कुल्लू: भुंतर के वैली ब्रिज की तबाही के जख्म अब 29 सालों के बाद भरेंगे. कभी सरकार की उदासीनता तो कभी राजनीतिक पालने में झूलने वाले भुंतर ब्रिज को अब दशकों बाद लोक निर्माण विभाग के रूप में मसीहा मिल गया है जिसके चलते अब इस वैली ब्रिज के एक छोर में 40.5 मीटर लंबा आरसीसी ब्रिज बनेगा. हालांकि इससे आगे वैली ब्रिज डबल लेन लोहे का बना हुआ है लेकिन वर्ष 1995 की बाढ़ में ब्रिज का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था. उसके बाद यहां सिंगल लेन ब्रिज बनाया गया. डबल लेन ब्रिज बनाने के लिए किसी सरकार ने कोई ठोस प्रयास नहीं किए. जिस कारण सालों तक यह ब्रिज उपेक्षा का शिकार होता रहा.
डबल लेन ब्रिज का होगा निर्माण
अब इस ब्रिज के हिस्से में 40.5 मीटर लंबे डबल लेन ब्रिज का निर्माण करने की योजना सिरे चढ़ने वाली है. बीसी नेगी, एक्सईएन, लोक निर्माण विभाग कुल्लू ने जानकारी देते हुए कहा "ब्रिज निर्माण को लेकर ड्राइंग सबमिट कर दी है. साइट इंस्पेक्शन भी हो चुकी है और 20 दिसंबर से ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा. विभाग इसे जून 2025 से पहले तैयार कर लेगा." लोक निर्माण विभाग इस ब्रिज के 40.5 मीटर लंबे हिस्से को आरसीसी देकर तैयार करेगा. हालांकि पहले इसे आर्च के आकार का बनाया जाना था लेकिन अब इसे सामान्य ही बनाया जाएगा. विभाग का दावा है कि आने वाली बरसात से पहले ब्रिज को तैयार किया जाएगा ताकि लोगों को किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े.
साल 1995 में क्षतिग्रस्त हुआ था ब्रिज
जिला कुल्लू के भुंतर में ब्यास और पार्वती नदी के संगम स्थल पर साल 1978 में वैली ब्रिज बनाया गया था. साल 1995 में ब्यास नदी में आई बाढ़ के दौरान नदी का रुख बदल गया और नदी सब्जी मंडी भुंतर की ओर मुड़ गई जिस कारण इस ब्रिज के एक छोर को नुक्सान हुआ. उसके बाद यहां एक छोर में सिंगल लेन छोटे ब्रिज को बड़े ब्रिज के साथ जोड़ा गया. ऐसे में यहां से एक लेन में ही वाहन गुजरते रहे. साल 2007-08 में एडी हाइड्रो पावर कार्पोरेशन के एक भारी ट्राले ने इस ब्रिज के हिस्से को क्षतिग्रस्त किया और साल 2023 में आई बाढ़ के दौरान भी ब्रिज की उस हिस्से की नींव हिल गई जिस कारण काफी समय तक वाहनों की आवाजाही बंद रही. इसके बाद ब्रिज को वाहनों की आवाजाही के लिए असुरक्षित घोषित किया गया. हालांकि बाद में इस सिंगल लेन ब्रिज का भार डबल लेन ब्रिज पर डाला गया लेकिन सुरक्षा को देखते हुए इसे सिर्फ छोटे वाहनों के लिए खोला गया.
लंबे समय से ब्रिज को ठीक करने की बजाय विभाग इसे एक-दूसरे के पाले में डालने का काम करता रहा. हालांकि पहले ब्रिज को एनएच को सौंपा गया लेकिन जब ब्रिज की स्थिति नहीं सुधरी तो इसे एनएचएआई के हवाले कर दिया गया. जब तक एनएचएआई कुछ करता उससे पहले इसे बनाने का जिम्मा अब लोक निर्माण विभाग ने ले लिया है. अब लोक निर्माण विभाग इस ब्रिज के लिए मसीहा बनकर आया है और दशकों बाद तबाही के जख्म भरने की उम्मीद जाग गई है.
इस ब्रिज पर केवल छोटे वाहनों की हो रही आवाजाही
करीब 11 महीनों से इस ब्रिज पर सिर्फ छोटे वाहनों की आवाजाही हो रही है जबकि बड़े वाहनों को वाया बजौरा पुल या फोरलेन फ्लाईओवर से होकर आना-जाना पड़ रहा है जिसमें मणिकर्ण और गड़सा घाटी की ओर जाने वाले यात्रियों को 12 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर करना पड़ रहा है लेकिन अब डबल लेन ब्रिज बनने से लोगों को जल्द राहत मिलने की उम्मीद है.
भुंतर शहर से चाहे धार्मिक नगरी मणिकर्ण जाना हो या फिर गड़सा क्षेत्र या फिर बाईपास होकर कुल्लू-मनाली का रुख करना हो. यह ब्रिज महत्वपूर्ण है लेकिन काफी लंबे समय से इस ब्रिज से बड़े वाहन नहीं चल पाने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, अब जिला प्रशासन ने भी इस बारे में अधिसूचना जारी की है जिसके तहत 20 दिसंबर से आगामी 3 महीने तक पुल को वाहनों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है.
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