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बिहार में जहरीली शराब से फिर मौत, सवाल- आखिर क्यों फेल हो जाती है बिहार में शराबबंदी?

बिहार में जहरीली शराब से एक बार फिर मौतें हुई हैं. आखिर बिहार में शराबबंदी क्यों नहीं होती सफल? जानें ये चौंकाने वाले आंकड़ें.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 3 hours ago

BIHAR HOOCH TRAGEDY
जहरीली शराब पीने से 32 लोगों की मौत (ETV Bharat)

पटना : बिहार में जहरीली शराब पीने से 35 लोगों की मौत हुई है. ये मौतें बिहार के सिवान और छपरा में हुई हैं. सरकारी आंकड़ों की माने तो अब तक दोनों जिलों में 25 लोगों ने अपनी जान गंवाई. जबकि 70 से ज्यादा लोग जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं, कई लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है. सवाल ये है कि बिहार में शराबबंदी के आठ साल बीत चुके हैं, फिर भी जहरीली शराब से मौतें थम क्यों नहीं रहीं?

जहरीली शराब से मौत, NCRB डेटा चौंकाने वाला : बिहार के मुख्यमंत्री कहते हैं कि शराबबंदी के बावजूद लोग चोरी-छिपे शराब पी रहे हैं. ऐसे में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत भी हो रही है. इधर, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों की मानें तो देश में हर साल नकली शराब से हजारों लोगों की जान चली जाती है, जबकि बिहार के आंकड़े चौंकाने वाले है.

bihar hooch tragedy
जहरीली शराब पीने बात कबूल की (ETV Bharat)

क्या छिपाए जाते हैं मौत के आंकड़े? : वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय बताते हैं कि एनसीआरबी के आंकड़ों (सरकारी आंकड़ा) से अलग जहरीली शराब पीने से हुई मौत का वास्तविक आंकड़ा कुछ अलग होता है. दरअसल, कई बार परिजन कानून के डर से पुलिस के पास नहीं जाते है, मामले को छुपा लेते हैं. कई बार तो परिजन चोरी छिपे मृतक का अंतिम संस्कार तक कर देते हैं.

बिाहार में शराबबंदी फेल क्यों? : अरुण पांडेय कहते हैं कि ''यह घटना पूरी तरह से प्रशासनिक विफलता है, लगता है कि सरकार की हनक समाप्त हो गई है. यहां शराब, नकली शराब एवं जहरीली शराब तीन तरह की शराब बिक रही. शराबबंदी के कारण बिहार में पिछले 8 वर्षों में 12 लाख मामले दर्ज हुए हैं. पिछले वर्ष डेढ़ सौ से अधिक लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हुई. खुद मंत्री भी मानते हैं कि बिहार में शराब की तो होम डिलीवरी होती है. इसमें गरीब लोग देसी शराब का इस्तेमाल कर रहे हैं.''

bihar hooch tragedy
बिहाप सरकार के आंकड़े (ETV Bharat)

एक बार फिर से शराबबंदी पर सवाल : बिहार में अप्रैल, 2016 से शराबबंदी कानून लागू है. फिर भी शायद ही ऐसा कोई दिन या महीना बीतता है, जब मीडिया में शराब बरामदगी खबर न बने. बिहार के सिवान और सारण में जहरीली शराब से 30 से ज्यादा लोगों की मौत हुई तो एक बार फिर से शराबबंदी पर सवाल उठने लगे हैं.

बिहार में 2016 से शराबबंदी : साल 2015, बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने शराबबंदी का वादा किया था. भले नीतीश कुमार ने अपना वादा बाद में निभाया लेकिन नतीजे उन्हें उसी साल विधानसभा चुनाव में देखने को मिले, महिलाओं ने जमकर वोटिंग की. इसके बाद 1 अप्रैल 2016 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई.

bihar hooch tragedy
पिछले कुछ सालों में जहरीली शराब से मौत (ETV Bharat)

इन राज्यों में शराबबंदी कानून : बिहार के अलावा देश के पांच राज्यों में शराबबंदी कानून लागू है. 1960 में सबसे पहले गुजरात, इसके बाद मिजोरम, नागालैंड और लक्षद्वीप में पूर्ण शराबबंदी लागू है. बाद में साल 1991 में मणिपुर में शराबबंदी कानून लाया गया लेकिन, बाद में वहां की सरकार ने इसमें छूट दे दी. इसके पीछे दलील थी कि राजस्व का नुकसान हो रहा था.

बिहार में शराबबंदी असफल क्यों? : वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय कहते हैं, ''आंध्र प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों ने शराबबंदी कानून पर यूटर्न ले लिया. बिहार में शराब माफिया एवं बालू माफिया को लेकर सरकार ने विधानसभा से बजट सत्र में बिल भी पास किया, लेकिन उस कानून का क्या फायदा?. बिहार में तो शराब के इस कारोबार में अधिकारी से लेकर सफेदपोश का शराब माफिया से सांठगांठ है.''

bihar hooch tragedy
अस्पताल में भर्ती लोग (ETV Bharat)

अवैध कारोबार और NFHS-5 के आंकड़े : वहीं फिक्की (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) की रिपोर्ट की माने तो देश में अवैध शराब का बहुत बड़ा कारोबार है. हालांकि, अवैध शराब की तस्करी से सरकार को हजारों लाखों करोड़ के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ता है. क्योंकि कारोबारी, अवैध शराब को दोगुने तिगुने दाम पर बेचते हैं. NFHS-5 के आंकड़ों की मानें तो बिहार में शराबबंदी के बावजूद महाराष्ट्र से ज्यादा शराब की खपत होती है.

bihar hooch tragedy
एनएफएचएस 5 के आंकड़े (ETV Bharat)

सरकार के चौंकाने वाले आंकड़े : वहीं बिहार सरकार ने पिछले दिनों साल 2016 से लेकर अगस्त 2024 तक चौंकाने वाला आंकड़ा जारी किया. आंकड़ों की मानें तो बिहार में हर घंटे 18 लोगों को शराब से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया. आठ सालों में अब तक जहरीली शराब से 266 लोगों की मौत हुई.

''पिछले कुछ सालों में 234 शराब माफिया को गिरफ्तार किया है. करीब 5 लाख से ज्यादा लोगों को शराबबंदी मामले में कोर्ट से सजा दिलाई गई. करोड़ों लीटर शराब जब्त की गई और 3 करोड़ लीटर से ज्यादा शराब नष्ट की गई.''- विनोद सिंह गुंजियाल, मद्य निषेध विभाग के सचिव

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पटना : बिहार में जहरीली शराब पीने से 35 लोगों की मौत हुई है. ये मौतें बिहार के सिवान और छपरा में हुई हैं. सरकारी आंकड़ों की माने तो अब तक दोनों जिलों में 25 लोगों ने अपनी जान गंवाई. जबकि 70 से ज्यादा लोग जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं, कई लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है. सवाल ये है कि बिहार में शराबबंदी के आठ साल बीत चुके हैं, फिर भी जहरीली शराब से मौतें थम क्यों नहीं रहीं?

जहरीली शराब से मौत, NCRB डेटा चौंकाने वाला : बिहार के मुख्यमंत्री कहते हैं कि शराबबंदी के बावजूद लोग चोरी-छिपे शराब पी रहे हैं. ऐसे में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत भी हो रही है. इधर, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों की मानें तो देश में हर साल नकली शराब से हजारों लोगों की जान चली जाती है, जबकि बिहार के आंकड़े चौंकाने वाले है.

bihar hooch tragedy
जहरीली शराब पीने बात कबूल की (ETV Bharat)

क्या छिपाए जाते हैं मौत के आंकड़े? : वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय बताते हैं कि एनसीआरबी के आंकड़ों (सरकारी आंकड़ा) से अलग जहरीली शराब पीने से हुई मौत का वास्तविक आंकड़ा कुछ अलग होता है. दरअसल, कई बार परिजन कानून के डर से पुलिस के पास नहीं जाते है, मामले को छुपा लेते हैं. कई बार तो परिजन चोरी छिपे मृतक का अंतिम संस्कार तक कर देते हैं.

बिाहार में शराबबंदी फेल क्यों? : अरुण पांडेय कहते हैं कि ''यह घटना पूरी तरह से प्रशासनिक विफलता है, लगता है कि सरकार की हनक समाप्त हो गई है. यहां शराब, नकली शराब एवं जहरीली शराब तीन तरह की शराब बिक रही. शराबबंदी के कारण बिहार में पिछले 8 वर्षों में 12 लाख मामले दर्ज हुए हैं. पिछले वर्ष डेढ़ सौ से अधिक लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हुई. खुद मंत्री भी मानते हैं कि बिहार में शराब की तो होम डिलीवरी होती है. इसमें गरीब लोग देसी शराब का इस्तेमाल कर रहे हैं.''

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बिहाप सरकार के आंकड़े (ETV Bharat)

एक बार फिर से शराबबंदी पर सवाल : बिहार में अप्रैल, 2016 से शराबबंदी कानून लागू है. फिर भी शायद ही ऐसा कोई दिन या महीना बीतता है, जब मीडिया में शराब बरामदगी खबर न बने. बिहार के सिवान और सारण में जहरीली शराब से 30 से ज्यादा लोगों की मौत हुई तो एक बार फिर से शराबबंदी पर सवाल उठने लगे हैं.

बिहार में 2016 से शराबबंदी : साल 2015, बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने शराबबंदी का वादा किया था. भले नीतीश कुमार ने अपना वादा बाद में निभाया लेकिन नतीजे उन्हें उसी साल विधानसभा चुनाव में देखने को मिले, महिलाओं ने जमकर वोटिंग की. इसके बाद 1 अप्रैल 2016 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई.

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पिछले कुछ सालों में जहरीली शराब से मौत (ETV Bharat)

इन राज्यों में शराबबंदी कानून : बिहार के अलावा देश के पांच राज्यों में शराबबंदी कानून लागू है. 1960 में सबसे पहले गुजरात, इसके बाद मिजोरम, नागालैंड और लक्षद्वीप में पूर्ण शराबबंदी लागू है. बाद में साल 1991 में मणिपुर में शराबबंदी कानून लाया गया लेकिन, बाद में वहां की सरकार ने इसमें छूट दे दी. इसके पीछे दलील थी कि राजस्व का नुकसान हो रहा था.

बिहार में शराबबंदी असफल क्यों? : वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय कहते हैं, ''आंध्र प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों ने शराबबंदी कानून पर यूटर्न ले लिया. बिहार में शराब माफिया एवं बालू माफिया को लेकर सरकार ने विधानसभा से बजट सत्र में बिल भी पास किया, लेकिन उस कानून का क्या फायदा?. बिहार में तो शराब के इस कारोबार में अधिकारी से लेकर सफेदपोश का शराब माफिया से सांठगांठ है.''

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अस्पताल में भर्ती लोग (ETV Bharat)

अवैध कारोबार और NFHS-5 के आंकड़े : वहीं फिक्की (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) की रिपोर्ट की माने तो देश में अवैध शराब का बहुत बड़ा कारोबार है. हालांकि, अवैध शराब की तस्करी से सरकार को हजारों लाखों करोड़ के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ता है. क्योंकि कारोबारी, अवैध शराब को दोगुने तिगुने दाम पर बेचते हैं. NFHS-5 के आंकड़ों की मानें तो बिहार में शराबबंदी के बावजूद महाराष्ट्र से ज्यादा शराब की खपत होती है.

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एनएफएचएस 5 के आंकड़े (ETV Bharat)

सरकार के चौंकाने वाले आंकड़े : वहीं बिहार सरकार ने पिछले दिनों साल 2016 से लेकर अगस्त 2024 तक चौंकाने वाला आंकड़ा जारी किया. आंकड़ों की मानें तो बिहार में हर घंटे 18 लोगों को शराब से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया. आठ सालों में अब तक जहरीली शराब से 266 लोगों की मौत हुई.

''पिछले कुछ सालों में 234 शराब माफिया को गिरफ्तार किया है. करीब 5 लाख से ज्यादा लोगों को शराबबंदी मामले में कोर्ट से सजा दिलाई गई. करोड़ों लीटर शराब जब्त की गई और 3 करोड़ लीटर से ज्यादा शराब नष्ट की गई.''- विनोद सिंह गुंजियाल, मद्य निषेध विभाग के सचिव

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