भोपाल। राज्यसभा सांसद बाल योगी उमेश नाथ महाराज का कहना है कि संत सार्वजनिक संपत्ति है. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि संत किसी पंथ जाति समाज देश का नहीं होता. तभी तो वो कहता है सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया. ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने कहा कि देश को सनातन धर्म की आज भी जय बोलनी है कल भी बोलनी है. अब मथुरा काशी से लेकर ज्ञानवापी और उज्जैनी से लेकर अयोध्या तक पीएम मोदी के आगमन के बाद हमारे सभी मुख्य धरोहर के जो मामले हैं उनकी पूर्णाहुति हो रही है.
संत किसी पंथ का नहीं
राज्यसभा सांसद उमेश नाथ महाराज ने संतों का राजनीति में आने के सवाल पर कहा कि संत समाज को जोड़ता है और निरंतर संत की भावना सामाजिक परिवेश के बदलाव के लिए होती है. संत का जीवन समाज के लिए समर्पित होता है. उन्होंने कहा कि संत जो है वह सार्वजनिक संपत्ति है. संत ये कहे कि मैं फलाने जाति का हूं फला पंथ है मेरा फलां देश है मेरा तो वो सही नहीं है. संत तभी तो कहता है सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे सन्तु निरामया. संत का विचार समूची मानव समाज के लिए होता है. बाकी तो प्राचीन काल से ही राजनीति और धर्म का समावेश निरंतर बना हुआ है और वो अच्छी राजनीति है. उसमें संतों का समावेश आज भी है कल भी था और आगे भी रहेगा और रहना भी चाहिए.
सनातन की ओर बढ़ा कदम
संसद में संत की मौजूदगी पर उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं. उन्होंने कहा कि इस राष्ट्र में जब से पीएम मोदी जी का आगमन हुआ है तब से हमारे देश की मुख्य धरोहर जो है चाहे फिर वो अवंतिकापुरी उज्जैन में महाकाल हो या अयोध्या ज्ञानवापी हो या मथुरा, मंदिरों से जुड़े जितने मामले थे उनकी पूर्णाहुति हो गई है. उन्होंने कहा कि और जो समाज है उसे सनातन धर्म की आज भी जय बोलनी है कल भी बोलनी है. कंधे से कंधा मिलाकर चलना तो अब पुरानी बात हो गई अब कदम से कदम मिलाकर चलना है.
जब मुद्दे उठाऊंगा खबर आप तक भी आएगी
उमेश नाथ महाराज ने कहा कि मैं सदन में जो मुद्दे उठाऊंगा. उसकी खबर आप तक आएगी.उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की जो ऊंची सोच और ऊंचा विचार है जो पारदर्शिता है उसका प्रमाण है कि जो मुझे शामिल किया. हम सब मिलकर राष्ट्र के निर्माण में जुटेंगे.
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मैं पीछे नहीं लगा रहा कि ये पद मुझे दिया जाए
उमेश नाथ महाराज ने कहा कि संत जो होता है सन्यास धारण करता है, समाज की सेवा करता है. संत के जो भाव होते हैं समाज के सुख दुख के लिए होते हैं. उसमें कोई वृद्धि होती है तो प्रसन्नता है. संत जो होता है उसकी मीमांसाएं शांत होनी चाहिए वो कभी लालायित नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मुझ पर मेरे पूज्य गुरुजी की और संतो की नजर मेरे ऊपर है. मेरी किसी वस्तु के लिए इच्छा जागृत नहीं होती. मैं किसी काम में पीछ नहीं लगा रहा कि ये पद मुझे दिया जाए. उन्होंने कहा कि मैं भारत माता का लाल हूं भारतीय के रूप में संसद में दिखाई दूंगा.