दौसा : इस बार मानसून में अच्छी बारिश के कारण दौसा के बांधों, जलाशयों और फॉर्म पौंड में पानी की पर्याप्त उपलब्धता होने से रबी सीजन में फसलों का क्षेत्रफल बढ़ने की संभावना है. ऐसे में संयुक्त निदेशक कृषि डॉ. प्रदीप कुमार अग्रवाल ने बताया कि फसलों की बुआई के समय किसानों द्वारा फॉस्फेटिक उर्वरक के रूप में डीएपी के उपयोग का प्रचलन अधिक है. वहीं, डीएपी पर अधिक निर्भरता होने से मांग के अनुरूप इसे उपलब्ध कराने में कठिनाई आती है. इसके साथ ही भूमि में संतुलित पोषक तत्वों की भी आपूर्ति नहीं हो पाती है.
किसान संगोष्ठी का होगा आयोजन : ऐसे में समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन के उद्देश्य से उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए जिले के किसानों को कृषि विभाग के माध्यम से आवश्यक तकनीकी सलाह के लिए रबी सीजन से पूर्व 2 से 15 सितंबर तक प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर किसान संगोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा. इसमें आसपास के कृषि आदान विक्रेताओं और विभिन्न उर्वरक निर्माता कंपनियों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया जाएगा. किसान संगोष्ठी में किसानों को कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन के उद्देश्य से संतुलित उर्वरक उपयोग के बारे में आवश्यक तकनीकी सलाह दी जाएगी. इसके लिए जिले के समस्त सहायक कृषि अधिकारी, कृषि पर्यवेक्षकों और कृषि आदान विक्रेताओं को आवश्यक निर्देश दिए जा रहे हैं.
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सिंगल सुपर फास्फेट और यूरिया का ऐसे करें इस्तेमाल : कृषि अधिकारी दौसा (प्रशिक्षण) अशोक कुमार मीणा ने बताया कि किसान बुआई के समय डीएपी के विकल्प के रूप में 1 बैग डीएपी के स्थान पर 3 बैग सिंगल सुपर फास्फेट (एसपी) और 1 बैग यूरिया का उपयोग करें. सिंगल सुपर फास्फेट में उपलब्ध फास्फोरस तत्व के अलावा अन्य आवश्यक पोषक तत्व व सल्फर, जिंक सल्फेट, बोरोन आदि पोषक तत्व भी उपलब्ध होते हैं. 3 बैग सिंगल सुपर फास्फेट और 1 बैग यूरिया में उपलब्ध पोषक तत्वों की लागत डीएपी में उपलब्ध पोषक तत्वों की लागत से कम होती है.
वर्तमान में उपयोग हो रहे उर्वरकों से N: P: K के आदर्श अनुपात 4:2:1 का असंतुलन भी हो रहा है. वहीं, भूमि की उर्वरा शक्ति बनाए रखने और उर्वरकों के उपयोग में मुख्य पोषक तत्वों अर्थात N:P:K का अनुपात 4:2:1 बनाए रखने के लिए डीएपी के स्थान पर एसएसपी+यूरिया के अलावा NPK कॉम्प्लेक्स उर्वरक के विभिन्न ग्रेडस यथा - N P K 12:32:16, 20:20:0:13 , ,19:19: 19 , 16:16:16, 15:15:15 आदि का उपयोग करना चाहिए.
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भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए करें इनका प्रयोग : कृषि अधिकारी के अनुसार भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाए जाने के लिए कार्बनिक खादों यथा गोबर खाद, कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट, खली, प्रोम, फोम, एलफॉम, ऑर्गेनिक मैंन्योर इत्यादि का अधिक से अधिक उपयोग किया जाना चाहिए. साथ ही उर्वरकों की लागत को कम करने और भूमि की उर्वरा शक्ति एवं उत्पादन बढ़ाने में सहायक न्यू एज तरल उर्वरक नैनो यूरिया , नैनो डीएपी का उपयोग करना चाहिए. किसान खेतो से मिट्टी नमूने की जांच के आधार पर बनाए गए मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार भूमि में उर्वरकों का उपयोग करें.