पटना: बिहार में कुशवाहा वोट बैंक को लेकर लगातार सियासत हो रही है. लोकसभा चुनाव में काराकाट लोकसभा क्षेत्र में उपेंद्र कुशवाहा और पवन सिंह के बीच लड़ाई के बाद कई सीटों पर समीकरण बदल गया है. वहीं लालू प्रसाद यादव ने अभय कुशवाहा को औरंगाबाद से उतार कर नया गेम खेला. काराकाट और औरंगाबाद दोनों महागठबंधन ने जीता है. अभय कुशवाहा को लालू प्रसाद यादव ने लोकसभा में संसदीय दल का नेता भी बना दिया है. लालू प्रसाद यादव के कुशवाहा प्रेम के बाद नीतीश कुमार भी सतर्क हो गए हैं और विधान परिषद के खाली हुए एक सीट पर भगवान सिंह कुशवाहा को उतारा है.
जदयू ने भगवान सिंह कुशवाहा को बनाया उम्मीदवार: भगवान सिंह कुशवाहा विधान परिषद के खाली हुए एक सीट पर 2 जुलाई को नॉमिनेशन करेंगे. 10 जुलाई को चुनाव होना है. भगवान सिंह कुशवाहा ने बातचीत में कहा कि नीतीश कुमार सिर्फ कुशवाहा नहीं सामाजिक न्याय के नेता हैं. सभी लोग हमारे साथ हैं, हमारा तो लंबा संघर्ष रहा है. पार्टी के हम लोग सिपाही हैं और नेतृत्व ने मुझे उम्मीदवार बनाया है तो बहुत कुछ सोच समझकर ही मुझे मौका दिया है.
"मुझे अभय कुशवाहा के कैटेगरी में खड़ा करने की जरूरत नहीं है. मैं जब 1990 में विधायक था उस समय अभय कुशवाहा हाफ पेंट में घूमते होंगे. उन्हें भी हम धन्यवाद देते हैं वह अपना काम करें हम अपना काम करेंगे."- भगवान सिंह कुशवाहा, एमएलसी प्रत्याशी, जेडीयू
'2025 में नीतीश के नेतृत्व में बनेगी सरकार': 2020 में शाहाबाद में जदयू का खाता नहीं खुला था, 2024 में भी एनडीए का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. भगवान सिंह कुशवाहा का कहना है कि वोटर का मिजाज कब बदल जाए कोई नहीं जानता है. लेकिन अब 2025 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही बिहार में सरकार बनेगी कहीं कोई परेशानी नहीं है.
टिकट नहीं मिलने पर बदल लिए थे पाला: शाहाबाद के इलाके से भगवान सिंह कुशवाहा आते हैं और 2020 में उस समय इन्हें भी विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला था. नाराज होकर जदयू छोड़ कर आरजेडी भी चले गए थे. चुनाव भी लड़े लेकिन जीत नहीं पाए. विधानसभा चुनाव के कुछ महीने बाद ही फिर से भगवान सिंह कुशवाहा ने जदयू में वापसी कर ली थी. अब विधान परिषद में जाने का मौका मिल रहा है.
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