भोपाल: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के अंदाज में एक्शन दिखाने के बाद अब मध्य प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव प्रदेश का राजस्व बढ़ाने के लिए भी यूपी मॉडल को एमपी में लागू करने की तैयारी में दिखाई दे रहे हैं. इसके लिए बाकायदा कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट को ताकीद की गई है कि वह यूपी में आबकारी नीति की स्टडी करके रिपोर्ट सौंपें. असल में यूपी की नई आबकारी नीति में योगी सरकार ने कई कड़े फैसले लिए है. जिसमें बार की रिन्युअल प्रोसेसिंग फीस बढ़ाने के अलावा अहम फैसला ये हैं कि बिना आबकारी विभाग की अनुमति के पुलिस या कोई भी और एजेंसी शराब भांग या बीयर की दुकान सील नहीं करा सकेगी.
क्यों यूपी के राजस्व मॉडल को एमपी में लाने की है तैयारी
यूपी के राजस्व मॉडल में ऐसा क्या है कि उसे एमपी में लागू करने की तैयारी हो रही है. असल में इस मॉडल में रिन्युअल फीस बढ़ाने पर जोर है. इसके अलावा यूपी में नई आबकारी नीति लागू करते ही भांग और शराब की कीमतों में इजाफा किया गया है. इस नीति में कहा गया है कि बिना आबकारी की अनुमति के पुलिस या कोई भी दूसरी एजेंसी शराब भांग या बीयर की दुकान सील नहीं कर सकता. इसके अलावा पुलिस भी शराब की दुकानें सील नहीं कर सकती. एमपी में मोहन सरकार आबकारी से जुड़े अपराधों पर काबू करने और राजस्व बढ़ाने के लिए अब यूपी मॉडल का रुख कर सकती है. सीएम डॉ. मोहन यादव ने वाणिज्यिक कर विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को इस मामले में निर्देशित किया है.
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शराब दुकानों पर हो तुरंत एक्शन
वाणिज्यिक कर विभाग की समीक्षा बैठक में मोहन यादव ने कहा कि ''यूपी के आबकारी नीति का जो मॉडल है वो एमपी में कैसे लागू हो सकता है, इसकी रिपोर्ट तैयार की जाए. इसे एमपी में कैसे लागू किया जाए इस पर मंथन हो.'' सीएम मोहन यादव ने सख्त हिदायत दी कि ''स्कूलों के अलावा धार्मिक स्थलों के आसपास भी जहां शराब की दुकानें हैं. वहां तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए. अब एमपी में भी बार और शराब दुकानों की जियो टैगिंग कर दी गई है और शराब के प्रोडक्शन से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन और खरीदी तक पर ई आबकारी पोर्टल की नज़र रहती है.''