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इस जड़ी बूटी का नाम सत्यानाशी, तिरचिटा और सन्नपर्णी भी कई रोगों में रामबाण से कम नहीं

Bhopal State Level Van Mela: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में राज्यस्तरीय वन मेले में प्रदेश भर के 100 से ज्यादा स्टॉल लगाए गए हैं. यहां कई आर्युवेदाचार्य भी जुटे हैं. मेले में ऐसी-ऐसी जड़ी बूटी हैं, जो कई रोगों के लिए रामबाण से कम नहीं हैं.

Bhopal state level forest fair
भोपाल वन मेले में जड़ी बूटी, रोगों के लिए रामबाण से कम नहीं
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 25, 2024, 2:40 PM IST

Updated : Jan 25, 2024, 3:10 PM IST

इस जड़ी बूटी का नाम है सत्यानाशी

भोपाल। वन मेला में आए आर्युवेदाचार्य श्याम सिंह सोलंकी ईटीवी भारत से बातचीत में एक एक जड़ी दिखाते हैं और उसके गुण भी बताते हैं. जड़ जैसी जड़ी है शतावरी, जिसे सहस्त्र मूली भी कहते हैं. सोलंकी बताते हैं कि ये महारसायन मानी जाती है आर्युवेद में. बच्चों की ग्रोथ के लिए ये बेहद काम की है. डिलेवरी के बाद जिन माताओं को दूध नही आता, उसमें भी ये कारगर है. महिलाओं के लिए शरीर को भी बल देती है ये जड़ी.

सत्यानाशी किसका सर्वनाश करती है

स्वर्ण छिरी नाम की जड़ी, जिसे सत्यानाशी भी कहते हैं. सोलंकी बताते हैं कि चर्म रोगों में कारगर इस जड़ी का इस्तेमाल किसी भी तरह के चर्म रोग के लिए लाभदायक है. इस जड़ी का दूध पीले रंग का निकलता है. अगर इसकी डंडी को तोड़कर इसे सुबह काजल की थरह आंख में फिराएं तो आंखों की रोशनी बढ़ जाती है.

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तिरचिटा और सन्नपर्णी

सोलंकी के मुताबिक तिरचिटा ज्वाइंट्स की मजबूती के लिए इस्तेमाल होती है. ये कपड़े पर चिपक जाती है और ये जड़ी खुद बताती है कि मुझे ले चलो मैं काम की हूं. सारिबा अनंतमूल भी कहते हैं इसे. ये टीबी से लेकर कैंसर के इलाज में भी कारगर बताई जाती है. सन्नपर्णी घूंघरू की तरह बजने वाली इस जड़ी का इस्तेमाल दर्द का तेल तैयार करने में होता है. सारे रोगों का रामबाण महानाम से लेकर लीवर के रोग मिटाने वाली मकोई तक हर जड़ी को उसके मूल रूप में सोलंकी ने दिखाई.

इस जड़ी बूटी का नाम है सत्यानाशी

भोपाल। वन मेला में आए आर्युवेदाचार्य श्याम सिंह सोलंकी ईटीवी भारत से बातचीत में एक एक जड़ी दिखाते हैं और उसके गुण भी बताते हैं. जड़ जैसी जड़ी है शतावरी, जिसे सहस्त्र मूली भी कहते हैं. सोलंकी बताते हैं कि ये महारसायन मानी जाती है आर्युवेद में. बच्चों की ग्रोथ के लिए ये बेहद काम की है. डिलेवरी के बाद जिन माताओं को दूध नही आता, उसमें भी ये कारगर है. महिलाओं के लिए शरीर को भी बल देती है ये जड़ी.

सत्यानाशी किसका सर्वनाश करती है

स्वर्ण छिरी नाम की जड़ी, जिसे सत्यानाशी भी कहते हैं. सोलंकी बताते हैं कि चर्म रोगों में कारगर इस जड़ी का इस्तेमाल किसी भी तरह के चर्म रोग के लिए लाभदायक है. इस जड़ी का दूध पीले रंग का निकलता है. अगर इसकी डंडी को तोड़कर इसे सुबह काजल की थरह आंख में फिराएं तो आंखों की रोशनी बढ़ जाती है.

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तिरचिटा और सन्नपर्णी

सोलंकी के मुताबिक तिरचिटा ज्वाइंट्स की मजबूती के लिए इस्तेमाल होती है. ये कपड़े पर चिपक जाती है और ये जड़ी खुद बताती है कि मुझे ले चलो मैं काम की हूं. सारिबा अनंतमूल भी कहते हैं इसे. ये टीबी से लेकर कैंसर के इलाज में भी कारगर बताई जाती है. सन्नपर्णी घूंघरू की तरह बजने वाली इस जड़ी का इस्तेमाल दर्द का तेल तैयार करने में होता है. सारे रोगों का रामबाण महानाम से लेकर लीवर के रोग मिटाने वाली मकोई तक हर जड़ी को उसके मूल रूप में सोलंकी ने दिखाई.

Last Updated : Jan 25, 2024, 3:10 PM IST
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