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एनडीए के प्रयोग पर लगी मुहर..2025 में कितना रहेगा असरदार, क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

बिहार उचुनाव रिजल्ट के बाद 2025 की तैयारी शुरू हो गयी है. उपचुनाव में चारों सीट पर एनडीए का प्रयोग सपल रहा.

बिहार में एनडीए की जीत
बिहार में एनडीए की जीत (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 2 hours ago

पटनाः बिहार में एनडीए की जीत और इंडिया गठबंधन की हार हो गयी. शनिवार को आए बिहार उपचुनाव का परिणाम 2025 के लिए एक संकेत है. इंडिया गठबंधन और एनडीए दोनों ने बाहुबलियों और परिवारवाद का दांव खेला लेकिन एनडीए को सफलता मिली और इंडिया गठबंधन की हार हो गयी. जनता ने नीतीश कुमार और पीएम मोदी की जोड़ी पर मुहर लगाने का काम किया.

2025 की लिखी गई पटकथाः उपचुनाव में इस जीत से एनडीए को 2025 में काफी फायदा होने वाला है. राजनीतिक विश्लेषक भी इस बात को मानते हैं. डॉ. संजय कुमार का मानना है कि एनडीए ने उपचुनाव में चारों सीटों पर जीत हासिल की है. भाजपा को दो सीटों पर जीत हासिल हुई, जदयू और हम पार्टी ने एक-एक सीट पर जीत हासिल हुई. जनता ने मोदी और नीतीश की जोड़ी को एक बार फिर समर्थन किया है. यह नतीजे ने 2025 विधानसभा चुनाव की पटकथा लिख दी.

बिहार उपचुनाव रिजल्ट पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ (ETV Bharat)

एनडीए में बाहुबल प्रयोग सफलः राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के समक्ष प्रत्याशियों की चयन बड़ी चुनौती थी. एनडीए ने जोखिम उठाकर प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था. तरारी में भाजपा ने जहां बाहुबली नेता सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रशांत को मैदान में उतर वहीं, जदयू ने बाहुबली नेता बिंदी यादव की पत्नी को मैदान में उतारा.

परिवारवाद के आरोप भी लगेः इमामगंज विधानसभा सीट पर जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी को मैदान में उतर गया तो विपक्ष ने परिवारवाद के मुद्दे पर एनडीए को घेरा. रामगढ़ सीट पर भाजपा ने पूर्व विधायक अशोक सिंह को मैदान में उतारा, अशोक सिंह के करीबी रिश्तेदार की गिरफ्तारी ठीक चुनाव से पहले हुई थी. विपक्ष ने इसे भी मुद्दा बनाया था. जोखिम उठाकर एनडीए ने दोनों उम्मीदवार को मैदान में उतारा और प्रयोग सफल रहा.

"बाहुबलियों और परिवारवाद पर पूरा दांव लगाया गया. जनता ने मुहर लगा दी तो इससे साफ है कि दांव सही बैठा. जनता ने परिवारवाद और बाहुबलियों ने से परहेज नहीं किया. नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी एक साथ हैं तो जनता को बाहुबलियों और परिवारवाद से कोई लेना देना नहीं है." -डॉ. संजय कुमार, रकाजनीतिक विश्लेषक

कहां से कौन जीते?: तमाम आरोपों के बाद भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के चारों प्रत्याशी मैदान में गए. इमामगंज में जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी ने हम पार्टी से जीत हासिल की. रामगढ़ से बीजेपी प्रत्याशी अशोक सिंह, और तरारी से विशाल प्रशांत की जीत हुई. बेलागंज से जदयू उम्मीदवार मनोरमा देवी भी जीत हासिल की. शनिवार को आए उपचुनाव के रिजल्ट को बीजेपी ने सराहा है. भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि जनता ने नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की जोड़ी पर मुहर लगाई है.

"एनडीए की जीत पहले से तय थी. बिहार की जनता का भरोसा नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के ऊपर है. कोई आकर जबरदस्ती माता-पिता के नाम पर बैठ जाएगा और सत्ता का दुरुपयोग करेगा तो यही हाल होगा. जब कुर्सी मिलती है तो लूट-घसोट करते हैं. तो ऐसे लोगों को जनता सबक सिखाएगी. एनडीए की सरकार काम करती है तो जनता ने भरोसा जताया. जनता ने साबित कर दिया है कि 2025 में एनडीए की सरकार बनेगी." -प्रेम रंजन पटेल

चर्चा में थी मनोरमा देवी: सबसे ज्यादा ध्यान जदयू उम्मीदवार मनोरमा देवी पर था, क्यों हाल में मनोरमा देवी के घर एनआईए की छापेमारी में करोड़ों रुपए कैश और घातक हथियार बरामद किया गया था. एनआईए ने इसकी पुष्टि भी की थी. मनोरमा देवी ने भी स्वीकार किया था कि उनके घर से रुपये मिले हैं. इस तरह का मामला सामने आने के बाद भी नीतीश कुमार ने मनोरमा देवी पर भरोसा जताया. मनोरमा देवी भी जीत हासिल की.

'राजद का बयान दुख': मनोरमा देवी की जीत के बाद राजद की प्रतिक्रिया से सियासत शुरू हो गयी है. जदयू नेताओं का मानना है कि राजद ने शर्मनाक बयान दिया है. इसके लिए क्षमा मांगनी चाहिए. राजद पर हमला बोलते हुए जदयू प्रवक्ता भारती मेहता ने कहा कि राजद का महिला विरोधी चेहरा उजागर हुआ है. दरअसल, राजद नेता ने कहा कि मनोरमा देवी की जीत अपशगुन है. इसी पर जदयू नेता आक्रोशित हैं.

चारों विधानसभा की जनता को धन्यावद है कि उन्होंने नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की नीति पर विश्वास किया. हमारे एनडीए उम्मीदवार को जिताने का काम किया. राजद नेता ने मनोरमा देवी के कहा कि उनका जीतना अपशगुन है. इस बयान के लिए उनसे क्षमा मांगना चाहिए. लालू यादव अपनी बेटी को राज्यसभा में रहते हुए टिकट दिए और नीतीश कुमार ने एक विधवा महिला को टिकट दे दिया तो क्या ये अपशगुन हो गया? -भारती मेहता, जदयू प्रवक्ता

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पटनाः बिहार में एनडीए की जीत और इंडिया गठबंधन की हार हो गयी. शनिवार को आए बिहार उपचुनाव का परिणाम 2025 के लिए एक संकेत है. इंडिया गठबंधन और एनडीए दोनों ने बाहुबलियों और परिवारवाद का दांव खेला लेकिन एनडीए को सफलता मिली और इंडिया गठबंधन की हार हो गयी. जनता ने नीतीश कुमार और पीएम मोदी की जोड़ी पर मुहर लगाने का काम किया.

2025 की लिखी गई पटकथाः उपचुनाव में इस जीत से एनडीए को 2025 में काफी फायदा होने वाला है. राजनीतिक विश्लेषक भी इस बात को मानते हैं. डॉ. संजय कुमार का मानना है कि एनडीए ने उपचुनाव में चारों सीटों पर जीत हासिल की है. भाजपा को दो सीटों पर जीत हासिल हुई, जदयू और हम पार्टी ने एक-एक सीट पर जीत हासिल हुई. जनता ने मोदी और नीतीश की जोड़ी को एक बार फिर समर्थन किया है. यह नतीजे ने 2025 विधानसभा चुनाव की पटकथा लिख दी.

बिहार उपचुनाव रिजल्ट पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ (ETV Bharat)

एनडीए में बाहुबल प्रयोग सफलः राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के समक्ष प्रत्याशियों की चयन बड़ी चुनौती थी. एनडीए ने जोखिम उठाकर प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था. तरारी में भाजपा ने जहां बाहुबली नेता सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रशांत को मैदान में उतर वहीं, जदयू ने बाहुबली नेता बिंदी यादव की पत्नी को मैदान में उतारा.

परिवारवाद के आरोप भी लगेः इमामगंज विधानसभा सीट पर जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी को मैदान में उतर गया तो विपक्ष ने परिवारवाद के मुद्दे पर एनडीए को घेरा. रामगढ़ सीट पर भाजपा ने पूर्व विधायक अशोक सिंह को मैदान में उतारा, अशोक सिंह के करीबी रिश्तेदार की गिरफ्तारी ठीक चुनाव से पहले हुई थी. विपक्ष ने इसे भी मुद्दा बनाया था. जोखिम उठाकर एनडीए ने दोनों उम्मीदवार को मैदान में उतारा और प्रयोग सफल रहा.

"बाहुबलियों और परिवारवाद पर पूरा दांव लगाया गया. जनता ने मुहर लगा दी तो इससे साफ है कि दांव सही बैठा. जनता ने परिवारवाद और बाहुबलियों ने से परहेज नहीं किया. नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी एक साथ हैं तो जनता को बाहुबलियों और परिवारवाद से कोई लेना देना नहीं है." -डॉ. संजय कुमार, रकाजनीतिक विश्लेषक

कहां से कौन जीते?: तमाम आरोपों के बाद भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के चारों प्रत्याशी मैदान में गए. इमामगंज में जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी ने हम पार्टी से जीत हासिल की. रामगढ़ से बीजेपी प्रत्याशी अशोक सिंह, और तरारी से विशाल प्रशांत की जीत हुई. बेलागंज से जदयू उम्मीदवार मनोरमा देवी भी जीत हासिल की. शनिवार को आए उपचुनाव के रिजल्ट को बीजेपी ने सराहा है. भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि जनता ने नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की जोड़ी पर मुहर लगाई है.

"एनडीए की जीत पहले से तय थी. बिहार की जनता का भरोसा नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के ऊपर है. कोई आकर जबरदस्ती माता-पिता के नाम पर बैठ जाएगा और सत्ता का दुरुपयोग करेगा तो यही हाल होगा. जब कुर्सी मिलती है तो लूट-घसोट करते हैं. तो ऐसे लोगों को जनता सबक सिखाएगी. एनडीए की सरकार काम करती है तो जनता ने भरोसा जताया. जनता ने साबित कर दिया है कि 2025 में एनडीए की सरकार बनेगी." -प्रेम रंजन पटेल

चर्चा में थी मनोरमा देवी: सबसे ज्यादा ध्यान जदयू उम्मीदवार मनोरमा देवी पर था, क्यों हाल में मनोरमा देवी के घर एनआईए की छापेमारी में करोड़ों रुपए कैश और घातक हथियार बरामद किया गया था. एनआईए ने इसकी पुष्टि भी की थी. मनोरमा देवी ने भी स्वीकार किया था कि उनके घर से रुपये मिले हैं. इस तरह का मामला सामने आने के बाद भी नीतीश कुमार ने मनोरमा देवी पर भरोसा जताया. मनोरमा देवी भी जीत हासिल की.

'राजद का बयान दुख': मनोरमा देवी की जीत के बाद राजद की प्रतिक्रिया से सियासत शुरू हो गयी है. जदयू नेताओं का मानना है कि राजद ने शर्मनाक बयान दिया है. इसके लिए क्षमा मांगनी चाहिए. राजद पर हमला बोलते हुए जदयू प्रवक्ता भारती मेहता ने कहा कि राजद का महिला विरोधी चेहरा उजागर हुआ है. दरअसल, राजद नेता ने कहा कि मनोरमा देवी की जीत अपशगुन है. इसी पर जदयू नेता आक्रोशित हैं.

चारों विधानसभा की जनता को धन्यावद है कि उन्होंने नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की नीति पर विश्वास किया. हमारे एनडीए उम्मीदवार को जिताने का काम किया. राजद नेता ने मनोरमा देवी के कहा कि उनका जीतना अपशगुन है. इस बयान के लिए उनसे क्षमा मांगना चाहिए. लालू यादव अपनी बेटी को राज्यसभा में रहते हुए टिकट दिए और नीतीश कुमार ने एक विधवा महिला को टिकट दे दिया तो क्या ये अपशगुन हो गया? -भारती मेहता, जदयू प्रवक्ता

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