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सांची दुग्ध संघ का हुआ टेकओवर, विरोध करने पर पीएस गुलशन बामरा को हटाया - Bhopal Sanchi Takeover NDDB - BHOPAL SANCHI TAKEOVER NDDB

मध्य प्रदेश के ब्रांड सांची दुग्ध संघों का प्रबंधन और संचालन अगले 5 सालों के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को दिए जाने पर सहमति बन गई है. इसका विरोध करने पर पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा को देर रात पद से हटा दिया गया. विवेक तन्खा ने भी ट्विट कर विरोध जताया है.

BHOPAL SANCHI TAKEOVER NDDB
सांची का संचालन अब राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड करेगा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 11, 2024, 2:37 PM IST

भोपाल: मध्य प्रदेश के सांची का संचालन अब राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा किया जाएगा. सांची के टेकओवर को लेकर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई है. सरकार के इस फैसले का राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने विरोध जताया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सांची मध्य प्रदेश का ब्रांड है जैसे अमूल गुजरात का ब्रांड है. बैकडोर से सांची का टोकओवर हो रहा है. अमूल पिछले काफी समय से मध्य प्रदेश में अपना विस्तार करना चाह रहा था. उसने बड़ा प्लांट भी स्थापित किया, लेकिन रास्ता नहीं मिल रहा था. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के प्रस्ताव का पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा ने भी विरोध किया था, जिसके चलते देर रात उन्हें हटा दिया गया.

Vivek Tankha protest decision
सांची का टेकओवर करने का विवेक तन्खा ने किया विरोध (vivek tankha twitter)

बैठक में प्रमुख सचिव ने जताया विरोध, हटाया

मध्यप्रदेश के किसानों की दुग्ध उत्पादन से आय बढ़ाने और सांची को फायदे में लाने के लिए प्रदेश सरकार ने सांची दुग्ध संघों का प्रबंधन और संचालन अगले 5 सालों के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को दिए जाने पर सहमति बन गई. अब जल्द ही जरूरी अनुमतियां प्राप्त कर इस दिशा में विधिक कार्यवाही की जाएगी. मुख्यमंत्री मोहन यादव के मुताबिक प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनाकर किसानों और पषुपालकों की आमदानी बढ़ाने के लिए यह निर्णय लिया गया है. जरूरी हुआ तो सहकारिता अधिनियम में भी संशोधन किया जाएगा. गौरतलब है कि प्रदेश में उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन होता है. प्रदेश में हर दिन साढ़े 5 करोड़ लीटर दुग्ध उत्पादन हो रहा है. राज्य सरकार ने अगले 5 साल में दुग्ध उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. प्रदेश में 40 हजार गांवों में से सिर्फ 15 हजार गांवों में ही दुग्ध उत्पादन की स्थिति बेहतर है.

ये भी पढ़ें:

सांची दूध संघ को घाटे से उबारने के लिए नया बिजनेस प्लान, NDBB करेगा नैया पार

अभी भोपाल, इंदौर सांची ही फायदे में

प्रदेश में सांची करीबन 10 लाख लीटर दूध का हर रोज कलेक्शन करती है. जबकि अमूल सिर्फ बनाकांठा दुग्ध संघ का कलेक्शन ही इससे 8 गुना ज्यादा है. अमूल द्वारा यहां से करीबन 80 लाख लीटर दूध का कलेक्शन करती है. मध्यप्रदेश में गुजरात से ज्यादा दुग्ध उत्पादन होने के बाद भी इसका कलेक्शन नहीं किया जा रहा है. प्रदेश के 6600 गांवों में ही दुग्ध समितियां बनाई गई है, जहां से 4.5 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है. मध्यप्रदेश में सांची सिर्फ 2 प्रतिशत दूध का ही कलेक्शन कर पाती है. मध्यप्रदेश में भोपाल और इंदौर सांची दुग्ध संघ ही फायदे में हैं, लेकिन इसमें भी बड़ी राशि केन्द्र की सहायता की होती है.

भोपाल: मध्य प्रदेश के सांची का संचालन अब राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा किया जाएगा. सांची के टेकओवर को लेकर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई है. सरकार के इस फैसले का राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने विरोध जताया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सांची मध्य प्रदेश का ब्रांड है जैसे अमूल गुजरात का ब्रांड है. बैकडोर से सांची का टोकओवर हो रहा है. अमूल पिछले काफी समय से मध्य प्रदेश में अपना विस्तार करना चाह रहा था. उसने बड़ा प्लांट भी स्थापित किया, लेकिन रास्ता नहीं मिल रहा था. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के प्रस्ताव का पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा ने भी विरोध किया था, जिसके चलते देर रात उन्हें हटा दिया गया.

Vivek Tankha protest decision
सांची का टेकओवर करने का विवेक तन्खा ने किया विरोध (vivek tankha twitter)

बैठक में प्रमुख सचिव ने जताया विरोध, हटाया

मध्यप्रदेश के किसानों की दुग्ध उत्पादन से आय बढ़ाने और सांची को फायदे में लाने के लिए प्रदेश सरकार ने सांची दुग्ध संघों का प्रबंधन और संचालन अगले 5 सालों के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को दिए जाने पर सहमति बन गई. अब जल्द ही जरूरी अनुमतियां प्राप्त कर इस दिशा में विधिक कार्यवाही की जाएगी. मुख्यमंत्री मोहन यादव के मुताबिक प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनाकर किसानों और पषुपालकों की आमदानी बढ़ाने के लिए यह निर्णय लिया गया है. जरूरी हुआ तो सहकारिता अधिनियम में भी संशोधन किया जाएगा. गौरतलब है कि प्रदेश में उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन होता है. प्रदेश में हर दिन साढ़े 5 करोड़ लीटर दुग्ध उत्पादन हो रहा है. राज्य सरकार ने अगले 5 साल में दुग्ध उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. प्रदेश में 40 हजार गांवों में से सिर्फ 15 हजार गांवों में ही दुग्ध उत्पादन की स्थिति बेहतर है.

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अभी भोपाल, इंदौर सांची ही फायदे में

प्रदेश में सांची करीबन 10 लाख लीटर दूध का हर रोज कलेक्शन करती है. जबकि अमूल सिर्फ बनाकांठा दुग्ध संघ का कलेक्शन ही इससे 8 गुना ज्यादा है. अमूल द्वारा यहां से करीबन 80 लाख लीटर दूध का कलेक्शन करती है. मध्यप्रदेश में गुजरात से ज्यादा दुग्ध उत्पादन होने के बाद भी इसका कलेक्शन नहीं किया जा रहा है. प्रदेश के 6600 गांवों में ही दुग्ध समितियां बनाई गई है, जहां से 4.5 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है. मध्यप्रदेश में सांची सिर्फ 2 प्रतिशत दूध का ही कलेक्शन कर पाती है. मध्यप्रदेश में भोपाल और इंदौर सांची दुग्ध संघ ही फायदे में हैं, लेकिन इसमें भी बड़ी राशि केन्द्र की सहायता की होती है.

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