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भ्रामक विज्ञापनों से जरा बचकर, 97 प्रतिशत उपभोक्ताओं को इसकी जानकारी नहीं, यहां करें शिकायत - Seminar on Misleading Advertisement

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 18, 2024, 10:03 AM IST

कई विज्ञापनों में दावे किए जाते हैं कि संबंधित ब्रांड की चीज इस्तेमाल करने से ऐसा या वैसा हो जाएगा. उपभोक्ता जब उस ब्रांड की ओर आकर्षित होकर जब उस उत्पाद इस्तेमाल करता है, तो उसे पता चलता है कि यह विज्ञापन तो झूठा था. ऐसे में वह खुद को ठगा हुआ महसूस करता है. भोपाल में आयोजित कंज्यूमर कोऑर्डिनेशन काउंसिल में भ्रामक विज्ञापनों पर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. साथ ही बताया गया कि उपभोक्ता मिसलीडिंग एडवरटाइजिंग पर कैसे एक्शन ले सकता है.

SEMINAR ON MISLEADING ADVERTISEMENT
भ्रामक विज्ञापनों से जरा बचकर (Etv Bharat)

भोपाल : आरसीपीवी नरोन्हा अकादमी में शनिवार को कंज्यूमर कोऑर्डिनेशन काउंसिल के तत्वाधान में उपभोक्ता संगठनों का राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ. यहां मिसलीडिंग या भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. इस सर्वे के आंकड़े काफी चौकाने वाले हैं. कंज्यूमर कोऑर्डिनेशन काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लियाकत अली ने कहा कि 97 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि वे कंपनियों के भ्रामक विज्ञापन की वजह से ठगे गए हैं और उन्हें मिसलीडिंग एडवरटाइजिंग की जानकारी नहीं है. हालांकि, कुछ लोगों ने माना कि वो भ्रामक विज्ञापनों की जानकारी होने की वजह से ठगे जाने से बच गए.

कंज्यूमर कोऑर्डिनेशन काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लियाकत अली (Etv Bharat)

भ्रामक विज्ञापनों की यहां करें शिकायत

कंज्यूमर कोऑर्डिनेशन काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लियाकत अली ने बताया, '' भारत में भ्रामक विज्ञापनों को लेकर उपभोक्ता कानून में कई प्रावधान किए गए हैं लेकिन इसकी जानकारी लोगों को नहीं है. इस संबंध में जब हमने सर्वेक्षण में लोगों से सवा पूछा कि क्या इसे लेकर कानून में कोई प्रावधन किया गया है? तो 49 प्रतिशत लोगों ने 'नहीं' का जबाव दिया.'' अली ने बताया कि भ्रामक विज्ञापन से पीड़ित होने पर उपभोक्ता एएससीआई और जीएएमए में ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं. लेकिन अब तक केवल 7 प्रतिशत लोगों ने ही इस प्लेटफार्म पर शिकायत दर्ज कराई है.

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सर्वे में देशभर के लोगों से पूछे गए 7 प्रश्न

अली ने बताया कि सर्वे में उपभोक्ताओं से 7 प्रश्न पूछे गए थे. इसमें 77 प्रतिशत पुरुष और 23 प्रतिशत महिलाओं ने अपनी बात कही. उपभोक्ताओं में सबसे अधिक 24 प्रतिशत 18 से 25 वर्ष तक की आयु के बीच के प्रतिभागी थे. इसके बाद 51 या उससे अधिक आयु के उपभोक्ताओं की संख्या 23 प्रतिशत थी. इस सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 42 प्रतिशत उपभोक्ता स्नातक डिग्री धारक थे. इस सर्वे में देश के विभिन्न प्रांतों, गुजरात , राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हिमाचल, हरियाणा, आसाम, दिल्ली, आंध्रप्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, उड़ीसा, तमिलनाडु आदि के उपभोक्ताओं ने भाग लेकर अपने प्रतिक्रिया दी है.

भोपाल : आरसीपीवी नरोन्हा अकादमी में शनिवार को कंज्यूमर कोऑर्डिनेशन काउंसिल के तत्वाधान में उपभोक्ता संगठनों का राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ. यहां मिसलीडिंग या भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. इस सर्वे के आंकड़े काफी चौकाने वाले हैं. कंज्यूमर कोऑर्डिनेशन काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लियाकत अली ने कहा कि 97 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि वे कंपनियों के भ्रामक विज्ञापन की वजह से ठगे गए हैं और उन्हें मिसलीडिंग एडवरटाइजिंग की जानकारी नहीं है. हालांकि, कुछ लोगों ने माना कि वो भ्रामक विज्ञापनों की जानकारी होने की वजह से ठगे जाने से बच गए.

कंज्यूमर कोऑर्डिनेशन काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लियाकत अली (Etv Bharat)

भ्रामक विज्ञापनों की यहां करें शिकायत

कंज्यूमर कोऑर्डिनेशन काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लियाकत अली ने बताया, '' भारत में भ्रामक विज्ञापनों को लेकर उपभोक्ता कानून में कई प्रावधान किए गए हैं लेकिन इसकी जानकारी लोगों को नहीं है. इस संबंध में जब हमने सर्वेक्षण में लोगों से सवा पूछा कि क्या इसे लेकर कानून में कोई प्रावधन किया गया है? तो 49 प्रतिशत लोगों ने 'नहीं' का जबाव दिया.'' अली ने बताया कि भ्रामक विज्ञापन से पीड़ित होने पर उपभोक्ता एएससीआई और जीएएमए में ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं. लेकिन अब तक केवल 7 प्रतिशत लोगों ने ही इस प्लेटफार्म पर शिकायत दर्ज कराई है.

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सर्वे में देशभर के लोगों से पूछे गए 7 प्रश्न

अली ने बताया कि सर्वे में उपभोक्ताओं से 7 प्रश्न पूछे गए थे. इसमें 77 प्रतिशत पुरुष और 23 प्रतिशत महिलाओं ने अपनी बात कही. उपभोक्ताओं में सबसे अधिक 24 प्रतिशत 18 से 25 वर्ष तक की आयु के बीच के प्रतिभागी थे. इसके बाद 51 या उससे अधिक आयु के उपभोक्ताओं की संख्या 23 प्रतिशत थी. इस सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 42 प्रतिशत उपभोक्ता स्नातक डिग्री धारक थे. इस सर्वे में देश के विभिन्न प्रांतों, गुजरात , राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हिमाचल, हरियाणा, आसाम, दिल्ली, आंध्रप्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, उड़ीसा, तमिलनाडु आदि के उपभोक्ताओं ने भाग लेकर अपने प्रतिक्रिया दी है.

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