पटना : पटना की बेली रोड स्थित बिहार म्यूजियम बेहद खास है. यह म्यूजियम वर्ल्ड क्लास तो है हीं, इसके साथ ही इस म्यूजियम के भीतर बना लाइब्रेरी भी वर्ल्ड क्लास है. यहां पुरानी पुस्तकों का भंडार है. इसके अलावा नए एडिशन के भी कला, साहित्य, शोध से संबंधित काफी पुस्तकें हैं. यह लाइब्रेरी इसलिए भी काफी खास है कि यहां पर अलग-अलग वर्ग के पाठक अध्ययन के लिए आते हैं. यहां कंपटीशन की तैयारी करने वाले युवा भी आते हैं और कला साहित्य में रिसर्च करने वाले लोग भी पहुंचते हैं. यहां रिसर्च के सिलसिले में काफी संख्या में इंटरनेशनल रिसर्चर पहुंचते हैं.
लाइब्रेरी में कई दुर्लभ पुस्तकें : इस लाइब्रेरी के सहायक पशुपति कुमार ने बताया कि यहां काफी संख्या में दुर्लभ किताबें हैं जो सिर्फ यही उपलब्ध है. 100- 150 वर्ष पुरानी काफी पुस्तकें हैं. इसके अलावा यहां चित्रमय राम कथा, विष्णु पुराण मत्स्य पुराण और विभिन्न धार्मिक मान्यताओं से संबंधित पुरानी पुस्तकें हैं. सिक्का के इतिहास से लेकर बिहार के कला शिल्प का इतिहास और यहां के पौराणिक शासन की व्यवस्था से संबंधित भी कई दुर्लभ किताबें हैं. यहां कंपटीशन की तैयारी करने वाले युवा भी पहुंचते हैं और काफी प्रशासनिक अधिकारी भी शनिवार और रविवार के दिन अध्ययन के लिए यहां पहुंचते हैं.
वर्ल्ड क्लास है लाइब्रेरी : लाइब्रेरी में अध्ययन कर रहे मनीष कुमार ने बताया कि यह लाइब्रेरी वाकई वर्ल्ड क्लास है. दूसरे राज्यों के लोग रिसर्च के सिलसिले में जब यहां आते हैं और लाइब्रेरी का माहौल देखते हैं तो यकीन नहीं करते कि ऐसा लाइब्रेरी पटना में है. लाइब्रेरी में अध्ययन के लिए काफी शांत माहौल मिलता है और यहां हर प्रकार की पुस्तकें मिल जाती हैं.
''मानसिक शांति के लिए अध्यात्म की विभिन्न पुस्तक हैं इसके अलावा तंत्र-मंत्र से लेकर आर्कियोलॉजी क्षेत्र के विकास और पौराणिक सिविल इंजीनियरिंग के डिजाइन को समझने के लिए काफी किताबें हैं. बिहार को समझने के लिए हर आयाम से संबंधित पुस्तक हैं और देश दुनिया के सभ्यता के विकास और शासन प्रशासन की बदलती व्यवस्था पर भी पुस्तकें हैं. रिसर्च के सिलसिले में यहां काफी संख्या में अंतरराष्ट्रीय रिसर्चर आते हैं. और यहां से निराश होकर नहीं लौटते.''- मनीष कुमार, लाइब्रेरी में अध्ययन करने वाले
''जो पुस्तक के नियमित छपती हैं उसे कोरियर किया जाता है अन्यथा कुछ जरूरी कंटेंट जो चाहिए होते हैं वह उपलब्ध करा दिया जाता है. यहां धर्म संस्कृति के विकास और भाषा के विकास के साथ-साथ काफी संख्या में ऐसी पुस्तक हैं जिसे पढ़कर बिहार को बेहतर समझ सकते हैं.''- अशोक सिन्हा, निदेशक, बिहार म्यूजियम
''काफी संख्या में सरकारी कर्मचारी और प्रशासनिक अधिकारी भी इसके मेंबर हैं जो शनिवार और रविवार के दिन छुट्टी के मौके पर आकर अध्ययन करते हैं. लाइब्रेरी म्यूजियम के समय में सुबह 10:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक खुला रहता है. प्रतियोगिता की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए प्रतियोगिता दर्पण और योजना जैसी मैगजीन और अन्य पुस्तकें भी यहां है.''- अशोक सिन्हा, निदेशक, बिहार म्यूजियम
चाइनीस कला की भी है पुस्तकें : अशोक सिन्हा ने बताया कि यहां भारतीय मुद्रा के विकास से लेकर विभिन्न देवी देवताओं पर आधारित पेंटिंग और हैंडीक्राफ्ट की कई पुस्तकें उपलब्ध हैं. यहां चीन की कई कलाओं की पुस्तक उपलब्ध हैं इसके अलावा पर्यावरण प्रेमियों के लिए पर्यावरण से जुड़ी भी काफी पुस्तके हैं.
''इंडियन आर्किटेक्चर की भी पुस्तक हैं और बाबरनामा- अकबरनामा इत्यादि भी पुस्तकें है. तंत्र साधना से संबंधित भी पुस्तक हैं और विभिन्न आयामों पर पुस्तक हैं जिसके कारण प्रतियोगी छात्र, अध्ययन में रुचि रखने वाले लोग, शोधार्थी इत्यादि सभी श्रेणी के लोग यहां अध्ययन के लिए पहुंचते हैं.''- अशोक सिन्हा, निदेशक, बिहार म्यूजियम
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