चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव के नतीजे एक तरफ बीजेपी के लिए चौंकाने वाले रहे, तो वहीं कांग्रेस के लिए इन नतीजों ने संजीवनी का काम किया. लोकसभा चुनाव में हरियाणा में बीजेपी को 90 में से 44 विधानसभा सीटों पर हार मिली. जिसके बाद अब कांग्रेस दावा कर रही है कि इस बार कांग्रेस की पूर्ण बहुमत से सरकार बनेगी, उससे पहले पार्टी के सामने बड़ी चुनौती गुटबाजी से निपटने की है.
राजनीतिक दलों के बीच जुबानी जंग तेज: कांग्रेस पार्टी ने भले ही हरियाणा में लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर जीत दर्ज कर बीजेपी को जोर का झटका दिया हो. भले ही पार्टी विधानसभा चुनाव में जीत का दावा कर रही हो, लेकिन हरियाणा कांग्रेस की आपसी खींचतान पहले की तरह ही जारी है. एक तरफ नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा है, तो दूसरी तरफ पार्टी की सांसद और वरिष्ठ नेत्री कुमारी सैलजा हैं.
कुमारी सैलजा लोकसभा चुनाव के बाद लगातार पार्टी के लोकसभा टिकटों के बंटवारे सवाल उठा रही हैं. वो लगता कह रही हैं कि अगर टिकट बंटवारे में एक पक्ष की ना चलती, तो नतीजे कांग्रेस के लिए प्रदेश में और बेहतर हो सकते थे. वे खासतौर पर बिना नाम लिए नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे पर निशाना साध रही हैं. वहीं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा हार बार कह रहे हैं कि टिकट का फैसला कांग्रेस हाईकमान करता है.
कुमारी सैलजा ने टिकट बंटवारे पर उठाए सवाल: सिरसा से लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा ने हिसार के उकलाना मंडी में कार्यक्रम के बाद कहा कि किरण चौधरी और श्रुति चौधरी के पार्टी छोड़ने से पार्टी को नुकसान हुआ है. चाहे कोई कुछ भी कहे. कांग्रेस पार्टी में जो इस तरह से हो रहा है वो ठीक नहीं, लोकसभा चुनाव में स्टार प्रचारक के तौर पर भी किरण चौधरी का नाम नहीं था. उनकी अनदेखी हुई. सैलजा ने कहा कि या तो हाईकमान को हरियाणा की समझ नहीं या कई लोगों ने फीडबैक नहीं लिया दिया. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हरियाणा में 8 से 10 सीट जीत सकती थी.
उन्होंने कहा कि करनाल से पूर्व सीएम के सामने इतना कमजोर कैंडिडेट दिया. अगर गुरुग्राम से कैप्टन अजय यादव को टिकट मिलता, तो मुझे विश्वास है कि वो जीत जाते. उन्होंने उस इलाके में काम किया है. उन्होंने सोनीपत सीट के पार्टी उम्मीदवार पर भी सवाल उठाए. सैलजा ने भूपेंद्र हुड्डा का नाम लिए बिना कहा कि दूसरी पार्टियों से नेताओं को लाकर पार्टी ज्वाइन करवा रहे हैं. जो घर में हैं. पहले उनको तो संभाल लो. उनके साथ तो इंसाफ करो.
सैलजा के आरोपों पर क्या कहते हैं नेता प्रतिपक्ष? कुमारी सैलजा जहां लगातार लोकसभा चुनाव के टिकट बंटवारे को लेकर हुड्डा गुट पर निशाना साध रही हैं, तो वहीं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा कहते हैं कि ये कांग्रेस पार्टी का फैसला है. टिकट का बंटवारा कांग्रेस हाईकमान करता है. वे कहते हैं कि कोई भी वरिष्ठ नेता हो उसको यह बातें कांग्रेस हाईकमान के सामने करनी चाहिए. मुझे कोई ऐतराज होगा, तो मैं भी वहीं जाकर अपनी बात करूंगा. अगर किसी के साथ नाइंसाफी हुई है, तो इंसाफ कौन करेगा, कांग्रेस हाईकमान ही करेगा. जो भी फैसला कांग्रेस हाईकमान करता है. वो सबको मान्य होता है.
क्या ऐसे बीजेपी को परास्त कर पाएगी कांग्रेस? जिस तरीके से कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं में एक दूसरे को लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक नतीजे में आने को लेकर लड़ाई चल रही है, और एक दूसरे पर सियासी बयानों के बाण चले जा रहे हैं, उससे सवाल ये उठता है कि क्या कांग्रेस बीजेपी को इस तरह विधानसभा चुनाव में परास्त कर पाएगी? क्या इस बार भी गुटबाजी कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने की उम्मीद पर भारी पड़ेगी? इस पर राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी ने कहा "इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस तरह की गुटबाजी कांग्रेस को नुकसान करेगी. ये बात लोकसाभ चुनाव में इस बार हो चुकी है."
क्या कांग्रेस को होगा नुकसान? धीरेंद्र अवस्थी ने कहा "अगर कांग्रेस बेहतर तालमेल से चुनाव लड़ती तो नतीजे कुछ और हो सकते थे. जिसकी बात शायद कुमारी सैलजा भी कर रही हैं, लेकिन दिक्कत ये है कि पार्टी नेताओं की आपसी खेमे बंदी के चलते पार्टी का नुकसान हो रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी यही गुटबाजी कांग्रेस को भारी पड़ी थी. अगर ऐसा आगे भी चलता रहा तो उसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ेगा. अगर कांग्रेस को हरियाणा में वापसी करनी है, तो इस गुटबाजी का समाधान पार्टी और हाईकमान को करना होगा. सभी नेताओं को एक स्टेज पर आना होगा. तभी पार्टी विधानसभा चुनाव में जिस नतीजे की उम्मीद कर रही है वो मिल पाएगा. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो बीजेपी इस गुटबाजी का फायदा सीधे तौर पर उठाएगी."