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2019 में 7 फेज में हुआ था इलेक्शन, इस बार क्या होगा? बिहार में निष्पक्ष चुनाव कराना EC के लिए बड़ी चुनौती

Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने जा रहा है. राजनीतिक दलों ने भी चुनाव को लेकर कमर कस ली है. चुनाव आयोग भी फूल प्रूफ तैयारी के साथ आ रहा है. अब बिहार के लोगों की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि 2024 का लोकसभा चुनाव प्रदेश में किस तरीके से कराया जाएगा और कितने चरण में मतदान होगें.

बिहार में वोटिंग चुनाव आयोग की चुनौतीः
बिहार में वोटिंग चुनाव आयोग की चुनौतीः
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 16, 2024, 11:56 AM IST

पटना: देश में आज चुनाव की तारीखों का ऐलान होने जा रहा है. चुनाव आयोग के लिए बिहार में शांतिपूर्ण चुनाव करना चुनौती है. पिछले लोकसभा चुनाव में यहां सात चरणों में चुनाव हुए थे, बिहार नक्सलवाद और बूथ लूट के लिए भी जाना जाता है. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग बिहार के लिए इस बार क्या रणनीति बनाता है.

बिहार में वोटिंग चुनाव आयोग की चुनौतीः वहीं विपक्षी दलों के द्वारा एवीएम को लेकर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं, इस बार भी एवीएम के जरिए चुनाव कराए जाने हैं. तकनीकी खामियों को दुरुस्त करना भी चुनाव आयोग के समक्ष एक बड़ी चुनौती है. आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर भी चुनाव आयोग ने मुकम्मल तैयारी की थी, 11 अप्रैल से लेकर 19 मई के बीच चुनाव कराए गए थे. 23 में को मतगणना संपन्न कराई गई थी.

2019 में 7 चरणों में हुए थे मतदानः बिहार में पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को संपन्न कराया गया था गया नवादा जमुई और औरंगाबाद में वोटिंग हुए थे. यह इलाके नक्सल प्रभावित थे. दूसरे चरण के चुनाव 28 अप्रैल को कटिहार, पूर्णिया, बांका, भागलपुर और किशनगंज में हुए थे. सीमांचल इलाके में दूसरे चरण में चुनाव हुए थे. तीसरे चरण का चुनाव 23 अप्रैल को संपन्न हुआ था. अररिया, झंझारपुर, सुपौल और मधेपुरा में चुनाव कराए गए थे. चौथे चरण का चुनाव 19 अप्रैल को समस्तीपुर, दरभंगा, उजियारपुर, मुंगेर और बेगूसराय में हुआ था.

12 मई को था आखिरी फेज का चुनावः पांचवें चरण का चुनाव 6 मई को संपन्न हुआ था. मधुबनी, सीतामढ़ी, सारण, हाजीपुर और मुजफ्फरपुर में चुनाव हुए थे. छठे चरण का चुनाव 12 मई को हुआ था जिसमें पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सिवान, बाल्मीकि नगर महाराजगंज और पश्चिमी चंपारण में चुनाव कराए गए थे. सातवें और अंतिम चरण का चुनाव 19 में को हुआ था, जिसमें पाटलिपुत्र, आरा, नालंदा, पटना साहिब, काराकाट, जहानाबाद, बक्सर और सासाराम में चुनाव कराए गए थे.

बिहार में कुल 7.64 करोड़ मतदाता: आपको बता दें कि बिहार में कुल 7.64 करोड़ मतदाता हैं. जिनमें से 2 करोड़ से अधिक मतदाता 30 वर्ष से कम आयु के हैं. 18 से 19 साल के बीच आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या 9 लाख से अधिक है और वह पहली बार मतदान करेंगे. राज्य के अंदर महिला मतदाताओं की कुल संख्या 3.64 करोड़ है. जबकि ट्रांसजेंडर मतदाताओं की संख्या 2290 है, 6.30 लाख मतदाता दिव्यांग भी हैं. चुनाव आयोग के लिए चिंता का विषय यह है कि बिहार में मतदान के प्रतिशत में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो रही है.

शहरी क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत कमः बिहार में राष्ट्रीय औसत से कम मतदान होते हैं. 2019 में शहरी क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत कम था और राज्य में औसतन 57.33 प्रतिशत मतदान हुए थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में सात चरण में मतदान हुए थे और अब सब की निगाहें चुनाव आयोग पर टिकी हैं, राजनीतिक दल और बिहार की जनता को इस बात का इंतजार है कि इस बार कितने चरण में मतदान कराया जाता है और चुनाव की रणनीति क्या रहती है.

ये भी पढ़ेंः माइनस 32, सिर्फ 68 पर फोकस! नीतीश मंत्रिमंडल विस्तार में दिखा BJP के भविष्य की राजनीति का संदेश

पटना: देश में आज चुनाव की तारीखों का ऐलान होने जा रहा है. चुनाव आयोग के लिए बिहार में शांतिपूर्ण चुनाव करना चुनौती है. पिछले लोकसभा चुनाव में यहां सात चरणों में चुनाव हुए थे, बिहार नक्सलवाद और बूथ लूट के लिए भी जाना जाता है. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग बिहार के लिए इस बार क्या रणनीति बनाता है.

बिहार में वोटिंग चुनाव आयोग की चुनौतीः वहीं विपक्षी दलों के द्वारा एवीएम को लेकर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं, इस बार भी एवीएम के जरिए चुनाव कराए जाने हैं. तकनीकी खामियों को दुरुस्त करना भी चुनाव आयोग के समक्ष एक बड़ी चुनौती है. आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर भी चुनाव आयोग ने मुकम्मल तैयारी की थी, 11 अप्रैल से लेकर 19 मई के बीच चुनाव कराए गए थे. 23 में को मतगणना संपन्न कराई गई थी.

2019 में 7 चरणों में हुए थे मतदानः बिहार में पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को संपन्न कराया गया था गया नवादा जमुई और औरंगाबाद में वोटिंग हुए थे. यह इलाके नक्सल प्रभावित थे. दूसरे चरण के चुनाव 28 अप्रैल को कटिहार, पूर्णिया, बांका, भागलपुर और किशनगंज में हुए थे. सीमांचल इलाके में दूसरे चरण में चुनाव हुए थे. तीसरे चरण का चुनाव 23 अप्रैल को संपन्न हुआ था. अररिया, झंझारपुर, सुपौल और मधेपुरा में चुनाव कराए गए थे. चौथे चरण का चुनाव 19 अप्रैल को समस्तीपुर, दरभंगा, उजियारपुर, मुंगेर और बेगूसराय में हुआ था.

12 मई को था आखिरी फेज का चुनावः पांचवें चरण का चुनाव 6 मई को संपन्न हुआ था. मधुबनी, सीतामढ़ी, सारण, हाजीपुर और मुजफ्फरपुर में चुनाव हुए थे. छठे चरण का चुनाव 12 मई को हुआ था जिसमें पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सिवान, बाल्मीकि नगर महाराजगंज और पश्चिमी चंपारण में चुनाव कराए गए थे. सातवें और अंतिम चरण का चुनाव 19 में को हुआ था, जिसमें पाटलिपुत्र, आरा, नालंदा, पटना साहिब, काराकाट, जहानाबाद, बक्सर और सासाराम में चुनाव कराए गए थे.

बिहार में कुल 7.64 करोड़ मतदाता: आपको बता दें कि बिहार में कुल 7.64 करोड़ मतदाता हैं. जिनमें से 2 करोड़ से अधिक मतदाता 30 वर्ष से कम आयु के हैं. 18 से 19 साल के बीच आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या 9 लाख से अधिक है और वह पहली बार मतदान करेंगे. राज्य के अंदर महिला मतदाताओं की कुल संख्या 3.64 करोड़ है. जबकि ट्रांसजेंडर मतदाताओं की संख्या 2290 है, 6.30 लाख मतदाता दिव्यांग भी हैं. चुनाव आयोग के लिए चिंता का विषय यह है कि बिहार में मतदान के प्रतिशत में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो रही है.

शहरी क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत कमः बिहार में राष्ट्रीय औसत से कम मतदान होते हैं. 2019 में शहरी क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत कम था और राज्य में औसतन 57.33 प्रतिशत मतदान हुए थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में सात चरण में मतदान हुए थे और अब सब की निगाहें चुनाव आयोग पर टिकी हैं, राजनीतिक दल और बिहार की जनता को इस बात का इंतजार है कि इस बार कितने चरण में मतदान कराया जाता है और चुनाव की रणनीति क्या रहती है.

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