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'जाति की राजनीति और निशाने पर विधानसभा चुनाव 2025', आरक्षण पर बिहार में सदन से सड़क तक हंगामे की इनसाइड स्टोरी समझिए - Bihar Monsoon session - BIHAR MONSOON SESSION

UPROAR IN ASSEMBLY बिहार में आरक्षण पर हाई कोर्ट के फैसले के बाद राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है. विपक्षी दलों का आरोप है कि बिहार सरकार की लापरवाही के कारण यह फैसला आया है. विपक्षी दलों ने इस मुद्दा को मानसून सत्र में जमकर उठाया. राजनीति के जानकारों का मानना है कि विपक्षी दलों को उम्मीद है कि आरक्षण का मुद्दा आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें राजनीतिक लाभ दिला सकता है. पढ़ें, विस्तार से.

आरक्षण पर राजनीति तेज.
आरक्षण पर राजनीति तेज. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 25, 2024, 8:55 PM IST

Updated : Jul 25, 2024, 9:02 PM IST

आरक्षण के मुद्दे पर राजनीति गरमायी. (ETV Bharat)

पटनाः बिहार में आरक्षण पर हाई कोर्ट के निर्णय ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है. विपक्षी दल इस फैसले के लिए सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में इसे एक प्रमुख मुद्दा बनाने की तैयारी में है. मानसून सत्र के दौरान विपक्षी दलों की यह तैयारी नजर आयी. मानसून सत्र में विपक्षी दल आरक्षण के मुद्दे पर बिहार सरकार से जवाब मांग रही है. बिहार विधान मंडल के मानसून सत्र में विपक्षी पार्टी सरकार से सदन में इस पर बहस की मांग कर रही है.

क्या है आरक्षण का मामलाः बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने जाति आधारित गणना करवायी थी. जाति आधारित गणना के बाद बिहार सरकार बिहार विधानसभा एवं विधान परिषद में सर्वसम्मति से फैसला लिया था कि बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़ाई जाएगी. इसे बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया. बिहार सरकार के आरक्षण पर लिये गए निर्णय पर पटना उच्च न्यायालय ने 20 जून 2024 को रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि आरक्षण की जो सीमा पहले से ही निर्धारित है, उसे बढ़ायी नहीं जा सकती है.

राजद ने दी आंदोलन की चेतावनीः बिहार में आरक्षण पर हाई कोर्ट के निर्णय के बाद राजनीति शुरू हो गयी. विपक्षी पार्टियों ने आरक्षण की सीमा रद्द करने के लिए बिहार सरकार को दोषी ठहरा रहा है. विपक्षी दलों का कहना है कि बिहार सरकार की लापरवाही के कारण बिहार में आरक्षण पर यह फैसला आया है. राजद इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहती है. राजद का कहना है कि जब तक आरक्षण के मुद्दे पर उन लोगों को इंसाफ नहीं मिलेगा वो लोग सदन से लेकर सड़क तक आंदोलन करते रहेंगे.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

"जाति आधारित गणना के बाद सर्वसम्मति से आरक्षण का दायरा बढ़ाया गया था. आरक्षण को खत्म करने के लिए एनडीए बैक डोर से कोर्ट की शरण में गए. इस मुद्दे पर आरजेडी सदन में बहस चाहती है. जब तक आरक्षण के मुद्दे पर इंसाफ नहीं मिलेगा, सदन से लेकर सड़क तक आंदोलन करते रहेंगे."- मुकेश रोशन, राजद विधायक

राजद के पास कोई मुद्दा नहींः जदयू विधायक विनय कुमार चौधरी का कहना है कि राजद के पास कोई मुद्दा नहीं है. सरकार चाह रही है कि इस मुद्दे पर विधानसभा में चर्चा हो. मुख्यमंत्री इस पर सदन में जवाब देने के लिए खड़े हुए थे, लेकिन विपक्ष वह भी सुनने के लिए तैयार नहीं है. जदयू विधायक का कहना है कि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि भाजपा के दबाव के कारण सरकार यह नहीं कर रही है, तो उन्हें मालूम होना चाहिए कि आरक्षण के समर्थन में बीजेपी भी बिहार विधानसभा में सहयोग किया था.

"विपक्षी पार्टी इसे मुद्दा बना भी ले तो कुछ होने वाला नहीं है. जनता समझती है कि नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में उनका हित है. यह बात जनता जानती है, इसलिए उनका राजनीतिक मुद्दा नहीं बन सकता है."- विनय कुमार चौधरी, जदयू विधायक

आरक्षण का मुद्दा राजनीतिक हथियार: राजनीतिक विश्लेषक अरुण पांडेय का कहना है कि आरक्षण का मुद्दा एक राजनीतिक हथियार है. आरक्षण के नए नियम के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में मामला जाएगा, इसकी उम्मीद थी. यही कारण था कि बिहार सरकार ने विधानसभा से प्रस्ताव पारित का केंद्र को भेजा था कि इसे 9 वीं अनुसूची में शामिल कर लिया जाए. लेकिन उस वक्त केंद्र में बीजेपी की सरकार थी. अब हाई कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया है तो आरजेडी इसे मुद्दा बना रहा है.

"आरक्षण का मुद्दा सभी राजनीतिक दलों के लिए एक राजनीतिक हथियार है. सभी राजनीतिक दल ये जानते हैं कि जब तक संविधान की 9 वीं अनुसूची में इसे शामिल नहीं किया जाएगा तब तक यह लागू नहीं हो सकता. यही कारण है कि आगामी विधानसभा चुनाव तक इस पर सियासत होगी."- अरुण पांडेय, राजनीतिक विश्लेषक

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजारः वहीं इस मुद्दे पर बीजेपी का कहना है कि आरक्षण के मुद्दे पर आरजेडी को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. भाजपा विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि सर्वसम्मति से बिहार सरकार ने बिहार के नौजवानों को आरक्षण देने का काम किया था. वह आरक्षण जारी रहेगा. बिहार सरकार हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय का जो भी फैसला होगा वह बिहार सरकार के लिए मान्य होगा.

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आरक्षण के मुद्दे पर राजनीति गरमायी. (ETV Bharat)

पटनाः बिहार में आरक्षण पर हाई कोर्ट के निर्णय ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है. विपक्षी दल इस फैसले के लिए सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में इसे एक प्रमुख मुद्दा बनाने की तैयारी में है. मानसून सत्र के दौरान विपक्षी दलों की यह तैयारी नजर आयी. मानसून सत्र में विपक्षी दल आरक्षण के मुद्दे पर बिहार सरकार से जवाब मांग रही है. बिहार विधान मंडल के मानसून सत्र में विपक्षी पार्टी सरकार से सदन में इस पर बहस की मांग कर रही है.

क्या है आरक्षण का मामलाः बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने जाति आधारित गणना करवायी थी. जाति आधारित गणना के बाद बिहार सरकार बिहार विधानसभा एवं विधान परिषद में सर्वसम्मति से फैसला लिया था कि बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़ाई जाएगी. इसे बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया. बिहार सरकार के आरक्षण पर लिये गए निर्णय पर पटना उच्च न्यायालय ने 20 जून 2024 को रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि आरक्षण की जो सीमा पहले से ही निर्धारित है, उसे बढ़ायी नहीं जा सकती है.

राजद ने दी आंदोलन की चेतावनीः बिहार में आरक्षण पर हाई कोर्ट के निर्णय के बाद राजनीति शुरू हो गयी. विपक्षी पार्टियों ने आरक्षण की सीमा रद्द करने के लिए बिहार सरकार को दोषी ठहरा रहा है. विपक्षी दलों का कहना है कि बिहार सरकार की लापरवाही के कारण बिहार में आरक्षण पर यह फैसला आया है. राजद इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहती है. राजद का कहना है कि जब तक आरक्षण के मुद्दे पर उन लोगों को इंसाफ नहीं मिलेगा वो लोग सदन से लेकर सड़क तक आंदोलन करते रहेंगे.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

"जाति आधारित गणना के बाद सर्वसम्मति से आरक्षण का दायरा बढ़ाया गया था. आरक्षण को खत्म करने के लिए एनडीए बैक डोर से कोर्ट की शरण में गए. इस मुद्दे पर आरजेडी सदन में बहस चाहती है. जब तक आरक्षण के मुद्दे पर इंसाफ नहीं मिलेगा, सदन से लेकर सड़क तक आंदोलन करते रहेंगे."- मुकेश रोशन, राजद विधायक

राजद के पास कोई मुद्दा नहींः जदयू विधायक विनय कुमार चौधरी का कहना है कि राजद के पास कोई मुद्दा नहीं है. सरकार चाह रही है कि इस मुद्दे पर विधानसभा में चर्चा हो. मुख्यमंत्री इस पर सदन में जवाब देने के लिए खड़े हुए थे, लेकिन विपक्ष वह भी सुनने के लिए तैयार नहीं है. जदयू विधायक का कहना है कि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि भाजपा के दबाव के कारण सरकार यह नहीं कर रही है, तो उन्हें मालूम होना चाहिए कि आरक्षण के समर्थन में बीजेपी भी बिहार विधानसभा में सहयोग किया था.

"विपक्षी पार्टी इसे मुद्दा बना भी ले तो कुछ होने वाला नहीं है. जनता समझती है कि नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में उनका हित है. यह बात जनता जानती है, इसलिए उनका राजनीतिक मुद्दा नहीं बन सकता है."- विनय कुमार चौधरी, जदयू विधायक

आरक्षण का मुद्दा राजनीतिक हथियार: राजनीतिक विश्लेषक अरुण पांडेय का कहना है कि आरक्षण का मुद्दा एक राजनीतिक हथियार है. आरक्षण के नए नियम के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में मामला जाएगा, इसकी उम्मीद थी. यही कारण था कि बिहार सरकार ने विधानसभा से प्रस्ताव पारित का केंद्र को भेजा था कि इसे 9 वीं अनुसूची में शामिल कर लिया जाए. लेकिन उस वक्त केंद्र में बीजेपी की सरकार थी. अब हाई कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया है तो आरजेडी इसे मुद्दा बना रहा है.

"आरक्षण का मुद्दा सभी राजनीतिक दलों के लिए एक राजनीतिक हथियार है. सभी राजनीतिक दल ये जानते हैं कि जब तक संविधान की 9 वीं अनुसूची में इसे शामिल नहीं किया जाएगा तब तक यह लागू नहीं हो सकता. यही कारण है कि आगामी विधानसभा चुनाव तक इस पर सियासत होगी."- अरुण पांडेय, राजनीतिक विश्लेषक

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजारः वहीं इस मुद्दे पर बीजेपी का कहना है कि आरक्षण के मुद्दे पर आरजेडी को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. भाजपा विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि सर्वसम्मति से बिहार सरकार ने बिहार के नौजवानों को आरक्षण देने का काम किया था. वह आरक्षण जारी रहेगा. बिहार सरकार हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय का जो भी फैसला होगा वह बिहार सरकार के लिए मान्य होगा.

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Last Updated : Jul 25, 2024, 9:02 PM IST
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