वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय बुधवार को पूरी तरीके से दिल्ली का राजपथ बना रहा. जहां पर देश की अलग-अलग सभ्यता संस्कृति की झांकियां प्रस्तुत की गईं. बड़ी बात यह है कि इन झांकियों में राम मंदिर के साथ विकसित भारत की भी तस्वीर नजर आ रही है.
दरअसल, विश्वविद्यालय अपना 108वां स्थापना दिवस परंपरागत तरीके से मना रहा है. जिसके तहत बाकायदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन ने वैदिक मंत्र के साथ मां बागेश्वरी की पूजा संपन्न की और इसके बाद परिसर में हरि झंडी दिखा कर झांकियों को रवाना किया.
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना बसंत पंचमी के दिन हुई थी. यही वजह है कि विश्वविद्यालय बसंत पंचमी को अपना स्थापना दिवस मनाता है. इस बार विश्वविद्यालय के 108 वां स्थापना दिवस है. इस दिन हजारों छात्र अलग-अलग तरीके की झांकियां निकाल करके इस महोत्सव को मानते हैं.
इस बार की झांकियों की बात करें तो कुल 30 झांकियां सजाई गई हैं, जो 40 फीट लंबी हैं. इसके साथ ही 200 से ज्यादा प्रदर्शनियां लगाई गईं. जिसमें भगवान राम की झांकी सबसे ज्यादा खूबसूरत रही. इस बार विश्वविद्यालय की ओर से सनातन वैभव की झांकी निकाली गई है, जो अपने आप में खास रही.
इन झांकियां में प्रभु श्री राम और राम मंदिर को दर्शाया गया है. संस्कृत विद्या धर्म संकाय की बात कर ले तो संकाय की ओर से इस बार कुल पांच झांकियां निकाली गईं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण झांकी विश्वनाथ मंदिर संग राम मंदिर की रही. जिसमें एक ओर बाबा विश्वनाथ का वैभव तो दूसरी ओर राघव के अवध में मौजूद उनके भव्य राम मंदिर को दर्शाया गया है, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.
इसके साथ ही जूलॉजी विभाग की ओर से प्रभु श्री राम के जनजातीय पर आधारित एक झांकी निकाली गई है, जिसमें प्रभु श्री राम के स्वरूप में राम लक्ष्मण और सीता तैयार हुए हैं और इसके साथ ही रामायण काल की जनजातियों को दर्शाया गया है.
इसके साथ ही विश्वविद्यालय के मुख्य थीम प्राची के मेल को भी बताया गया है, जिसमें खगोल की गणना से लेकर के वर्तमान समय के एयरक्राफ्ट तक को बताया गया है कि किस तरीके से भारत विकसित भारत के साथ श्रेष्ठ भारत की ओर अग्रसर हो रहा है, इसमें पर्यावरण और योग के महत्व के बारे में भी बताया गया है.
सभी झांकियां 3 मिनट के लिए मालवीय भवन के पास रुकीं. यहां पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन ने झांकियों का निरीक्षण किया और छात्रों का उत्साहवर्धन किया. इसके बाद यह सभी झांकियां विश्वविद्यालय के रास्ते से होते हुए सिंह द्वार तक पहुंचीं और वापस अपने संकाय की ओर लौट गईं.
कार्यक्रम को लेकर के विश्वविद्यालय के छात्रों में भी उत्साह नजर आ रहा है. हर कोई अपने कैमरे के जरिए इस मनोहर दृश्य को कैद करने में जुटा हुआ है. बड़ी बात यह है की झांकियों के साथ-साथ 200 जो अलग प्रदर्शनियां लगाई गई हैं. इसमें कोई गुरु बना तो कोई खिलाड़ी.
कब हुई थी BHU की स्थापना: BHU की स्थापना 1916 को बसंत पंचमी के दिन हुई थी. यही वजह है कि हर साल हिंदू तिथि के आधार पर BHU अपना स्थापना दिवस मनाता है. इस दिन बाकायदा कैंपस में 3 किलोमीटर तक की झांकियां निकाली जाती हैं. परेड निकाली जाती है.
छात्र गीत मधुर संगीत पर नाचते गाते हुए नजर आते हैं और इसके साथ ही इन झांकियों में देश की अलग-अलग सभ्यता और संस्कृति की प्रतिलिपि भी नजर आती है. इस बार भी परंपरा का विश्वविद्यालय ने बखूबी निर्वहन किया है और कैंपस में स्थापना दिवस का उत्साह देखा जा रहा है.
बताते चले कि, स्थापना दिवस पर बीएचयू में बाकायदा राधा कृष्ण सभागार में मां सरस्वती की प्रतिमा पर स्थापित की गई है. जहां कुलपति ने पूजा दर्शन करने के साथ इस कार्यक्रम की शुरुआत की है.