भोपाल. राजधानी में रविवार को मौसम का मिजाज बदल गया. शाम करीब सात बजे तेज गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ीं. सुबह से ही शहर में बादल छाए हुए थे, जिसकी वजह से दिन में धूप-छांव का खेल चलता रहा. वहीं शाम होते होते बादल बरस पड़े. शहर के कई इलाकों में तेज तो कई इलाकों में हल्की बारिश दर्ज की गई, जिससे तापमान में गिरावट देखी गई.
मौसम विभाग के मुताबिक 10 अप्रैल तक मौसम का यह मिजाज बना रह सकता है. यही नहीं दक्षिण-पश्चिमी और दक्षिणी-पूर्व एमपी के हिस्सों में ओले भी गिर सकते हैं. जबकि मंगलवार को गरज-चमक के साथ बूंदाबांधी होगी. वहीं रविवार को भी प्रदेश के कई जिलों में हल्की बूंदाबादी हुई थी. इस दौरान ओले भी पड़ सकते हैं. साथ ही 30-50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं भी चल सकती है.
तेज गर्मी से मिली राहत
अचानक बारिश होने से तापमान में भी बदलाव दर्ज किया गया. दिन का पारा 1.9 डिग्री सेल्सियस लुढ़क गया और अधिकतम 35.8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड हुआ, जो शनिवार को 37.7 डिग्री सेल्सियस था. हालांकि, सोमवार को कुछ उमस परेशान कर सकती है. वहीं 9 और 10 अप्रैल को फिर बारिश के आसार जताए जा रहे हैं, जिससे फिर तापमाम में गिरावट आ सकती है.
आगे ऐसा रहेगा मौसम
मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में मौसम का मिजाज ऐसा ही रहने का अंदेशा जताता है. पूर्वानुमान है कि 9 और 10 अप्रैल को गरज-चमक के साथ एक बार फिर बारिश हो सकती है. मौसम वैज्ञानिक डॉ. वेदप्रकाश सिंह ने बताया कि 10 अप्रैल को सिस्टम ज्यादा स्ट्रॉन्ग रहेगा. साइक्लोनिक सकुर्लेशन सिस्टम और वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) के एक्टिव होने की वजह से भोपाल के साथ-साथ जबलपुर, रीवा, इंदौर, उज्जैन, खरगोन, देवास,शाजापुर, आगर मालवा, गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, बैतूल और पांढुर्णा समेत प्रदेश के अनेक हिस्सों में तेजी बारिश, आंधी व ओले गिरने सी संभावना है.
इस वजह से बदल रहा मौसम का मिजाज
वर्तमान में पश्चिमी विक्षोभ उत्तर-पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ऊपर समुद्र तल से 3.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर है और चक्रवातीय हवाओं का घेरा और ट्रफ लाइन भी बनी हुई है. साथ ही समुद्र तल से 1.5 किलो मीटर की ऊंचाई तक उड़ीसा से लेकर छत्तीसगढ़, विदर्भ, कर्नाटक और मराठवाड़ा होते हुए उत्तरी तमिलनाडू तक हवाओं में विअर्ड डेंसिटी है. एक चक्रवातीय परिसंचरण दक्षिणी पूर्वी राजस्थान के ऊपर समुद्र तल से 1.5 किमी की ऊंचाई तक सक्रिय है. इसके साथ ही 10 अप्रैल और 13 अप्रैल से दो नए पश्चिमी विक्षोभ के सक्रीय होने की संभावना बनी हुई है.