने एक बेटी भी हो गई. लेकिन उनके भाई जैसे दोस्त संजीत ने कहा कि वह अपने सपना को पूरा करने के लिए मेहनत करें, वह उसके साथ है. भविष्य भूषण ने बताया कि इसके बाद वह दरोगा की तैयारी के लिए पटना आ गये. 7 वर्षों तक तैयारी की. इस दौरान उनके पढ़ाई लिखाई का पूरा खर्च उनके दोस्त ने उठाया. दोस्त ने पढ़ाई में खर्च को कभी बाधा नहीं बनने दिया.
अनपढ़ ड्राइवर की बेटी बनी दरोगा: नव नियुक्त दरोगा खुशबू कुमारी भी अपने माता-पिता के साथ नियुक्ति पत्र लेने पहुंची थी. नियुक्ति पत्र माता-पिता के हाथों में देकर मुस्कुरा रही थी. खुशबू के पिता राजू प्रसाद ने बताया कि वह पटना के फतुहा के रहने वाले हैं. ड्राइवरी का काम करते हैं. 6 बेटियां हैं और सभी बेटियों को उन्होंने पढ़ाया है. बेटियों को कभी नहीं कहा कि तुम्हें यह बनना है या कुछ और बनना है. यही कहा कि अच्छे से पढ़ लिख लो और अपना भविष्य तय करो. आज जब उनकी बेटी बिना कहीं ट्यूशन कोचिंग के हिंदी मीडियम से पढ़ाई करके पहले प्रयास में ही दरोगा बन गई है तो उन्हें काफी गर्व हो रहा है.
"आज मेरे माता-पिता के चेहरे पर खुशी है. यह देखकर मुझे काफी खुशी हो रही है. माता-पिता ने कभी भी पढ़ाई को लेकर दबाव नहीं डाला और मेरा पूरा साथ दिया है. मैंने तय किया है कि जो भी ड्यूटी मिलेगी, पूरी ईमानदारी से पूरा करूंगी."- खुशबू कुमारी, नव नियुक्त दारोगा
बेटियां भी बढ़ाती हैं परिवार का सम्मान: नालंदा के किसान शिव शरण सिंह ने कहा कि उन्हें चार बेटियां और एक बेटा है. सबसे छोटी बेटी समीक्षा दरोगा बन गई है. चारों बेटियां अब जॉब में है बेटा भी इंजीनियर है. उन्होंने बच्चों को पढ़ाई के लिए कभी दबाव नहीं डाला और पढ़ाई के लिए बेटा बेटी में फर्क नहीं किया. बेटियों को भी पढ़ाई के लिए जितना संभव हो सका प्रयास किया. खेती किसानी करके बच्चों को पढ़ाया लेकिन अब बच्चे जॉब में आ गए हैं तो घर पर रिटायरमेंट का जीवन जी रहे हैं. उन्हें अपने बच्चों पर गर्व है.
"समाज से मैं यही कहना चाहूंगी कि बेटियों को भी पूरी शिक्षा दें. जहां तक पढ़ना चाहती हैं उन्हें पढ़ाएं. जो बेटा हासिल कर सकते हैं, वह बेटियां भी पढ़ लिख कर हासिल कर सकती हैं और परिवार का सम्मान बढ़ा सकती हैं."- समीक्षा, नव नियुक्त दारोगा
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